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चैंपियंस ट्रॉफी का कौन कितना बड़ा दावेदार

आईसीसी चैंपियंस ट्राफी में कुल आठ टीमें खिताब के लिए जोर आजमाइश करती नजर आएंगी। सभी टीमें एक से बढ़कर एक हैं। किसी की बल्लेबाजी शानदार है तो किसी को गेंदबाजी में महारत हासिल है। कुछ टीमें फील्डिंग की...

चैंपियंस ट्रॉफी का कौन कितना बड़ा दावेदार
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 28 Sep 2009 10:03 AM
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आईसीसी चैंपियंस ट्राफी में कुल आठ टीमें खिताब के लिए जोर आजमाइश करती नजर आएंगी। सभी टीमें एक से बढ़कर एक हैं। किसी की बल्लेबाजी शानदार है तो किसी को गेंदबाजी में महारत हासिल है। कुछ टीमें फील्डिंग की बदौलत मैच का रुख बदलने का माद्दा रखती हैं। हम आपको बता रहे हैं इन आठों टीमों के मजबूत और कमजोर पक्ष।

भारत


महेंद्र सिंह धोनी (कप्तान), युवराज सिंह, राहुल द्रविड़, गौतम गंभीर, हरभजन सिंह, दिनेश कार्तिक, प्रवीण कुमार, अमित मिश्रा, अभिषेक नायर, आशीष नेहरा, यूसुफ पठान, सुरेश रैना, ईशांत शर्मा, आरपी सिंह और सचिन तेंदुलकर।

मजबूत पक्ष

 भारत की बल्लेबाजी हमेशा से मजबूत रही है। सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ की मौजूदगी इसे और ठोस बनाती है। युवराज सिंह, यूसुफ पठान और महेंद्र सिंह धोनी जैसे बल्लेबाज इसे काफी विस्फोटक बना देते हैं। स्पिन विभाग में हरभजन सिंह के होने से भारत निश्चिंत महसूस कर सकता है। आशीष नेहरा की वापसी से तेज गेंदबाजी आक्रमण में मजबूती आई है।

कमजोरी

भारत की कमजोर कड़ी उसका क्षेत्ररक्षण है। तेज गेंदबाजी में उसे जहीर खान की कमी खल रही है। इसके कारण टीम छोटे स्कोर का बचाव करने में कामयाब नहीं हो पा रही है।

ऑस्ट्रेलिया


रिकी पोंटिंग (कप्तान), माइकल क्लार्क, कैल्यू फर्ग्यूसन, नाथन हारित्ज, बेन हिल्फेन्हास, जेम्स होप्स, माइकल हसी, मिशेल जॉनसन, ब्रेट ली, टिम पैन (विकेटकीपर), पीटर सिडल, एडम वोजेस, शेन वाटसन, कैमरून व्हाइट और ब्रैड हैडिन।

मजबूती
ऊपरी क्रम में रिकी पोंटिंग जैसे बल्लेबाज होने से आस्ट्रेलिया हमेशा फायदे में रहती है। उसके पास माइकल हसी जैसा फीनिशर है जोकि टीम को जीत की गारंटी देता है। तेज गेंदबाजी में ब्रेट ली कमान संभाले हुए हैं जोकि बेहतरीन फार्म में नजर आ रहे हैं।

कमजोरी
आस्ट्रेलिया के पास स्तरीय स्पिनरों का अभाव है। टीम पुरानी प्रतिष्ठा के अनुसार प्रदर्शन करने में नाकाम रही है। उसके बल्लेबाज अब उतने विश्वसनीय नहीं रह गए हैं। बड़े खिलाड़ियों के संन्यास लेने से भी यह टीम अपेक्षाकृत कमजोर नजर आती है।

इंग्लैंड

 

