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नाटक के जरिए धरती का दर्द बयां करेंगे भारतीय

जलवायु परिवर्तन के वैश्विक खतरों पर मंथन के लिए कोपेनहेगन में जमा होने वाले नेताओं को धरती की पीड़ा से अवगत कराने के लिए भारतीय छात्रों के एक समूह ने नाट्य मंचन का सहारा लेने की योजना बनाई...

नाटक के जरिए धरती का दर्द बयां करेंगे भारतीय
एजेंसीSat, 05 Dec 2009 01:59 PM
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जलवायु परिवर्तन के वैश्विक खतरों पर मंथन के लिए कोपेनहेगन में जमा होने वाले नेताओं को धरती की पीड़ा से अवगत कराने के लिए भारतीय छात्रों के एक समूह ने नाट्य मंचन का सहारा लेने की योजना बनाई है।

कोपेनहेगन में सात से 18 दिसंबर तक होने वाले इस जमावड़े में दुनिया भर के नेता शिरकत करेंगे। आईटी क्रांति की धरती बेंगलुरु के छात्रों ने इन नेताओं को पर्यावरण खतरों से नाटक के जरिए अवगत कराने की योजना बनाई है।

यहां स्थित क्राइस्ट यूनिवर्सिटी के चार छात्र डेनमार्क की राजधानी में होने वाले शिखर सम्मेलन के मौके पर 'लाइफ एंड डेथ' नामक नाटक का मंचन करेंगे। सामाजिक कार्य विषय में स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष के इन चार छात्रों के नाम तृणा वेणुगोपाल, सुप्रिया नायक, कस्तूरी मित्रा एवं कविता वेणुगोपाल है।

उन्होंने एक घंटे के इस नाटक को अंग्रेजी में प्रस्तुत करने की योजना बनाई है। इसका 15 बार मंचन करने की योजना बनाई गई है। नाटक की पटकथा तृष्णा ने लिखी है। उन्होंने इस संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा, ''नाटक के जरिए धरती की वर्तमान पीड़ा एवं भावी विनाश के प्रति हम नेताओं एवं आम लोगों को आगाह करेंगे। हम प्रकृति के विनाश का मूकदर्शक बने नहीं रह सकते।
उन्होंने कहा कि इसमें इंसान के हाथों धरती के विनाश पर रोशनी डाली जाएगी। नाटक में इंसान को प्रकृति के विनाश पर पछतावा करते दिखाया जाएगा।''

इस टीम में शामिल कस्तूरी का कहना है, ''दुनिया की प्राकृतिक संपदा को विकास के नाम पर बर्बाद किया जा रहा है। हमारे शहर में जहां कभी हरियाली का साम्राज्य हुआ करता था, आज वहां कंक्रीट का जंगल है। हम अपने लोभ के लिए प्रकृति के दर्द को समझने की कोशिश नहीं करते। बेंगलुरु में विकास के नाम पर पेड़ों को काटे जाने की घटनाओं से हमें इस नाटक की प्रेरणा मिली। इसमें संदेश देने के लिए नृत्य एवं संगीत का भी व्यापक पुट दिया गया है।''

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