Hindi Newsफायदा छोड़....बाबा की बूटी पीने की होड़
फायदा छोड़....बाबा की बूटी पीने की होड़
मैं कोई चमत्कारी बाबा होने का दावा नहीं करता हूं, लेकिन हां इतना जरूर है कि भोले बाबा की कुछ तो कृपा है कि लोग हजारों की संख्या में आ रहे हैं। यहां बूटी पी रहे हैं और भजन-कीर्तन में भी शामिल हो रहे...
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 08 Oct 2015 11:12 AM
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मैं कोई चमत्कारी बाबा होने का दावा नहीं करता हूं, लेकिन हां इतना जरूर है कि भोले बाबा की कुछ तो कृपा है कि लोग हजारों की संख्या में आ रहे हैं। यहां बूटी पी रहे हैं और भजन-कीर्तन में भी शामिल हो रहे हैं। ये कहना है बाबा भुड़कनाथ का। हालांकि जब वहां मौजूद कुछ लोगों से बात की गई तो उनका कहना था कि अभी तक तो उन्हें बूटी पीने से कोई फायदा नहीं हुआ है। यहां आने वाले लोगों में ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। उनके पास इलाज कराने के लिए ज्यादा पैसा भी नहीं है। वही लोग बूटी पीने के लिए आ रहे हैं।
बूटी का ऐसा मायाजाल कि हर कोई इसको पीना चाहता है। तभी तो लाइन लागाकर बूटी पीने के लिए अपनी बारी का इंतजार करता रहता है। बूटी से होने वाले फायदे के बारे में बुधवार को ‘हिन्दुस्तान’ प्रतिनिधि ने ककरैठा पहुंचकर इसका सच जानने के लिए पड़ताल की। 26 वर्षीय बाबा भुड़कनाथ के शिविर में मौजूद भक्तों से बात की गई तो उनका कहना था कि बूटी पीने के लिए आए हैं। अब देखते हैं कि फायदा होता है कि नहीं। उनमें कुछ तो मरीज ऐसे भी दिखे जो ट्राई साइकिल पर बिठाकर और चारपाई पर लिटाकर लाए गए थे।
एक महिला ने बताया कि यहां कोई खर्चा तो हो नहीं रहा है तो बूटी पीने में क्या परेशानी। हो सकता है फायदा हो जाए। मंदिर के पीछे देखा तो यहां एक पांडाल बनाया गया है। यहां दो कतारों में महिला और पुरुषों को बैठाया गया था। सफेद धोती पहने बाबा भुड़कनाथ सभी के मुंह में दूध डालते जाते हैं। लगभग ढाई घंटे तक यही क्रम चलने के बाद बाबा एकांत में चले गए। बाहर की ओर महिलाएं भजन कीर्तन में लीन थीं। कुछ देर बाद बाबा से बातचीत करने का मौका मिला। कक्ष के अंदर देशी घी के 21 दीपक जल रहे थे।
बातचीत के दौरान बाबा बोले-मैं चमत्कारी हूं या नहीं यह तो यहां आने वाले भक्तों की संख्या से ही पता चल जाएगा। मैं इसका दावा स्वयं नहीं करता। जो सामने है वह सभी को दिखाई दे रहा है। बाबा यही नहीं रुके। उन्होंने कहा कि वह किसी से एक पैसा नहीं लेते हैं। स्वयं तप में लीन रहते हैं। मात्र तीन घंटे सुबह और इतने ही घंटे शाम को दवा पिलाने के लिए लोगों के बीच आते हैं। खाने में केवल गोमूत्र और शर्बत लेते हैं। उनका कहना है कि यदि वे किसी से लेकर कुछ खाएंगे तो उनके मुंह में कीड़े पड़ जाएं। बाबा बताते हैं कि सात साल की उम्र में ही वे घर से निकल गए थे।
276 तत्वों से मिलकर तैयार होती है बूटी
बाबा की बूटी में 276 तत्व मिले हुए हैं। बाबा के मुताबिक बूटी में प्रमुख रूप से जामुन, आम, पालक, लौकी, मौसमी, संतरा, अंगूर सहित अन्य फलों का रस, बबूल, सेमर, नींबू की छाल, नीम की पत्ती को गाय के दूध में पकाया जाता है। उसके बाद बूटी तैयार की जाती है।
