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कॉमर्स: इस डगर में विकल्प बहुतेरे

कॉमर्स वह विषय है, जिसने हर माहौल में अपना प्रभुत्व बनाए रखा है। चाहे डॉक्टर-इंजीनियर बनने का दौर रहा हो या आईटी व दूसरे नए-नए करियर ऑप्शन्स का, कॉमर्स का स्नातक हमेशा बेहतर स्थिति में रहा है। रिसेशन...

कॉमर्स: इस डगर में विकल्प बहुतेरे
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 23 Mar 2011 05:01 PM
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कॉमर्स वह विषय है, जिसने हर माहौल में अपना प्रभुत्व बनाए रखा है। चाहे डॉक्टर-इंजीनियर बनने का दौर रहा हो या आईटी व दूसरे नए-नए करियर ऑप्शन्स का, कॉमर्स का स्नातक हमेशा बेहतर स्थिति में रहा है। रिसेशन भी उसका मनोबल नहीं तोड़ पाया। तमाम परंपरागत करियर ऑप्शन्स के साथ-साथ अनेक नए ऑप्शन भी कॉमर्स के साथ जुड़ गए हैं, जिन्होंने इस विषय को और भी अधिक आकर्षक बना दिया है। क्या हैं कॉमर्स में संभावनाएं, विशेषज्ञों की राय के साथ बता रही हैं प्रियंका कुमारी

देशी विदेशी बैंक हों या बहुराष्ट्रीय कंपनियां, सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं का बही खाता हो या कॉर्पोरेट हाउसेज का, कॉमर्स की जरूरत आज कदम कदम पर है। सुबह से लेकर शाम तक चढ़ते-उतरते शेयर बाजार के आंकड़े हों या बैंकों में जमा-पूंजी पर मिलने वाला ब्याज, पैसे कमाने की माथापच्ची हो या दो रुपये से चार बनाने का गुणा-भाग, इन्हें समझने, चलाने और जीवन में आगे बढ़ने का रास्ता दिखाने वाला कोर्स है कॉमर्स यानी वाणिज्य। इसकी जरूरत को देखते हुए ही 12वीं के बाद कॉमर्स में दाखिला पाना या पढ़ाई करना आज स्टेटस सिम्बल बन गया है।

इंजीनियरिंग हो या साइंस के छात्र, उच्च शिक्षा में उनकी नजरें भी आज कॉमर्स से जुड़े कोर्स और एमबीए की तरफ जाने लगी हैं। कॉमर्स पढ़ने की होड़ के कारण ही आज महानगर के कॉलेजों में दाखिले की भीड़ बढ़ गई है। आलम यह कि 90 फीसदी अंक लाने वाले छात्र को भी अच्छे संस्थानों में दाखिला मिलना मुश्किल हो रहा है।

जहां तक 12वीं में कॉमर्स पढ़ कर आगे बढ़ने का सवाल है तो ऐसे छात्रों के लिए आज अवसरों की भरमार है। पारंपरिक क्षेत्र जैसे सीए, सीएस और शिक्षण के अलावा कॉमर्स में कई नए-नए अवसर हैं। शहीद भगत सिंह कॉलेज सांध्य में कॉमर्स के शिक्षक व प्राचार्य डॉ. पीके खुराना कहते हैं, 1975 में जब कॉमर्स पढ़ रहा था तो बच्चे स्मॉल इंडस्ट्री की ओर जाने को लालायित रहते थे। इसकी जगह आज इंटरप्रेन्योरशिप ने ले ली है। 10 में से 7 बच्चे ऐसे मिलेंगे, जो इस क्षेत्र में जाने के इच्छुक दिखते हैं। यहां स्व-उद्यम या रोजगार करके लाखों की कमाई की जा सकती है। इसके लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाती है।
कॉमर्स इसके अलावा रियल एस्टेट मैनेजमेंट, इंश्योरेंस एंड रिस्क मैनेजमेंट, कैपिटल मार्केटिंग, मर्चेट बैंकिंग, एडवर्टाइजिंग और इंटरनेशनल बिजनेस जैसे नए क्रिएटिव क्षेत्र लेकर सामने आया है। आईटी मैनेजमेंट, हॉस्पिटल मैनेजमेंट, हैल्थ मैनेजमेंट, न्यू इंटरप्राइज मैनेजमेंट में छात्रों के लिए हर दिन कुछ न कुछ नया करने और आगे बढ़ने का मौका रहता है। बिजनेस कंसल्टेंसी की दुनिया भी छात्रों को काम का अवसर मुहैया करा रही है। डॉ. खुराना के मुताबिक इस क्षेत्र में कई नई शाखाएं छात्रों को फील्ड विशेष का एक्सपर्ट बनने का मौका दे रही हैं। ये चीजें पच्चीस साल पहले बहुत कम थीं।

