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मानव अधिकारों के नाम एक दिन

आने वाले बुधवार यानी 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस है। मानव के अधिकार की रक्षा और उन्हें समाज में बराबरी का हक दिलाने तथा सम्मानपूर्वक जीवन-यापन करने में मदद करने के लिए सभी देशों की...

मानव अधिकारों के नाम एक दिन
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 03 Dec 2014 12:47 PM
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आने वाले बुधवार यानी 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस है। मानव के अधिकार की रक्षा और उन्हें समाज में बराबरी का हक दिलाने तथा सम्मानपूर्वक जीवन-यापन करने में मदद करने के लिए सभी देशों की सरकारें और वहां के कानून उन्हें कुछ अहम अधिकार प्रदान करते हैं। ये अधिकार सभी लोगों के लिए समान होते हैं ताकि उनके बीच किसी तरह का भेदभाव नहीं हो सके। मानवों के इन्हीं अहम अधिकारों की रक्षा के लिए मानवाधिकार दिवस वैश्विक पैमाने पर मनाया जाता है।

यूनाइटेड नेशंस ने की थी शुरुआत
विश्व युद्ध के बाद लोगों के बीच असंतोष की भावना थी और उनके अधिकारों का काफी हनन हुआ था। ऐसे में मानव के अधिकारों के संरक्षण के मकसद से संयुक्त राष्ट्र संघ (यूनाइटेड नेशंस) की महासभा ने 10 दिसंबर 1948 को सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र को आधिकारिक मान्यता प्रदान की, जिसमें इंसानों की आजादी, हक, बराबरी और सम्मान के अधिकार को सुरक्षित व संरक्षित करने का कानूनी हक दिया गया। यूनाइटेड नेशंस ने अपने सभी सदस्य देशों से इसका पालन करने को कहा। वर्ष 1950 में 10 दिसंबर के दिन को यूनाइटेड नेशंस ने इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स डे घोषित कर दिया। तब से हर साल इस तिथि को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है।

भारतीय संविधान देता है हम सभी को मानवाधिकार की गारंटी
अपने देश का संविधान देश के समस्त नागरिकों को बराबरी और सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार प्रदान करता है। देश के सभी नागरिकों को एक समान मानता है और उन्हें एक समान अधिकार प्रदान करता है। अमीर-गरीब या बड़े-छोटे के बीच अधिकारों को लेकर किसी तरह का भेदभाव नहीं करता है। साथ ही साथ मानवों के अधिकारों के संरक्षण के लिए सख्त कदम भी समय-समय पर उठाता है। संविधान में मानव अधिकारों का हनन करने वाले या संविधान में दिए गए अधिकारों को तोडम्ने वाले को सख्त सजा के लिए भी प्रावधान किए हुए है।

देश में 1993 में बना मानवाधिकार कानून
मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए एक कदम आगे बढ़ते हुए भारत सरकार ने 1993 में मानवाधिकार कानून बनाया। 28 सितंबर 1993 को देशभर में मानवाधिकार कानून लागू हुआ और्र 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन कर मानवों के अधिकार के संरक्षण में और ठोस कदम उठाए गए। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और मानवाधिकार कानून लोगों के अधिकारों की रक्षा करने में अहम भूमिका निभा रहा है।

तुम नहीं करो भेदभाव
मानवाधिकार दिवस और कानून से प्रेरणा लेते हुए
तुम्हें भी किसी व्यक्ति विशेष के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं करना चाहिए, चाहे वह अमीर हो या गरीब । तुम्हारे घर में काम करने वाली आंटी हों या दूध और पेपर देने वाले भैया या फिर घर के पास प्रेस करने वाले अंकल हों, या घर के पास झुग्गियों में रहने वाले बच्चे, इन सभी को उसी इज्जत से देखो, जैसे तुम दूसरों को देखते हो। ऐसा करने से तुम भविष्य में एक बेहतर इंसान बन सकोगे।

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