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शिक्षा की नई राह

अगर उदारीकरण और भूमंडलीकरण की प्रक्रिया का विधिवत लाभ उठाना है तो अच्छे किस्म के शिक्षित और प्रशिक्षित लोग चाहिए। और वे लोग तब तक नहीं मिल सकते, जब तक सूचनाओं और ज्ञान के विस्फोट के  इस समय में...

शिक्षा की नई राह
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 25 Jun 2009 08:22 PM
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अगर उदारीकरण और भूमंडलीकरण की प्रक्रिया का विधिवत लाभ उठाना है तो अच्छे किस्म के शिक्षित और प्रशिक्षित लोग चाहिए। और वे लोग तब तक नहीं मिल सकते, जब तक सूचनाओं और ज्ञान के विस्फोट के  इस समय में उन्हें तैयार करने की प्रक्रिया और ढांचे की गुणवत्ता की सतत निगरानी और सुधार न किया जए। इसी संदर्भ में उच्च शिक्षा में सुधार के लिए मानव संसाधन मंत्री को पेश की गई यशपाल कमेटी की रपट प्रासंगिक है। लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण मंत्री कपिल सिब्बल का यह आश्वासन है कि वे इस रपट को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए इसे सौ दिनों के भीतर लागू करवाने की कोशिश करेंगे, क्योंकि अच्छी रपटों के धूल फांकते रहने की परंपरा पुरानी है और यह खतरा नए युग में भी बना ही रहता है। यह बात सही है कि आर्थिक संसाधनों के बिना उच्च शिक्षा का महंगा और उच्चस्तरीय ढांचा खड़ा नहीं हो सकता और उसके लिए सरकारी और निजी सभी तरह के निवेश आवश्यक हैं। लेकिन उसी के साथ यह भी देखा जना चाहिए कि उच्च शिक्षा लंबी चौड़ी कमाई वाला व्यवसाय और कॉलेज और विश्वविद्यालय उसकी दुकानें न बनकर रह जएं। उच्च शिक्षा को ऊंची दुकान और फीके पकवान की हास्यास्पद स्थिति पर आने से रोकना होगा और यही सरोकार यशपाल कमेटी की रपट में दिखाई पड़ता है। ऐसा नहीं है कि उन्होंने एकदम से कोई नई बात कह दी है और ऐसा कोई नया सुझव दे दिया है, जो पहले किसी ने दिया ही न हो।

इंजीनियरिंग, मेडिकल और मैनेजमेंट के क्षेत्र में ढेर सारे प्रोफेशनल कॉलेजों और डीम्ड विश्वविद्यालयों के खुलने के साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आई पर लगातार चिंता जताई ज रही थी। यह गिरावट इतनी तेज हो रही है कि इसमें न सिर्फ मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया की भूमिका भी विवादों के घेरे में रही हैं, बल्कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद् और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् जसी संस्थाएं उसे रोक पाने में सक्षम साबित नहीं हो पा रही हैं। इसीलिए पिछली सरकार के समय में बनाए गए राष्ट्रीय ज्ञान आयोग ने राष्ट्रीय उच्च शिक्षा और शोध आयोग बनाने और मौजूदा निगरानी संस्थाओं को उसके तहत लाने का जो सुझव दिया था, उसी की यशपाल समिति ने पुष्टि की है। संस्थानों की गुणवत्ता बनाने के साथ सरकार को यह भी देखना होगा कि साधनहीनता से निकल कर आने वाली प्रतिभाएं अपना अधिकतम विकास करें और उच्चस्तर पर देश के विकास में अपना योगदान दे सकें।

 

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