प्रबंधन का क्षेत्र भी ऐसे छात्रों के लिए खासा मददगार है। आज स्नातक के बाद एमबीए करने के लिए इंजीनियरिंग या सोशल साइंस जैसे सभी विषयों से छात्र आते हैं, लेकिन सफलता की दर सबसे ज्यादा कॉमर्स की पृष्ठभूमि वाले छात्रों की ही होती है। एमबीए अलग-अलग फील्ड के साथ होती है, मसनल एमबीए इन ह्यूमन रिसोर्स, एमबीए इन फाइनेंशियल या मार्केटिंग। जिस तरह की रुचि है, उस तरह का रास्ता चुन कर आगे बढ़ सकते हैं। कॉमर्स मैनेजमेंट की पढ़ाई में विशेष रूप से मददगार है।
कॉमर्स में पारंपरिक करियर के तौर पर सीपीटी परीक्षा पास करके सीए यानी चार्टर्ड अकाउंटेंट का कोर्स ज्वॉइन किया जा सकता है। यह कोर्स स्नातक की पढ़ाई करते हुए भी किया जा सकता है। इसे करने के बाद किसी भी कंपनी, बैंक में, फाइनेंशियल इंस्टीटय़ूट के साथ रिसर्च संस्थान, इक्विटी शेयर, ट्रेजरी या किसी कंपनी में ऑडिट में जा सकते हैं। सीए बन खुद की प्रैक्टिस कर सकते हैं। 

पहले से चला आ रहा एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र कंपनी सेक्रेटरी का है। इसके लिए सीए की तरह ही प्रवेश परीक्षा होती है और फिर कोर्स कराया जाता है। इसे करने के बाद जहां भी कंपनी कानून से संबंधित लीगल की जरूरत होती है, वहां आप काम कर सकते हैं। नौकरी करना चाहें तो ठीक है, अन्यथा प्रैक्टिस भी कर सकते हैं। हर कंपनी या कॉर्पोरेट हाउस को ऐसे लोगों की जरूरत रहती है।

कॉमर्स में एक विकल्प फाइनेंशियल एनेलिस्ट बनने का है। इनका काम बैंक या वित्तीय संस्थाओं में फाइनेंशियल डाटा एनलाइज करना होता है। किसमें कितना और कब निवेश करना है, यह सब बताना होता है। बीकॉम के बाद छात्रों के लिए इससे संबंधित कोर्स आईसीएफएआई कराता है।

इन कोर्सेज के अलावा अध्यापन का रास्ता भी एक बड़ा करियर लेकर आता है। बीकॉम करके बीएड या एमकॉम करके बीएड करने के बाद स्कूल में टीजीटी और पीजीटी शिक्षक बन सकते हैं। एमकॉम के बाद कॉलेज, मैनेजमेंट स्कूल और विश्वविद्यालयों में अध्यापन कर सकते हैं। रिसर्च संस्थाओं में काम कर सकते हैं। अकाउंटेंसी वाले छात्र स्नातक करके उन रास्तों पर भी जा सकते हैं, जहां एक आम स्नातक के लिए देश में सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं, चाहे वह कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा हो या सिविल सर्विस की।

प्रमुख संस्थान
श्रीराम कॉलेज ऑफ कामर्स
वेबसाइट: www.srcc.edu
मॉरिस नगर, दिल्ली विश्वविद्यालय