एंड्रयू स्टॉस (कप्तान), जेम्स एंडरसन, रवि बोपारा, टिम ब्रेसनन, स्टुअर्ट ब्रॉड, पॉल कोलिंगवुड, जो डेनली, इयोन मॉर्गन, ग्राहम ऑनियन, मैट प्रायर (विकेटकीपर), आदिल रशीद, ओवैस शाह, रेयान साइडबाटम, ग्रीम स्वान और ल्यूक राइट।

मजबूती
पॉल कोलिंगवुड और एंड्रयू स्ट्रास बल्लेबाजी की कमान संभाले हुए हैं। गेंदबाजी में उसके पास जेम्स एंडरसन और रेयान साइडबाटम जैसे स्तरीय गेंदबाज हैं। उसके पास कुछ ऐसे युवा हैं जो उसकी उम्मीदों में रंग भरने में सक्षम हैं।

कमजोरी
केविन पीटरसन और एंड्रयू फ्लिंटॉफ के न होने से उसकी बल्लेबाजी कमजोर नजर आती है। क्रिकेट के लगभग सभी फार्मेट यहीं से शुरू हुए हैं लेकिन यह टीम आज तक कोई भी विश्वकप या चैंपियंस ट्राफी अपने नाम नहीं कर पायी है। नए खिलाड़ी लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं।


न्यूजीलैंड

 

डेनियल विटोरी (कप्तान), शेन बॉन्ड, नील ब्रुम, इयान बटलर, ब्रेंडन दिमित्री, ग्रैंट एलियट, मार्टिन गपटिल, गैरेथ हॉपकिंस (विकेटकीपर), ब्रेंडन मैक्कुलम (विकेटकीपर), काइल मिल्स, जेम्स फ्रैंकलिन, जीतन पटेल, जेसी रायडर, रॉस टेलर और डेरिल टफी।

मजबूती
न्यूजीलैंड की मजबूती उसके आलराउंडर हैं। उसके पास ब्रेंडन मैक्कुलम और रॉस टेलर जैसे खतरनाक बल्लेबाज हैं। स्पिन में कप्तान डेनियल विटोरी किसी भी टीम पर भारी पड़ सकते हैं। शेन बांड के आने से तेज आक्रमण में नई जान आ गई है। इसके अलावा यह टीम सन 2000 में नॉकआउट सीरीज को अपने नाम कर चुकी है। नॉकआउट सीरीज का ही नाम और फार्मेट में बदलाव करके बाद में चैंपियंस ट्रॉफी किया गया है।

कमजोरी
टूर्नामेंट में शानदार आगाज करने के बाद आगे जाकर विफल हो जाना टीम की सबसे बड़ी कमजोरी है। उसके बल्लेबाज नियमित रूप से कामयाबी दर्ज नहीं कर पाते हैं। टीम के खिलाड़ी पूरी जिम्मेदारी से नहीं खेल पाते हैं।


पाकिस्तान

 

युनूस खान (कप्तान), शाहिद अफरीदी, फवाद आलम, इफ्तिखार अंजुम, इमरान नजीर, कामरान अकमल (विकेटकीपर), मिस्बाह उल हक, मोहम्मद आमेर, मोहम्मद आसिफ, मोहम्मद यूसुफ, नावेद उल हसन, सईद अजमल, शोएब मलिक, उमर अकमल और उमर गुल।

मजबूती
पाकिस्तान की सबसे बड़ी मजबूती है कि वह पूरे जोश के साथ क्रिकेट खेलती है। उसकी बल्लेबाजी में ठोस और विस्फोटक बल्लेबाजों का बेहतरीन संतुलन दिखाई देता है। इस समय यूनुस खान बेहतरीन कप्तानी करते नजर आ रहे हैं और उन्होंने टीम को ट्वंटी20 वर्ल्ड कप का विजेता बनवाया। नए खिलाड़ी प्रतिभाशाली हैं और मैदान पर शानदार प्रदर्शन करने में सक्षम हैं।

