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दिल्ली हाई कोर्ट ने लाइसेंस मामले में उबर को कोई अंतरिम राहत नहीं दी

दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में टैक्सियां चलाने के लाइसेंस का आवेदन खारिज होने के खिलाफ ऐप आधारित टैक्सी सेवा कंपनी उबर की याचिका पर कोई अंतरित राहत देने से इनकार कर दिया और कहा कि अगर...

दिल्ली हाई कोर्ट ने लाइसेंस मामले में उबर को कोई अंतरिम राहत नहीं दी
एजेंसीWed, 17 Jun 2015 06:00 PM
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में टैक्सियां चलाने के लाइसेंस का आवेदन खारिज होने के खिलाफ ऐप आधारित टैक्सी सेवा कंपनी उबर की याचिका पर कोई अंतरित राहत देने से इनकार कर दिया और कहा कि अगर उबर के पास कोई परमिट नहीं है तो उसे अपनी टैक्सियां नहीं चलानी चाहिए।

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने उबर इंडिया टेक्नोलोजी प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस से आठ जुलाई तक जवाब मांगा है कि लाइसेंस के लिए उसका आवेदन रदद करने का तीन जून का आदेश निरस्त किया जाए।

दिल्ली सरकार ने उबर का लाइसेंस आवेदन रदद करते हुये कहा था कि यह हाल में संशोधित रेडियो टैक्सी स्कीम के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है।

उबर की एक टैक्सी के ड्राइवर ने पिछले साल दिसंबर में कथित रूप से एक वित्त कार्यकारी का कथित रूप से बलात्कार कर दिया था। इसके बाद राष्ट्रीय राजधानी में ऐप आधारित टैक्सी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया था और रेडियो टैक्सी स्कीम में संशोधन किया गया।

संशोधित स्कीम ने लाइसेंस प्रदान करने के लिए मीटर, जीपीएस उपकरण, सीएनजी समेत कई चीजें अनिवार्य कर दी हैं।

उबर की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लुथरा ने कहा कि उनका मामला दो अन्य कंपनियों- अपरा कैब्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और सेरेन्डीपिटी इन्फोलैब्स प्राइवेट लिमिटेड (टैक्सी फॉर श्योर) के ही समान है जिनका लाइसेंस के लिए आवेदन दिल्ली सरकार ने तीन जून को खारिज कर दिया था।

लुथरा ने उन के साथ बराबरी चाही क्योंकि उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ ने उन दोनों कंपनियों के लाइसेंस आवेदन रदद करने के कदम को निरस्त कर दिया था और उनके खिलाफ कार्रवाई को अमान्य करार दिया था।

हालांकि अदालत ने सरकार और पुलिस से जवाब मिलने तक कोई अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया, जब उबर के वकील ने मामले पर जल्दी सुनवाई का आग्रह किया तो मामले को सुनवाई के लिए आठ जुलाई को सूचीबद्ध कर दिया।

अदालत ने यह कहते हुए जून में कोई तारीख नहीं दी कि खुद कंपनी का कहना है कि उसकी टैक्सियां पिछले छह महीने से नहीं चल रही है।

अदालत ने उबर को कहा, अगर आपके पास कोई लाइसेंस नहीं है तो माना जाता है कि आप टैक्सियां नहीं चलाएंगे।

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि ऐप आधारित टैक्सियों के परिचालन से जुड़े अन्य मामले सुनवाई के लिए 22 जुलाई को सूचीबद्ध हैं। उन्होंने आग्रह किया कि यह याचिका भी तभी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाए।

इसके जवाब में अदालत ने कहा कि संबंधित खंडपीठ आठ जुलाई को फैसला करेगी कि उबर की याचिका की सुनवाई कब की जाए।

उल्लेखनीय है कि 12 जून को उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने उबर की याचिका की सुनवाई करने से इनकार कर दिया था और उसे दूसरी खंडपीठ के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया था।

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