भाजपा ने यूपी को माना सबसे बड़ी चुनौती
भाजपा की चिंतन बैठक में पिछले लोकसभा चुनाव में मिली सफलता को मिशन 2017 में बरकरार रखने की चर्चा मुख्य रूप से हुई। इसकी वजह है यदि विधान सभा चुनाव में संगठन को अपेक्षित परिणाम नहीं मिले तो इसका असर...
भाजपा की चिंतन बैठक में पिछले लोकसभा चुनाव में मिली सफलता को मिशन 2017 में बरकरार रखने की चर्चा मुख्य रूप से हुई। इसकी वजह है यदि विधान सभा चुनाव में संगठन को अपेक्षित परिणाम नहीं मिले तो इसका असर दिल्ली तक पहुंचेगा। सूबे में सपा लोक सभा चुनाव के बाद सक्रिय हुई और तमाम कल्याणकारी योजनाएं लागू कीं। बैठक में यह भी तय हुआ कि केन्द्र सरकार की ऐसी कौन सी योजना यहां लाई जाए जिसका असर सीधे आम आदमी से हो।
प्रदेश प्रभारी ओम प्रकाश माथुर ने खुले तौर पर मान लिया कि जिला स्तर तक संगठन को मजबूत करने के लिए फेर बदल किया जाएगा जो अगले कुछ दिनों में नजर भी आएगा। सूत्र बताते हैं कि पार्टी चुनाव जीतने के लिए हर हथकंड़े इस्तेमाल करेगी। उसे दूसरे दलों से कोई गुरेज नहीं होगा। सीट टू सीट विचार होगा। जिताऊ प्रत्याशी ही इस बार मैदान में उतारने की योजना है। सबसे बड़ी चुनौती भाजपा में ऐसे नेता है जो पूरी तरह निष्क्रिय हैं। भाजपा का पूरा प्रयास होगा कि पार्टी में कई ऐसे चेहरों को आगे किया जाए जो जिताऊ हों। संगठन को लग रहा है कि अभी उसके पास ऐसे चेहरों की कमीं है। सदस्यता अभियान भले ही पूरा हो गया हो पर उसकी हकीकत पर भी शीर्ष नेतृत्व को संशय है। भाजपा में निश्चित तौर पर मिशन 2017 के लिए उथल-पुथल मची है। दो दिवसीय चिंतन बैठक में 35 में सिर्फ 30 पदाधिकारी ही आए। इनमें भी कई शाम को आए और दूसरे दिन परिक्रमा लगा जल्दी चले भी गए। प्रदेश प्रभारी भले यह कहें कि अब सामूहिक प्रयास से सभी मिशन 2017 का लक्ष्य हासिल करेंगे पर उनकी बेचैनी दो दिवसीय बैठक में साफ नजर आई। लोक सभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश में 73 सीटें जीती थीं। सिर्फ सात सीटें बदायूं, कन्नौज, मैनपुरी, फिरोजाबाद, आजमगढ़, रायबरेली व अमेठी दो परिवारों के पास ही जा सकी थीं। भाजपा के लिए यह जनाधार बचाए रखना बड़ी चुनौती होगा। बतादें कि हिन्दुस्तान ने रविवार के अंक में संगठन में फेर बदल की संभावना पर खबर दी थी। इसकी पुष्टि प्रदेश प्रभारी ओम प्रकाश माथुर ने जिला स्तर तक संगठन में फेर बदल कर मजबूत करने की बात कहीं।