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दुश्मन के भी दोस्त बनो

बहुत पहले की बात है। एक गांव था राजनगर। वहां पर करण नाम का एक लड़का रहता था। वह लड़का स्वभाव का बहुत अच्छा था। पढ़ाई में भी होशियार था। वह बहुत आज्ञाकारी और अपने मां-बाप का कहना मानता था। स्कूल में...

दुश्मन के भी दोस्त बनो
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 26 Mar 2015 01:17 PM
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बहुत पहले की बात है। एक गांव था राजनगर। वहां पर करण नाम का एक लड़का रहता था। वह लड़का स्वभाव का बहुत अच्छा था। पढ़ाई में भी होशियार था। वह बहुत आज्ञाकारी और अपने मां-बाप का कहना मानता था। स्कूल में वह ज्यादातर बच्चों की तुलना में होशियार था। स्वभाव से वह विनम्र था और सभी के साथ अच्छा व्यवहार करता था। उसके स्कूल में चाहे उससे बड़े लड़के हों या फिर छोटे, सभी उसे पसंद करते थे। लेकिन इस कारण बहुत से लड़के करण से जलते भी थे। करण की ही क्लास में एक लड़का पढ़ता था, जिसका नाम था अमित। अमित पढा़ई में तेज नहीं था। उसका स्कूल में खेलने में बहुत मन लगता था। वह अपने माता-पिता की बात नहीं सुनता था और उनसे रूखे तरीके से बात करता था। अपनी क्लास के लड़कों को वह चिढ़ाया करता था। यहां तक कि करण को भी वह खूब परेशान करता था। वह लगातार कोशिश करता था कि किसी भी तरह करण को नीचा दिखा सके और दूसरे बच्चों के सामने उसकी खिल्ली उड़ा सके। लेकिन उसकी लाख कोशिशों के बावजूद करण अपनी पढ़ाई में और बेहतर होता जा रहा था। चाहे बात पढ़ाई की हो या खेल की, करण हर किसी में बाजी मारता और हर जगह उसकी खूब तारीफ होती।

अपने आठवें जन्मदिन पर करण को अपने पिता की तरफ से गिफ्ट के तौर पर एक सुंदर सा पेन मिला। करण स्कूल में नोट्स लिखने के लिए वह पेन ले जाने लगा। वह पेन दिखने में तो सुंदर था ही, लिखता भी तेज था। जब अमित ने करण का पेन देखा तो उसे बहुत जलन हुई। अमित ने नजरें तिरछी करके करण से पूछा, ‘यह पेन तुम्हें कहां से मिला? क्या तुमने इसे खरीदा है?’
‘नहीं, मुझे यह पेन मेरे मम्मी-पापा ने बर्थ डे गिफ्ट में दिया है।’ करण ने जवाब दिया।

इस बात से अमित का गुस्सा और भी ज्यादा भड़क गया। अपने माता-पिता से वह खुद इतना बुरा सलूक करता था कि अब तक उसे उनसे शायद ही कोई गिफ्ट मिला हो। जब लंच का वक्त हुआ, तो उसने करण का पेन चुराने का फैसला कर लिया। जब हर कोई लंच के लिए बाहर निकल गया, तो अमित ने चुपके से करण के बैग से पेन चुरा लिया। इसके बाद उसने पेन अपने बैग में छिपा लिया और लंच करने बाहर चला गया।

जब करण वापस लौटा तो उसे बैग में अपना पेन नहीं मिला। उसने अपने टीचर को इस बारे में बताया। इसके बाद पूरी क्लास में पेन खोजा गया, लेकिन वह नहीं मिला। तब टीचर ने क्लास के मॉनीटर से कहा कि वह सबके बैग की तलाशी ले। जल्द ही अमित के बैग से पेन मिल गया। उसे गुस्से से देखते हुए टीचर ने पूछा, ‘अमित, पेन तुम्हारे बैग से निकला है, इस बारे में तुम्हें कुछ कहना है?’

अमित की आंखों में आंसू आ गए। वह कुछ नहीं बोला।
जब करण ने अमित को रोते हुए देखा, तो उसे अमित पर दया आ गई। उसके दिल में अमित के लिए कोई गिला-शिकवा नहीं था। उसने टीचर से कहा कि उसका खोया हुआ पेन वापस मिल गया है, अब वे अमित को सजा न दें। करण के इन शब्दों ने अमित की आंखें खोल दीं। वह हमेशा करण को परेशान करता था, लेकिन करण ने हमेशा उससे अच्छा व्यवहार किया। इस समय उसे एहसास हो रहा था कि करण कितना अच्छा लड़का है। उसने तुरंत करण और क्लास टीचर से माफी मांगी। इसके बाद करण और अमित दोस्त बन गए। फिर तो अमित का व्यवहार बदल गया और सभी उसे पसंद करने लगे। करण को अपने नए दोस्त पर नाज था।

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