गुरु गोबिन्द कॉलेज ऑफ कॉमर्स, पीतमपुरा, दिल्ली
वेबसाइट
: www.sggscc.com

लोयला कॉलेज, स्टर्लिग रोड, चेन्नई
वेबसाइट:
www.loyolacollege.edu

शहीद भगत सिंह कॉलेज, शेख सराय, दिल्ली
वेबसाइट
: www.sbsc.ac.in

हंसराज कॉलेज, उत्तरी परिसर, दिल्ली
वेबसाइट
: www.hansrajcollege.com

सेंट जेवियर, कोलकाता, मुम्बई,

वाणिज्य कॉलेज, पटना

फैक्ट फाइल
कोचिंग संस्थान

स्नातक स्तर पर कॉमर्स में दाखिले के लिए कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई की परंपरा नहीं है। हालांकि कुछ छात्र व्यक्तिगत ट्य़ूशनों का सहारा जरूर लेते हैं। हां, इस कोर्स में दाखिला प्राप्त करने के बाद ग्रेजुएशन के तीन साल के दौरान तरह-तरह के पेपर पास कराने के लिए छोटे-बड़े शहरों में कई कोचिंग संस्थान खुले हुए हैं, जहां से कोचिंग ले कर तैयारी की जा सकती है।

नौकरी के अवसर

कॉमर्स में पारंपरिक तौर पर सीए, सीएस और कॉस्ट अकाउंटेट के रूप में काम करने के अवसर हैं। अध्यापक, प्रोफेसर का काम भी कॉमर्स का छात्र कर सकता है। इन सबसे हट कर आज के समय में मैनेजमेंट अकाउंटेंसी, इनकम टैक्सेशन अधिकारी, मुख्य फाइनेंशियल अधिकारी बन सकते हैं। बिजनेस कंसल्टेंसी का काम कर सकते हैं।

रिसर्च या वित्तीय संस्थाओं और बैंकिग क्षेत्र में एनेलिस्ट बनने का भी अवसर है। एडवर्टाइजिंग और इंटरनेशनल बिजनेस में एक्सपर्ट बनने का मौका है। एमबीए करने के बाद प्रबंधन के क्षेत्र में भी काम करने के ढेरों अवसर हैं। चाहे वह निजी कंपनियां हों या सरकारी। अपना बिजनस करने का भी मौका छात्रों को है।

वेतन

आमतौर पर कॉमर्स स्नातक को प्रशिक्षु या एग्जीक्यूटिव के रूप में शुरुआती तौर पर कंपनियां 20 से 25 हजार रुपये वेतन दे देती हैं। जैसे-जैसे पद और प्रबंधक के रूप में जिम्मेदारी बढ़ती जाती है, वेतन का स्तर भी वैसे-वैसे ऊंचा होता जाता है। यहां लाख रुपये प्रतिमाह की आमदनी अब आम हो गई है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां और बैंकों में यह वेतन दो लाख से ऊपर चला जाता है।

योग्यता

स्नातक स्तर पर छात्रों को इस कोर्स में 12वीं के अंकों के आधार पर दाखिला दिया जाता है। इस कोर्स में कॉलेजों में सबसे ऊंची कट ऑफ जाती है। कुछ संस्थान टैस्ट या साक्षात्कार की प्रक्रिया भी आयोजित करते हैं। एमकॉम में दाखिला ज्यादातर संस्थानों में प्रवेश परीक्षा के जरिए ही दिया जाता है।

शाखाएं

मार्केटिंग
इंटरप्रेन्योरशिप
टैक्सेशन
ऑर्गनाइजेशनल बिहेवियर
मानव संसाधन विकास
फाइनेंस
ल्ल स्ट्रैटजी मैनेजमेंट
लॉजिस्टिक मैनेजमेंट
पब्लिक रिलेशंस

विशेषज्ञ की राय
डॉ. पीसी जैन
एसआरसीसी के प्राचार्य

कॉमर्स की फील्ड में सफल होने के लिए यह जरूरी है कि आपके पास अकाउंटेंसी स्किल, लॉ स्किल, इंकम टैक्स, गणित और अर्थशास्त्र की समझ हो। इस पर पकड़ रखने वाला छात्र आगे सफलता के पायदान पर बेहतर ढंग से चढ़ सकता है।

कॉमर्स में आज किस तरह के नए क्षेत्र दिखाई दे रहे हैं?
पारंपरिक तौर से हट कर आज आईटी मैनेजमेंट, हॉस्पिटल, हैल्थ मैनेजमेंट, इंश्योरेंस मैनेजमेंट, न्यू इंटरप्राइज मैनेजमेंट, अकाउंट मैनेजमेंट, फाइनेंशियल कंट्रोल, रिटेल मैनेजमेंट, सप्लाई एंड चेन मैनेजमेंट और लॉजिस्टिक मैनेजमेंट जैसे कई ऐसे क्षेत्र हैं, जो दो दशक पहले नहीं थे या इक्की-दुक्की जगहों पर ही चलते थे।

