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पढ़ें, देवघर में फैली अव्यवस्था के आलम का आंखों देखा हाल, पहले पहुंचने की होड़ में हुआ हादसा?

रविवार की रात को ही कांविरयों की लंबी कतार बेला बगान के पास लगी हुई थी। सुबह के चार बजे थे कि अचानक सूचना मिली कि मंदिर का पट खुल गया। फिर क्या आगे निकलने की होड़ में लोग एक दूसरे पर चढ़ते गए। अंधेरा...

पढ़ें, देवघर में फैली अव्यवस्था के आलम का आंखों देखा हाल, पहले पहुंचने की होड़ में हुआ हादसा?
एजेंसीMon, 10 Aug 2015 07:37 PM
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रविवार की रात को ही कांविरयों की लंबी कतार बेला बगान के पास लगी हुई थी। सुबह के चार बजे थे कि अचानक सूचना मिली कि मंदिर का पट खुल गया। फिर क्या आगे निकलने की होड़ में लोग एक दूसरे पर चढ़ते गए। अंधेरा होने के कारण रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था। जबतक कोई कुछ समझ पाता इस भगदड़ में 11 कांविरयों की मौत हो गई। पुलिस ने भीड़ को संभालने के लिए हल्का लाठीचार्ज भी किया।

बेलाबगान में हर साल कांवरियों की सेवा में लगे रहने वाले बेला बगान बालक संघ के सदस्य सबसे पहले घटनास्थन पर पहुंचे। भगदड़ में घायल कांवरियों की कराह से पूरा इलाका गूंज रहा था। अंधेरे के कारण लोग यह समझ नहीं पा रहे थे कि क्या हो रहा है।

बालक संघ के पप्पू कुमार, कार्तिक कुमार और नवीन शर्मा ने बताया कि पिछले साल भी इसी स्थान पर भगदड़ में दो कांविरयों की मौत हो गई थी। इसका एक प्रमुख कारण यहां की ढाल सड़क है। सड़क पर ढाल रहने के कारण कांवरियां यहां गिरने लगते हैं। इसे बनाने का ज्ञापन सौंपा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। एक घंटे तक घायल कराहते रहे लेकिन प्रशासन की ओर से ऐंबुलेंस नहीं पहुंच पाया।

अव्यवस्था के आलम का आंखों देखा हाल

रविवार शाम से ही देवघर में शहर में अव्यवस्था का आलम था। कावंरियों की बढ़ती भीड़ को देखकर भी प्रशासन सतर्क नहीं हुआ। शाम से ही शहर चल नहीं रेंग रहा था। उपर से कांवरियों की भीड़ बढ़ती जा रही थी। हरिद्वार से रविवार की रात उपासना एक्सप्रेस से जसीडीह स्टेशन पर उतरे संजीव कुमार का कहना है कि दो किलोमीटर रास्ता तय करने में उन्हें कार से तीन घंटे से भी अधिक का समय लगा। जिस तरफ कार जा रही थी, उस तरफ कांवरियों का रेला लगा था। इसके साथ-साथ नो इट्री नहीं रहने के कारण भी शहर में भारी वाहनों का दबाव भी शहर पर था।

देवघर के ही रहने वाले संजीव बताते हैं कि सावन में भीड़ तो यहां के लिए आम बात है, लेकिन रविवार की देर रात जैसी भीड़ पहले  कभी नहीं देखी। ट्रैफिक कंट्रोल के लिए लगाए गए पुलिसकर्मी भी थके-थके से नजर आ रहे थे। संजीव बताते हैं कि  भीड़ कंट्रोल कर रहे पुलिसकर्मियों को लगातार ड्यूटी में लगाए रखे जाने झुंझलाहट भी साफ दिख रही थी। इधर लाइन के आगे बढ़ने के इंतजार में कांवरियों का सब्र टूट रहा था। नतीजा हुआ कि थोड़ी सी पुलिसिया सख्ती पर भीड़ बेकाबू हो गई व भगदड़ में कांवरियों को जान गंवानी पड़ी।