भुड़किया गांव में रहे तो पड़ गया नाम
बाबा बताते हैं कि वह गाजीपुर जिले के विश्नूपुरा गांव के रहने वाले हैं। उनके बाबा स्कूल में प्रधानाध्यापक थे। पिता चीनी मिल में फिटर थे। बड़ा भाई प्रमोद पुलिस में सब इंस्पेक्टर है और उससे छोटा प्राइवेट नौकरी करता है। वे घर में सबसे छोटे हैं। उनका नाम मनोज यादव है। पास के ही गांव भुड़किया में रहने के कारण उनका नाम भुड़कनाथ नाम पड़ गया।
लोग झूठी खबरें उड़ा रहे
बाबा से पूछा गया कि उनके साथ रहने वाली लाठी क्या उनकी पत्नी है या नागिन। इस पर उन्होंने कहा कि आपसे किसने कह दिया, ये सब गलत बातें हैं। तो फिर ये बातें कहां से आईं। उनका कहना था कि किसी ने झूठी खबरें उड़ा दी होंगी। लाठी उनके बाबा के समय की है। घोड़े पर बैठकर सोरों में गंगा स्नान करने जाने की बात पर भी उन्होंने इससे इनकार किया। उनका कहना है कि वे कभी भी झूठ और किसी से अपशब्द नहीं बोलते हैं, जिसकी श्रद्धा हो वह आए और जिसकी न हो वह न आए।
एक आवाज और कई किलोमीटर से दौड़ी चली आईं गायें
बाबा से जब ये पूछा गया कि एक आवाज में किस तरह से गाय उनके पास दौड़ी चलती आती हैं। इस पर वे यमुना पारकर कई किलोमीटर दूर विचरण कर रही गायों को बुलाने पहुंच गए। उन्होंने एक आवाज दी और गायों का झुंड भागकर यमुना पार करते हुए उनके पास पहुंच गया। बाबा का कहना है कि वे गायों के बीच रहते हैं। उनकी सेवा करते हैं। गायें भी उनके शरीर को चाटती हैं।
सैफई से क्या है कनेक्शन
ये पूछे जाने पर कि उनका सैफई से क्या कनेक्शन है बाबा बोले कि वे प्रदेश के कई शहरों में शिविर लगा चुके हैं। बड़े-बड़े लोग शिविर में आए हैं। मैनपुरी में भी लगाया था। हो सकता है वहां सैफई के लोग आए हों। भक्त कहीं का भी हो सकता है। आगरा में सपा जिलाध्यक्ष रामसहाय यादव, दिलीप प्रताप, राम नरायन, कृष्णा यादव का उन्हें सहयोग मिल रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सैफई से फोन आने के बाद प्रशासन और पुलिस के अधिकारी भी किसी कार्रवाई से डर रहे हैं।
पार्षद ने संभाली व्यवस्थाएं
क्षेत्रीय पार्षद मुकेश यादव ने बाबा के शिविर को देखते हुए कुछ लोगों को उनकी सेवा में लगा दिया है। साथ ही खाने की व्यवस्था ठीक रहे और स्वच्छता का भी पूरा ध्यान रखा जाए। इसके लिए अलग से व्यवस्था की है। वे स्वयं भी शिविर में जाकर व्यवस्थाओं को देख रहे हैं।
जहर पीकर हो रहे सही, तुम्हें क्या दिक्कत
ककरैठा में लगे आस्था के मेले में बुधवार को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की टीम पहुंची तो सही, लेकिन बाबा के भक्तों ने खाली हाथ लौटा दिया। बाबा के भक्तों ने टीम को देखते ही घेर लिया। भक्तों के रुख को देखते हुए टीम सफाई के साथ घोल बनाने के निर्देश देकर वापस लौट आई।
बाबा कढ़ाई में घोल बनाकर बीमारों को पिलाते हैं। बीमारी को ठीक करने के लिए लोग बाबा का घोल पीने बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। बाबा के घोल में क्या है इसकी जांच करने के लिए फूड और ड्रग विभाग के अधिकारी सुबह 10 बजे पहुंचे। टीम को देखते ही बाबा के भक्तों ने मोर्चा संभाल लिया। धीरे-धीरे सैकड़ों लोग टीम के आसपास इकट्ठा होने लगे।