इस विषय में सफलता के लिए क्या हुनर होना चाहिए?
जो भी छात्र इस विषय को चुन रहे हैं, उन्हें तभी सफलता मिलेगी, जब उनके पास अकाउंटेंसी स्किल होगी। जरूरी है कि वे कानूनी पेंच की भी जानकारी रखते हों। बहुत से छात्र इसीलिए बीकॉम के साथ-साथ लॉ भी करते हैं। आयकर, गणित और अर्थशास्त्र पर भी मजबूत पकड़ होनी चाहिए। परिश्रम की भी खूब अपेक्षा होती है।

कॉमर्स के छात्र से लेकर प्राचार्य बनने तक इस क्षेत्र में आप क्या बदलाव देखते हैं?
तीन दशक पहले जब छात्र था तो ट्रेडिंग पर फोकस था, अब दौर मैन्युफेक्चरिंग का आ गया है। बिजनेस का आकार बहुत बड़ा हो गया है। पहले जब यह छोटा था तो एक ही व्यक्ति मास्टर के रूप में सभी कामों को संभाल लेता था। आज ऐसा नहीं है। इसमें कई स्पेशलाइज्ड क्षेत्र बन गए हैं, जिनके लिए अलग-अलग तरह के लोगों की जरूरत होती है। इसे ध्यान में रखते हुए ही करियर को चुनना होता है। वेतन और पैकेज में भी बहुत बड़ा फर्क आ गया है। आज के पैकेज की पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।

सक्सेस स्टोरी
कॉमर्स पैसा कमाने का हुनर सिखाता है
प्रोफेसर श्रीराम खन्ना
दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉमर्स विभाग में प्रोफेसर तथा नेशनल कंज्यूमर हैल्प लाइन के संचालक

दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉमर्स विभाग में प्रोफेसर श्रीराम खन्ना ने एक दौर में श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में पढ़ाई करते हुए छात्र राजनीति को भी एक नई दिशा दी थी। पढ़ाई और नेतृत्व क्षमता से लैस प्रो. खन्ना इन दिनों नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन के संचालक भी हैं और देशभर में उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता अभियान भी चला रहे हैं। 1971 में छात्र यूनियन के अध्यक्ष, 1972 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष और फिर कॉमर्स विभाग के अध्यक्ष रहे प्रो खन्ना से बातचीत :

चालीस साल पहले आपने कॉमर्स चुना। उस समय इस कोर्स का क्या क्रेज था?
जिस तरह कॉमर्स में दाखिले को लेकर आज मारामारी है, ऊंचे अंक की दरकार होती है, 1969 में दाखिले के समय भी यही हाल था। अच्छे नम्बर वालों को ही इस कोर्स में दाखिला मिलता था। जो छात्र इंजीनियरिंग आदि में चले जाते थे, उनकी बात अलग थी। लेकिन विश्वविद्यालय में एकेडमिक कोर्सेज में दाखिला पाने वाले छात्रों के बीच कॉमर्स सबसे ऊपर था। 

बीच में छात्र राजनीति में गए, ऐसे में फिर अध्यापन की ओर आने का इरादा कैसे बना?
बीकॉम करने के बाद एसआरसीसी कॉलेज से एमकॉम भी किया था। बाद में पीएचडी की। कॉलेज या विश्वविद्यालय में अध्यापन के लिए एमकॉम की मांग होती थी, इसलिए इधर आने का मौका मिला। इसके बाद राष्ट्रीय या क्षेत्रीय राजनीति में आगे नहीं बढ़ा।

इस क्षेत्र में किस-किस तरह का करियर देखते हैं।
कॉमर्स सरकारी और गैर-सरकारी, दोनों क्षेत्रों में नौकरी के सबसे ज्यादा अवसर लेकर सामने आता है। यह विषय इस बात का भी ज्ञान देता है कि आप चाहें तो अपना उद्योग या व्यवसाय भी शुरू कर सकते हैं।

क्या इसमें रचनात्मक काम करने की संभावना है?
अन्य विषयों से हट कर यहां रचनात्मक काम करने की स्पेस खूब है। यह उत्पाद को बाजार तक पहुंचाने और पैसा कमाने का हुनर सिखाता है। इसमें उद्यमी बन कर नए-नए क्षेत्रों में काम करने की भी आजादी होती है। आज युवाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में रचनात्मक काम करने के कई अवसर हैं।

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