अचानक मच गई चीख-पुकार

कोई साढ़े चार बजे का समय रहा होगा। बेगा बगान इलाके में ही ड्यूटी पर था। अचानक चीख-पुकार और भाग-दौड़ मच गई। कुछ समझने का मौका भी नहीं मिला और देखा कि कतार में लगे लोग भागा-भागी कर रहे हैं। कुछ समझता इसके पहले ही अफरा-तफरी मच गई। ऐसा कहना है ड्यूटी पर तैनात कार्यपालक दंडाधिकारी रामप्रवेश का। वह कहते हैं कि भागाभागी करनेवालों को तुरंत ही रोकने का प्रयास किया। वहां मौजूद पुलिस बल भी लोगों को समझाने में लगे, लेकिन बसकुछ बेकाबू हो गया। लाइन तितर-बितर हो गई। कावंरिया जान- बचाने के लिए इघर-उधर भागने लगे। लाउस्पीकर से लोगों को शांति बनाए रखने तथा घबराने की घोषणा भी की गई। बाद में पता चला कि बगल में ही भगदड़ में कई लोगों को मौत हो गई है। हमलोग भी वहां पहुंचे, लेकिन तब तक सबकुछ खत्म हो गया था।

आंखों देखी: कपिल चौधरी (घायल), 25 साल, शंकरपुर (नालंदा, बिहार)

सुबह के चार-साढ़े चार बजे के बीच कांवरियों की नींद खुली तो सभी एक दूसरे से आगे निकलने के लिए लाइन तोड़ने लगे। मैं भी इसी कतार में लगा था। भीड़ इतनी अधिक थी कि उसे संभालना पुलिस के लिए भी बस की बात नहीं। पीछे से लोग इतनी जोर से धक्का मार रहे थे कि आगे रहने वाले कांवरिये गिरते चले गए। लोग उन्हीं पर चढ़कर आगे बढ़ने लगे। इसी बीच पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज शुरू कर दिया। लाठीचार्ज से बचने के लिए लोग कतार को तोड़कर इधर-उधर भागने लगे। मैं भी इस भगदड़ में गिर पड़ा। धक्का-मुक्की से काफी चोट भी आई लेकिन बाबा का शुक्र है कि मैं बच गया।

प्रशासन की तैयारियों की खुली पोल

सावन मेला से पहले प्रशासन ने कांवरिया पथ में लाइट की व्यवस्था करने का दावा किया था। लेकिन मंदिर से मात्र तीन किलोमीटर दूर घटनास्थल पर भी लाइट की व्यवस्था न होना प्रशासन की तैयारियों की पोल खोलता नजर आया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि अगर वहां रौशनी होती तो घटना इतना भयावह नहीं होती।

लाठी चार्ज से बिगड़ी स्थिति

अस्पताल ले जाए गए कांवरियों ने बताया कि यदि पुलिस शांतिपूर्ण तरीके से भीड़ को नियंत्रित करती तो लोग मान जाते, लेकिन एकाएक लॉठी चार्ज के कारण स्थिति बिगड़ गई। पुलिस लॉठीचार्ज करने के बाद अचानक किनारे हट गई। इसके बाद जान बचाने के लिए सभी एक-दूसरे पर चढ़कर इधर-उधर भागने लगे। जो फिसला वह उठ नहीं सका।

अफवाहों का बोलबाला

बेलाबगान में हुए हादसे की सूचना जब बाबा मंदिर में पहुंची तो वहां भी अफरा-तफरी का माहौल रहा। मंदिर में तो यह सूचना पहुंची कि भगदड़ में 60 लोग मारे गए। कतार में लगे कांविरये अपने परिचितों का हाल जानने के लिए परेशान हो गए। धनबाद से बाबा को जल चढ़ाने पहुंचे नीलकंठ रवानी और राजीव रंजन रवानी उस समय मंदिर परिसर में ही मौजूद थे। नीलकंठ रवानी ने बताया कि दस साल से वह कांवर लेकर जा रहे हैं लेकिन इतनी भीड़ नहीं देखी। भीड़ को संभालने में पुलिस पूरी तरह से लाचार दिखी। इसका फायदा उठाते हुए पॉकेटमारो ने कई कांवरियों की जेब पर हाथ साफ कर लिया।

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