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नेताजी को छूट रहे पसीने, आम जनता ले रही मजे

बिहार यात्रा के क्रम में हम सांस्कृतिक रूप से समुन्नत बिहार के दो महत्वपूर्ण जिले, मधुबनी और सुपौल में थे। प्राचीनकाल में यहां के वनों में मधु (शहद) अधिक पाए जाते थे इसीलिए इसका नाम मधु + बनी (वनी)...

नेताजी को छूट रहे पसीने, आम जनता ले रही मजे
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 08 Oct 2015 09:57 AM
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बिहार यात्रा के क्रम में हम सांस्कृतिक रूप से समुन्नत बिहार के दो महत्वपूर्ण जिले, मधुबनी और सुपौल में थे। प्राचीनकाल में यहां के वनों में मधु (शहद) अधिक पाए जाते थे इसीलिए इसका नाम मधु + बनी (वनी) पड़ा। एक मान्यता यह भी है कि मधुर वाणी से मधुबनी हुआ। मधुबनी की चित्रकला और यहां का मखाना दुनियाभर में बिहार समेत हिन्दुस्तान का सम्मान बढ़ाता है।
 
मधुबनी जिले का गठन 1972 में दरभंगा के विघटन के बाद हुआ। वहीं सुपौल नब्बे के दशक के बाद (1991) सहरसा से अलग हुआ। आज भी इसकी ख्याति इसी रूप में है सहरसा-सुपौल। सुपौल के जनजीवन में जहां कोसी महासेतु से क्रांति आयी है वहीं कोसी का दंश भोगने की बेबसी भी जस-की-तस है। छातापुर प्रखंड में सुरसंड नदी पर चचरी पुल होकर लोग गुजरते हैं। बरसात में चचरी बह जाती है और आवागमन ठप हो जाता है। वहीं मधुबनी के लोग कहते हैं कि सकरी, लोहट और रैयाम चीनी मिलों के बंद रहने से ईख किसान फसल बदलने को मजबूर हुए हैं। केन्द्र की बेरुखी से कोसी नहर परियोजना पूरी नहीं हुई है। दरभंगा-जयनगर एनएच-105 और फुलपरास के नरहिया से सीतामढ़ी के कुम्हा बाजार तक एनएच-104 की दयनीयता से लोगबाग परेशान हैं। 1997 में राज्यपाल द्वारा राजनगर में उद्घाटित कृषि महाविद्यालय अबतक आकार भी नहीं ले सका है।

काली से कालिदास बनने की कथा यहीं के उचैठ (बेनीपट्टी) स्थान से जुड़ी है। महाकवि विद्यापति, वाचस्पति मिश्र, मंडन मिश्र सरीखे अनगिनत उद्भट विद्वानों की इस धरती पर लोगों की राजनीतिक-वैश्विक समझ आंकनी हो तो रात को बीबीसी की खास रपटों को बड़े ही चाव से सुनते और उसपर चर्चा करते किसी गांव के सामान्य किसान भी आपको मिल सकते हैं। चुनावी मौसम में फिलहाल यहां राज्य के किसी भी जिले और सीट के सामाजिक समीकरण से लेकर सरकार बनाने तक की बहस आम है। मधुबनी की 10 और सुपौल की 5 विधानसभा सीटों पर पांचवें चरण में 5 नवम्बर को वोट पड़ने हैं, लेकिन उम्मीदवारों का क्षेत्र में दर-दरवाजे वोट की मिन्नत-आरजू शुरू है। मधुबनी में जो किसी भी दल से बेटिकट हुए हैं वे उस सीट पर रिजल्ट को प्रभावित करने में जुटे हैं। प्रभाव दोनों तरफ पड़ सकता है। वामपंथ की उर्वर जमीन रही मधुबनी में इस घटक की ओर से भी एक कोण बनने की कोशिशें जारी हैं। यहां के वोटर सबको सुन रहे हैं, सबको जीत का आशीष और उन्हें ही समर्थन का भरोसा भी दे रहे हैं। प्रत्याशियों को पसीना बहाता देख मजे भी ले रहे हैं।