एक साथ अधिकारियों से बात करने लगे। बोलने लगे बाबा जहर बनाकर पिला रहे हैं? लोग ठीक हो रहे हैं, तभी तो लोग यहां आ रहे हैं, तुम्हें क्या दिक्कत है। बाबा के भक्तों का रुख देखते हुए टीम सफाई के साथ घोल बनाने के निर्देश देकर वापस लौट आई। टीम में अभिहीत अधिकारी रामनरेश यादव, सीएफएसओ सर्वेश मिश्रा, एफएसओ मुकेश शर्मा, रामचंद्र यादव और ड्रग इंस्पेक्टर रमेश चंद्र यादव शामिल रहे। अभिहीत अधिकारी ने बताया कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट डीएम को दे दी है।
बूटी का ऐसा मायाजाल कि हर कोई इसको पीना चाहता है। तभी तो लाइन लागाकर बूटी पीने के लिए अपनी बारी का इंतजार करता रहता है। बूटी से होने वाले फायदे के बारे में बुधवार को ‘हिन्दुस्तान’ प्रतिनिधि ने ककरैठा पहुंचकर इसका सच जानने के लिए पड़ताल की। 26 वर्षीय बाबा भुड़कनाथ के शिविर में मौजूद भक्तों से बात की गई तो उनका कहना था कि बूटी पीने के लिए आए हैं। अब देखते हैं कि फायदा होता है कि नहीं। उनमें कुछ तो मरीज ऐसे भी दिखे जो ट्राई साइकिल पर बिठाकर और चारपाई पर लिटाकर लाए गए थे।
एक महिला ने बताया कि यहां कोई खर्चा तो हो नहीं रहा है तो बूटी पीने में क्या परेशानी। हो सकता है फायदा हो जाए। मंदिर के पीछे देखा तो यहां एक पांडाल बनाया गया है। यहां दो कतारों में महिला और पुरुषों को बैठाया गया था। सफेद धोती पहने बाबा भुड़कनाथ सभी के मुंह में दूध डालते जाते हैं। लगभग ढाई घंटे तक यही क्रम चलने के बाद बाबा एकांत में चले गए। बाहर की ओर महिलाएं भजन कीर्तन में लीन थीं। कुछ देर बाद बाबा से बातचीत करने का मौका मिला। कक्ष के अंदर देशी घी के 21 दीपक जल रहे थे।
बातचीत के दौरान बाबा बोले-मैं चमत्कारी हूं या नहीं यह तो यहां आने वाले भक्तों की संख्या से ही पता चल जाएगा। मैं इसका दावा स्वयं नहीं करता। जो सामने है वह सभी को दिखाई दे रहा है। बाबा यही नहीं रुके। उन्होंने कहा कि वह किसी से एक पैसा नहीं लेते हैं। स्वयं तप में लीन रहते हैं। मात्र तीन घंटे सुबह और इतने ही घंटे शाम को दवा पिलाने के लिए लोगों के बीच आते हैं। खाने में केवल गोमूत्र और शर्बत लेते हैं। उनका कहना है कि यदि वे किसी से लेकर कुछ खाएंगे तो उनके मुंह में कीड़े पड़ जाएं। बाबा बताते हैं कि सात साल की उम्र में ही वे घर से निकल गए थे।
276 तत्वों से मिलकर तैयार होती है बूटी
बाबा की बूटी में 276 तत्व मिले हुए हैं। बाबा के मुताबिक बूटी में प्रमुख रूप से जामुन, आम, पालक, लौकी, मौसमी, संतरा, अंगूर सहित अन्य फलों का रस, बबूल, सेमर, नींबू की छाल, नीम की पत्ती को गाय के दूध में पकाया जाता है। उसके बाद बूटी तैयार की जाती है।
भुड़किया गांव में रहे तो पड़ गया नाम
बाबा बताते हैं कि वह गाजीपुर जिले के विश्नूपुरा गांव के रहने वाले हैं। उनके बाबा स्कूल में प्रधानाध्यापक थे। पिता चीनी मिल में फिटर थे। बड़ा भाई प्रमोद पुलिस में सब इंस्पेक्टर है और उससे छोटा प्राइवेट नौकरी करता है। वे घर में सबसे छोटे हैं। उनका नाम मनोज यादव है। पास के ही गांव भुड़किया में रहने के कारण उनका नाम भुड़कनाथ नाम पड़ गया।
लोग झूठी खबरें उड़ा रहे
