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राजनीतिक विरासत को आगे नहीं बढ़ा सके कई पूर्व विधायकों के वंशज

राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद के विरोध का अब कोई मायने नहीं रहा। एक तरह से लगभग सभी दलों ने इससे समझौता कर लिया है। शायद यही कारण है कि वर्तमान राजनीति में उन सभी नेताओं की दूसरी पीढ़ी भी पूरी तरह...

राजनीतिक विरासत को आगे नहीं बढ़ा सके कई पूर्व विधायकों के वंशज
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 07 Sep 2015 10:40 AM
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राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद के विरोध का अब कोई मायने नहीं रहा। एक तरह से लगभग सभी दलों ने इससे समझौता कर लिया है। शायद यही कारण है कि वर्तमान राजनीति में उन सभी नेताओं की दूसरी पीढ़ी भी पूरी तरह सक्रिय हैं जिनकी राजनीति की शुरुआत ही वंशवाद और परिवादवाद के विरोध में हुई थी। इससे इतर मुजफ्फरपुर जिले में आज भी कई ऐसे परिवार हैं जिनके पुरखे आजादी के आंदोलन से लेकर आजादी के बाद सत्ता की राजनीति में भी अपना सानी रखते थे, लेकिन आज उनके परिवार के सदस्य उनकी राजनीतिक विरासत संभालने के बजाय राजनीति से दूर हैं। एक-दो नेताओं को अपवाद के रूप में छोड़ दें तो किसी की जयंती या फिर पुण्यतिथि भी नहीं मनायी जाती है। आजादी के बाद हुए पहले विस चुनाव से लेकर सातवें चुनाव पर नजर डाली जाये तो कई ऐसे विधायक मिलेंगे जो अपने जमाने में जुझारू और लोकप्रिय माने जाते थे, लेकिन उनकी राजनीति उन्हीं तक सीमित रही। इस वजह से वैसे नेताओं के परिवार का कोई भी सदस्य सक्रिय नहीं दिखता है। एक तरह से ऐसे पूर्व विधायकों का परिवार राजनीति से अलग हैं। एक-दो लोगों का परिवार ही सक्रिय राजनीति में है। बताने की आवश्यकता नहीं है कि मुजफ्फरपुर से विधायक रहे महामाया प्रसाद सिन्हा बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं लेकिन आज उनको न तो कोई याद भी नहीं करता है और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य राजनीति में दिखता है।

कलम के जादूगर के नाम से प्रसिद्ध रामवृक्ष बेनीपुरी तत्कालीन कटरा उत्तरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने जाते थे। तब के प्रखर समाजवादी नेताओं में उनको शुमार किया जाता था लेकिन उनके बाद उनकी पीढ़ी राजनीति से दूर है। अलबत्ता उनके परिवार के लोग सामाजिक व साहित्यिक गतिविधि में जरूर अपनी महती भूमिका निभाते हैं। तत्कालीन कटरा दक्षिणी से विधायक चुने गये नीतीश्वर प्रसाद सिंह, बरूराज से विधायक चुने गये रामचन्द्र प्रसाद शाही, कुढनी से विधायक चुने गये कृष्णनंदन सहाय व साधुशरण शाही, कांटी से विधायक चुने गये ठाकुर प्रसाद सिंह, औराई से विधायक चुने गये चन्द्र माधव सिंह, मीनापुर से विधायक चुने गये महंथ रामकिशोर दास, जनक सिंह व जनकधारी कुशवाहा समेत कई ऐसे नाम हैं जिनके परिवार के सदस्य राजनीति से दूर हैं। बृजनंदन प्रसाद सिंह, रामचंद्र शाही, कपिलदेव नारायण सिंह, नवल किशोर सिंह, हरिहर शरण दत्त, जनक सिंह, मथुरा प्रसाद सिंह, नीतीश्वर प्रसाद सिंह, शिवनंदन राम, यमुना प्रसाद त्रिपाठी, चन्दू राम, कपिलदेव प्रसाद सिन्हा, रामगुलाम चौधरी, महामाया प्रसाद सिन्हा, रामजन्म ओझा, रामवृक्ष बेनीपुरी, महेश सिंह, मोहनलाल गुप्ता, चन्द्र माधव सिंह, पांडव राय, शिवशरण सिंह, नवलकिशोर सिंह, शुकदेव गिरि, सीताराम रजक, महंथ रामकिशोर दास, वीरेन्द्र कुमार सिंह, यदुनंदन सिंह, हरिहर प्रसाद शाही, नेवालाल चौधरी, रामदेव शर्मा, सीताराम रजक, यमुना सिंह, शंभुशरण शाही, हीरालाल पासवान, रामबाबू सिंह, फकीरचंद राम, नलिनी रंजन सिंह, रामपरीक्षण साहू, जितेन्द्र प्रसाद सिंह, श्याम कुमार सिंह, शिवनंदन पासवान, भाग्य नारायण राय, विनोदानंद सिंह, ठाकुर प्रसाद सिंह, बालेन्द्र सिंह, शशि कुमार राय आदि मुजफ्फरपुर के विभिन्न विस क्षेत्रों से विधायक चुने गये थे। इनमें चार-पांच को छोड़कर किसी के परिवार के सदस्य राजनीति में सक्रिय नहीं है। इनमें कई तो ऐसे हैं जिनके बारे में वर्तमान पीढ़ी को पता भी नहीं होगा कि ये कभी विधायक हुआ करते थे।

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