हम मिथिला पेंटिंग को देश-दुनिया में पहुंचाने और जगदम्बा देवी (1970) और सीता देवी (1980) जैसी पद्मश्री देने वाले गांव जितवारपुर पहुंचे। तीसरी पद्मश्री गंगा देवी रसीदपुर की हैं। जितवारपुर में मिले कमल नारायण कर्ण। जगदम्बा जी इनकी चाची थीं। कर्ण कहते हैं पिछले दस वर्ष में इस गांव का इंच-इंच बदल गया। अच्छी सड़कें बनीं तो मधुबनी से बिजली आ गयी। मिथिला पेंटिंग से ही यह पूरा गांव फूस से ईंट के मकान में तब्दील हो गया है। नीतीश कुमार ने इस कला को बहुत आगे बढमया लेकिन अब भी बाजार नहीं मिलने से कलाकार बिचौलियों पर ही निर्भर हैं। फुलपरास विधानसभा के सिसवा-बरही चौक पर चाय दुकानदार कल्पू साह कहते हैं सभी तो अपने हैं। जो आते हैं उन्हीं को कहता हूं आपको मेरा समर्थन है। हमरे पास वोट तो एके गो है न। साह ने कहा, पब्लिक को कम नहीं आंकना चाहिए। 5 साल लोग अपने और क्षेत्र के काम के लिए नेताजी के पास दौड़ते रहे, अब नेताजी लोग दौड़ रहे हैं। जो जीते वह पांच साल जनता का ध्यान रखे तो उसे चुनाव में अपस्यांत (परेशान) होने की जरूरत कहां है। सिसवा-बरही वह गांव है जहां के देवेन्द्र यादव और देवनाथ यादव दोनों हैं। हरलाखी विधानसभा के साहरघाट में फरीद आलम मिलते हैं। उनका मानना है कि अभी गेंद जनता के पाले में है। वह देखेगी कि कौन ‘लायल’ रहेगा। लोहा में मिले बासुकीनाथ झा का मानना था कि मधुबनी में भाजपा का ठीक रहेगा तो कौशल किशोर ने कहा महागठबंधन और खासकर कांग्रेस बेहतर परिणाम पायेगा। दूल्हों का मेला के रूप में ख्यात सौराठ सभागाछी के चन्द्रकांत झा ने मैथिली में प्रतिक्रिया दी-‘अखन देखियो, आगू-आगू की होइत छैक। तेकरा बाद ने लोक निर्णय लेत’। झंझारपुर विधानसभा के मेहथ में मिले रिटायर्ड फौजी सुखनंदन जी ने कहा, अभी बाजी किस ओर पलटेगी कोई नहीं जानता। कोसी महासेतु के बाद भपटियाही चौक पर मिली शिक्षिका बबीता कुमारी ने कहा, सरकार के कामकाज से लोग खुश हैं। रुझान नीतीश कुमार की ओर अधिक है।

बेहतर हुई बिजली की व्यवस्था
कोसी महासेतु बन जाने से जिले के गांव सुपौल से जुड़ सके, नहीं तो आना मुश्किल था। चिकनी गांव के राजशेखर और विकास ने कहा बिजली व्यवस्था बेहतर हुई है। अरुण शाह मानते हैं कि निर्मली विस में पप्पू यादव की पार्टी कुछ असर डालेगी। एनएच-57 पर ही रामपुर कोपहा नाच पार्टी के युवा डांसर सागिर रजा मिलते हैं। अपने ही अंदाज में जुल्फ लहराते कहते हैं, पहली बार वोट डालेंगे। हमरे गांव में पहली बार रोड आया, स्कूल खुला तो वोट तो डालबे करेंगे। उन्होंने कहा, सीएम के लिए नीतीश कुमार ही सबसे योग्य हैं। डांसर सागिर फिर गाना सुनाते हैं, वोट को लेकर जागरूकता के गीत-‘जो बांटे दारू-साड़ी, उसको वोट कभी नहीं देंगे’ और अब बैठे नहीं रहेंगे, वोट जरूर देंगे’।

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