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छिन गया बूढ़े मां-बाप के बुढ़ापे का सहारा

नहरपार खेड़ी गांव में हुई दो हत्याओं ने दो जिंदगियां नहीं छीनी बल्कि कई के सपनों को चकनाचूर कर दिया। बूढ़े मां-बाप बार-बार अपने बेटे के गोलियों से छलनी शव को देख बेहोश हो जाते। उन्हें बस एक ही गम है...

छिन गया बूढ़े मां-बाप के बुढ़ापे का सहारा
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 15 Jun 2009 10:38 PM
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नहरपार खेड़ी गांव में हुई दो हत्याओं ने दो जिंदगियां नहीं छीनी बल्कि कई के सपनों को चकनाचूर कर दिया। बूढ़े मां-बाप बार-बार अपने बेटे के गोलियों से छलनी शव को देख बेहोश हो जाते। उन्हें बस एक ही गम है कि उनके  जिंदा रहते उनके इकलौते बेटे का मृत शरीर उनके सामने पड़ा है।


जयदेव अपने मां बाप का इकलौता बेटा था। वह तो चला गया पर अपने पीछे बूढ़े मां-बाप समेत सात लोगों को अकेला छोड़ गया। जयदेव के पिता इकराम अपनी डबडबाई आंखों से बेटे के फिर से उठ बैठने का सपना देख रहे हैं। रोते हुए उन्होंने बताया कि उनका बेटा परिवार की जिम्मेदारियों में इतना मगशूल हो गया कि उसने अपने लिए कभी कुछ किया ही नहीं। हर समय बच्चों व मां-बाप के लिए परेशान रहता। जयदेव की तीन बेटियां व एक बेटा है। बेटियां थोड़ी बड़ी हैं पर एक साल का बेटा राजू तो अभी जिंदगी और मौत के बारे में कुछ जनता ही नहीं। पत्नी सुशीला का रो रोकर बुरा हाल है। जबसे उन्हें घटना की जनकारी मिली है, तब से वह बेसुध हैं। बेटियां अपना गम भुलाकर अपनी मां को ही संभालने में लगी हुई हैं। गांव के लोग भी इस घटना से स्तब्ध हैं। खेड़ी के दौलत राम के मुताबिक जयदेव काफी मिलनसार व जिम्मेदार था। गांव में सभी के दुख सुख में हर समय सरीक होता था। उसके जाने से उसके परिवार समेत पूरे गांव को दुख है।

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