महागठबंधन में विलय 'डेथ वारन्ट' पर दस्तखत जैसा: सपा
समाजवादी पार्टी (सपा) ने कहा है कि महागठबंधन में पार्टी के विलय का निर्णय 'डेथ वारन्ट' पर दस्तखत करने जैसा होता। महागठबंधन से अलग होते ही पार्टी महासचिव राम गोपाल यादव ने आज कहा कि गठबंधन तो टूटना ही...
समाजवादी पार्टी (सपा) ने कहा है कि महागठबंधन में पार्टी के विलय का निर्णय 'डेथ वारन्ट' पर दस्तखत करने जैसा होता। महागठबंधन से अलग होते ही पार्टी महासचिव राम गोपाल यादव ने आज कहा कि गठबंधन तो टूटना ही था, क्योंकि गठबंधन में पार्टियों का विलय संभव नहीं था, क्योंकि एक बार विलय हो जाने पर पार्टी का झंडा और चुनाव चिन्ह फिर कभी नहीं मिल पाता। उन्होंने कहा कि वह गठबंधन में सपा को विलय करने के हमेशा से खिलाफ थे, क्योंकि विलय का मतलब डेथ वारन्ट पर दस्तखत करने जैसा था।
गौरतलब है कि मोदी मैजिक से मुकाबले के लिये गठित जनता परिवार के बिखराव पर मुहर लगाते हुए उसके सबसे बड़े घटक समाजवादी पार्टी (सपा) ने आज बिहार विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया। सपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रवक्ता रामगोपाल यादव ने पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव की अध्यक्षता में हुई दल के संसदीय बोर्ड की बैठक में लिये गये इस निर्णय की जानकारी देते हुए संवाददाताओं को बताया कि सपा को बिहार विधानसभा चुनाव में दो और पांच सीटों के प्रस्ताव मिलने से अपना अपमान महसूस हुआ।
उन्होंने कहा कि जनता परिवार के अन्य प्रमुख घटक दलों का यह फर्ज था कि सीटों का बंटवारा करने से पहले सपा से बातचीत करते। उसे तो इस बारे में जानकारी मीडिया के जरिये मिली। यह गठबंधन धर्म नहीं है। इससे पार्टी ने खुद को अपमानित महसूस किया, इसीलिये उसने कार्यकर्ताओं की भावना का सम्मान करते हुए बिहार में अपने बलबूते पूरी ताकत से चुनाव लड़ने का फैसला किया।
जनता परिवार के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर यादव ने कहा कि जब उसके गठन की कवायद शुरू हुई थी, तभी उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस करके कहा था कि वह सपा के डेथ वारंट पर दस्तखत नहीं करेंगे। यादव ने बताया कि सपा को उसके सहयोगी दल जितनी सीटें दे रहे थे, उससे कहीं ज्यादा तो सपा अपने बलबूते जीतेगी। सपा प्रवक्ता ने कहा कि जनता परिवार कभी एक नहीं हो पाया, मगर इसका जिम्मेदार कौन है, इस बारे में वह कुछ नहीं कहना चाहते। उन्होंने कहा कि सपा बिहार में जरूरत पड़ने पर कुछ अन्य दलों से सहयोग लेगी। पार्टी की बिहार इकाई के अध्यक्ष रामचंद्र यादव कुछ दलों से बातचीत कर रहे हैं। सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का निर्णय बातचीत की यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लिया जाएगा।
जनता परिवार के टूटने से साम्प्रदायिक शक्तियों का हौसला बढ़ने सम्बन्धी सवाल पर यादव ने कहा मैं आपसे जानना चाहता हूं कि क्या मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में धर्मनिरपेक्ष मतों का विभाजन हुआ और भाजपा जीती अगर विभाजन की वजह से जीत-हार होती तो हम यहां वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में क्यों जीतते। (बिहार में) धर्मनिरपेक्ष ताकतों के बीच में ही लड़ाई है। यह कोई तर्क नहीं है।
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से अपनी मुलाकात और उसमें नोएडा के पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह भ्रष्टाचार प्रकरण में कोई डील होने के बारे में पूछने पर यादव ने कहा यादव सिंह मामले में हमें क्या डर है। किसी ने गड़बड़ की है तो उसके खिलाफ जांच होनी चाहिये, और लोगों के खिलाफ भी जांच होनी चाहिये। यादव सिंह किनका नजदीकी अधिकारी रहा है, यह आप भी जानते हैं और हम भी जानते हैं। उन्होंने कहा उत्तर प्रदेश में जिस तरह का मामला चल रहा था, जिस तरह से राज्य सरकार के कामकाज में अडंम्गे डाले जा रहे हैं, यह नौबत आयेगी तो हम अन्ततोगत्वा राष्ट्रपति से भी मिल चुके थे और अब प्रधानमंत्री से भी मिले। जरूरत पड़ेगी तो फिर मिलेंगे।