बाबा से पूछा गया कि उनके साथ रहने वाली लाठी क्या उनकी पत्नी है या नागिन। इस पर उन्होंने कहा कि आपसे किसने कह दिया, ये सब गलत बातें हैं। तो फिर ये बातें कहां से आईं। उनका कहना था कि किसी ने झूठी खबरें उड़ा दी होंगी। लाठी उनके बाबा के समय की है। घोड़े पर बैठकर सोरों में गंगा स्नान करने जाने की बात पर भी उन्होंने इससे इनकार किया। उनका कहना है कि वे कभी भी झूठ और किसी से अपशब्द नहीं बोलते हैं, जिसकी श्रद्धा हो वह आए और जिसकी न हो वह न आए।
एक आवाज और कई किलोमीटर से दौड़ी चली आईं गायें
बाबा से जब ये पूछा गया कि एक आवाज में किस तरह से गाय उनके पास दौड़ी चलती आती हैं। इस पर वे यमुना पारकर कई किलोमीटर दूर विचरण कर रही गायों को बुलाने पहुंच गए। उन्होंने एक आवाज दी और गायों का झुंड भागकर यमुना पार करते हुए उनके पास पहुंच गया। बाबा का कहना है कि वे गायों के बीच रहते हैं। उनकी सेवा करते हैं। गायें भी उनके शरीर को चाटती हैं।
सैफई से क्या है कनेक्शन
ये पूछे जाने पर कि उनका सैफई से क्या कनेक्शन है बाबा बोले कि वे प्रदेश के कई शहरों में शिविर लगा चुके हैं। बड़े-बड़े लोग शिविर में आए हैं। मैनपुरी में भी लगाया था। हो सकता है वहां सैफई के लोग आए हों। भक्त कहीं का भी हो सकता है। आगरा में सपा जिलाध्यक्ष रामसहाय यादव, दिलीप प्रताप, राम नरायन, कृष्णा यादव का उन्हें सहयोग मिल रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सैफई से फोन आने के बाद प्रशासन और पुलिस के अधिकारी भी किसी कार्रवाई से डर रहे हैं।
पार्षद ने संभाली व्यवस्थाएं
क्षेत्रीय पार्षद मुकेश यादव ने बाबा के शिविर को देखते हुए कुछ लोगों को उनकी सेवा में लगा दिया है। साथ ही खाने की व्यवस्था ठीक रहे और स्वच्छता का भी पूरा ध्यान रखा जाए। इसके लिए अलग से व्यवस्था की है। वे स्वयं भी शिविर में जाकर व्यवस्थाओं को देख रहे हैं।
जहर पीकर हो रहे सही, तुम्हें क्या दिक्कत
ककरैठा में लगे आस्था के मेले में बुधवार को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की टीम पहुंची तो सही, लेकिन बाबा के भक्तों ने खाली हाथ लौटा दिया। बाबा के भक्तों ने टीम को देखते ही घेर लिया। भक्तों के रुख को देखते हुए टीम सफाई के साथ घोल बनाने के निर्देश देकर वापस लौट आई।
बाबा कढ़ाई में घोल बनाकर बीमारों को पिलाते हैं। बीमारी को ठीक करने के लिए लोग बाबा का घोल पीने बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। बाबा के घोल में क्या है इसकी जांच करने के लिए फूड और ड्रग विभाग के अधिकारी सुबह 10 बजे पहुंचे। टीम को देखते ही बाबा के भक्तों ने मोर्चा संभाल लिया। धीरे-धीरे सैकड़ों लोग टीम के आसपास इकट्ठा होने लगे।
एक साथ अधिकारियों से बात करने लगे। बोलने लगे बाबा जहर बनाकर पिला रहे हैं? लोग ठीक हो रहे हैं, तभी तो लोग यहां आ रहे हैं, तुम्हें क्या दिक्कत है। बाबा के भक्तों का रुख देखते हुए टीम सफाई के साथ घोल बनाने के निर्देश देकर वापस लौट आई। टीम में अभिहीत अधिकारी रामनरेश यादव, सीएफएसओ सर्वेश मिश्रा, एफएसओ मुकेश शर्मा, रामचंद्र यादव और ड्रग इंस्पेक्टर रमेश चंद्र यादव शामिल रहे। अभिहीत अधिकारी ने बताया कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट डीएम को दे दी है।