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आर्थिक सर्वे पेश, मंदी में भी 6.7 फीसदी विकास

सरकार ने गुरुवार को संसद में पेश वर्ष 2008-09 की आर्थिक समीक्षा में देश में निवेश के वातावरण में सुधार के लिए बीमा और रक्षा उत्पादन क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने, चीनी, रासायनिक खाद और...

आर्थिक सर्वे पेश, मंदी में भी 6.7 फीसदी विकास
एजेंसीThu, 02 Jul 2009 06:59 PM
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सरकार ने गुरुवार को संसद में पेश वर्ष 2008-09 की आर्थिक समीक्षा में देश में निवेश के वातावरण में सुधार के लिए बीमा और रक्षा उत्पादन क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने, चीनी, रासायनिक खाद और औषधियों पर मूल्य नियंत्रण खत्म या कम करने के लिए निकट भविष्य में कदम उठाने का संकेत दिया।

आर्थिक विकास के लिए श्रम कानूनों को लचीला बनाने जैसे सुधारों की जरूरत पर बल देते हुए समीक्षा में यह भी संकेत है कि सरकार खाद्य सामग्री सहित विभिन्न प्रकार के सामानों की खुदरा बिक्री के क्षेत्र में विदेशी निवेश की छूट देने का भी विचार कर रही है।

पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था के हालात, उसकी खामियों और खूबियों पर वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा प्रस्तुत समीक्षा में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था गिरावट के सबसे बुरे दौर से निकल चुकी है पर स्थिति पर बराबर निगाह बनाए रखने और  अर्थव्यवस्था को उच्च अर्थिक वृद्धि की राह पर बनाए रखने के लिए अल्पकालिक और दीर्धकालिक नीतिगत प्रोत्साहनों को जारी रखने की आवश्यकता है।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, यद्यपि ऐसे संकेत हैं कि अर्थव्यवस्था गिरावट के बदतर दौर से गुजर चुकी है जो अंशतःअर्थव्यवस्था के लचीलेपन के कारण और 2008-09 में किए गए विभिन्न मौद्रिक और राजकोषीय उपायों के कारण भी है। इसमें कहा गया है कि इसके बावजूद वर्तमान स्थिति में विभिन्न आर्थिक संकेतों पर निगरानी की आवश्यकता है, जिनमें अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के घटनाक्रम और आर्थिक प्रोत्साहनों के प्रभाव शामिल हैं।

समीक्षा में यह भी कहा गया है कि वर्तमान स्थिति में ऐसे नीतिगत उपायों की भी जरूरत है जो अल्पकालिक और दीर्धावधिक चुनौतियों का सीधे सामना कर सकें और ठोस प्रगति में सहायक हों, ताकि अर्थव्यवस्था के प्रति दृष्टिकोण सकारात्मक बना रहे। समीक्षा में कहा गया है कि 2003-04 से 2007-08 की पांच वर्ष की अवधि में अर्थव्यवस्था की औसत वार्षिक वृद्धि 8.8 प्रतिशत थी पर 2008-09 में यह उससे 2.1 प्रतिशत कम हो कर 6.7 प्रतिशत पर आ गयी।

आर्थिक समीक्षा में बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 26 से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने तथा कृषि कार्यकलापों के बीमा क्षेत्र में यह सीमा शत प्रतिशत करने की सिफारिश की गयी है। समीक्षा में रक्षा उत्पादन क्षेत्र में भी विदेशी भागीदारी की अधिकतम सीमा 26 से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने का सुझाव दिया गया है।

खुदरा क्षेत्र के उदारीकरण के बारे में समीक्षा में कहा गया है कि खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश को छूट देते समय यह शर्त भी रखी जा सकती है कि प्रारंभ में विदेशी निवेशक भारतीय क्षेत्र की किसी खुदरा कंपनी के साथ भागीदारी में रहे और वे पांच वर्ष तक ऐसे थोक बिक्री केंद्र भी खोले जहां छोटे बिक्रेता भी सामान खरीद सकें।

समीक्षा में कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि में नरमी के बावजूद निवेश का अनुपात ऊंचा बना रहा और यह 2008-09 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 32.2 प्रतिशत के बराबर था, जबकि इससे एक वर्ष पूर्व यह 31.6 प्रतिशत था। समीक्षा में राजकोषीय स्थिति को पुनः पटरी पर लाने की सिफारिश की गयी और कहा गया है कि हमें यथाशीघ्र, संभवतः 2010-11 तक राजकोषीय घाटे को राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं वित्तीय प्रबंधन कानून (एफआरबीएम) के लक्ष्यों की ओर अनिवार्य रूप से लौटना होगा।

उल्लेखनीय है कि 2008-09 में राजकोषीय घाटा बढ़कर 6.1 हो गया था, जबकि बजट अनुमान में इसे जीडीपी के 2.5 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा गया था। समीक्षा में कहा गया है कि निर्यात और आंतरिक खपत सहित अर्थव्यवस्था में मांग कमजोर होने से अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सार्वजनिक व्यय में वृद्धि और करों में छूट जैसे उपाय करने पड़े। इसके कारण राजकोषीय घाटा लक्ष्य से ऊपर चला गया।

महंगाई के बारे में समीक्षा में कहा गया है कि खाने-पीने की चीजों से संबंधित मुद्रास्फीति समग्र मुद्रास्फीति की दर से अब भी ऊंची बनी हुई है। वर्ष 2008-09 की 6.7 प्रतिशत की समग्र आर्थिक वृद्धि केंद्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा फरवरी में जारी 7.1 प्रतिशत के अनुमान से भी कम रहा। वर्ष के दौरान खान और खनन, सामुदायिक विकास, सामाजिक तथा वैयक्तिक सेवाओं को छोड़ बाकी सभी आर्थिक क्षेत्रों की उत्पादन वृद्धि दर घटी।

कृषि तथा कृषि संबंधित क्षेत्र की वृद्धि दर 2007-08 के 4.9 प्रतिशत के मुकाबले 1.6 प्रतिशत रह गयी। इसी दौरान मैन्यूफैक्चरिंग, बिजली और ढांचगत क्षेत्र की वृद्धि भी क्रमश 8.2, 5.3 ओर 10.1 प्रतिशत से घटकर 2.4 , 3.4 और 7.2 प्रतिशत पर आ गयी। समीक्षा में कहा गया है, मैन्यूफैक्चरिग क्षेत्र में मंदी का कारण विशेषतया वर्ष की दूसरी छमाही में निर्यात में गिरावट के साथ-साथ घरेलू मांग में गिरावट का संयुक्त प्रभाव माना जा सकता है।

एक वर्ष पूर्व की तुलना में 2008.09 में खनन तथा उत्खनन क्षेत्र की वृद्धि दर 3.3 प्रतिशत से बढ़कर 3.6 प्रतिशत, संरचना क्षेत्र 10.1 प्रतिशत से घटकर 7.2 प्रतिशत, वित्तीय, बीमा और व्यावसायिक सेवा क्षेत्र की वृद्धि 11.7 से घटकर 7.8 प्रतिशत तथा सामुदायिक तथा वैयक्तिक सेवा क्षेत्र की वृद्धि 6.8 से बढ़कर 13.1 प्रतिशत रही।

 

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