कमजोरी
फील्डिंग के लिहाज से पाकिस्तान काफी पीछे नजर आती है। कुछ बल्लेबाज लप्पाबाजी करने में यकीन रखते हैं जिससे कभी-कभी टीम संकट में घिर जाती है। टीम दिमाग से कम और दिल से कुछ ज्यादा ही खेलती है जोकि कभी-कभी उसको उल्टा पड़ जाता है।


श्रीलंका

 

कुमार संगकारा (कप्तान), तिलकरत्ने दिलशान, सनत जयसूर्या, महेला जयवर्धने, थिलिना कादम्बी, चामरा कपूगेदरा, नुवान कुलसेखरा, लसिथ मलिंगा, एंजेलो मैथ्यूज, अजंथा मेंडिस, मुथैया मुरलीधरन, धमिका प्रसाद, थिलन समरवीरा, उपुल थरंगा और थिलन तुसारा।

मजबूती
श्रीलंका के विस्फोटक बल्लेबाज उसे काफी मजबूती देते हैं। मध्यक्रम में भी उसके पास शानदार विकल्प मौजूद है। उसके पास अच्छे फीनिशर हैं। विश्व के सबसे बड़े स्पिनर मुथैया मुरलीधरन और जादूई अजंथा मेंडिस किसी भी टीम को धूल चटाने में सक्षम हैं।

कमजोरी
उसके कुछ चोटी के बल्लेबाज क्षमता के अनुरूप अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। टीम अहम मौकों पर कमजोर नजर आ रही है। पिछली सीरीज में वह अपने घर में भी हारती दिखी है।


दक्षिण अफ्रीका


ग्रीम स्मिथ (कप्तान), जेहान बोथा, हाशिम अमला, मार्क बाउचर (विकेटकीपर), एबी डीविलियर्स, जीन पॉल डुमिनी, हर्शल गिब्स, जैक्स कैलिस, एल्बी मोर्केल, मखाया एंटिनी, वेन पारनेल, रॉबिन पीटरसन, डेल स्टेन, लोनवाबो सोत्सोबे और रोलोफ वान डेर मर्व।

मजबूती
कप्तान ग्रीम स्मिथ टीम की और बल्लेबाजी की कमान पूरी मजबूती से थामे हुए हैं। मध्यक्रम में अनुभवी खिलाड़ी मौजूद हैं। उसके पास अच्छे फीनिशर भी है। फील्डिंग में तो दक्षिण अफ्रीका की टक्कर को कोई दिखाई ही नहीं देता। मखाया एंटिनी की अगुवाई में उसका तेज आक्रमण किसी के भी खिलाफ कहर ढा़ सकता है।

कमजोरी
बड़े टूर्नामेंट में ऐन समय पर फिसलने की दक्षिण अफ्रीका की पुरानी बीमारी है। उसकी स्पिन गेंदबाजी काफी कमजोर है।


वेस्टइंडीज


फ्लयोड रैफर (कप्तान), डैरेन सैमी, डेविड बेनार्ड, टीनो बेस्ट, र्योस्टन क्रेंडन, ट्रैविस डाउलिन, आंद्रे फ्लेक्चर, केविन मैक्कलीन, निकिता मिलर, कैरेन पॉवेल, डेल रिचर्ड्स, केमार रोच, डेवोन स्मिथ, गेविन टंग, चांडविक वाल्टन (विकेटकीपर) और डैरन पावेल।

मजबूती
उसके पास कुछ तेज तर्रार खिलाड़ी हैं। वह इस टूर्नामेंट में सर्वाधिक बार फाइनल में पहुंची है जोकि उसके मनोबल को बढ़ाएगा। इस टूर्नामेंट में भाग्य वेस्टइंडीज के साथ रहा है।

कमजोरी
अनुबंध विवाद के कारण दोयम दर्जे की वेस्टइंडीज टीम चैंपियंस ट्राफी में भाग ले रही है। उसके खिलाड़ी अनुभवहीन हैं। नेतृत्व भी मजबूत नजर नहीं आ रहा है। इसके चलते वह टूर्नामेंट की सबसे कमजोर टीम बन गई है।

 

 

 

 

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