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रेल बजट: रेलवे में नई जान फूंकने पर रहेगा जोर

भारतीय रेल दुनिया का चौथा बड़ा रेल नेटवर्क है। यह सफर के लिहाज से सबसे सस्ता नेटवर्क है। साल 1924 से ही रेल बजट को आम बजट से अलग पेश करने की परंपरा चली आ रही है। रेल देश में परिवहन का सबसे बड़ा साधन...

रेल बजट: रेलवे में नई जान फूंकने पर रहेगा जोर
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 26 Feb 2015 09:50 AM
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भारतीय रेल दुनिया का चौथा बड़ा रेल नेटवर्क है। यह सफर के लिहाज से सबसे सस्ता नेटवर्क है। साल 1924 से ही रेल बजट को आम बजट से अलग पेश करने की परंपरा चली आ रही है। रेल देश में परिवहन का सबसे बड़ा साधन है, इस कारण रेल बजट को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता रहती है। माना जा रहा है कि इस बार रेलमंत्री सुरेश प्रभु द्वारा पेश किए जाने वाले रेल बजट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की झलक दिखाई दे सकती है और ट्रेनों के अंधाधुंध एलान की बजाय रेलवे में नई जान फूंकने पर जोर रहेगा।
 

रेल बजट से पांच बड़ी उम्मीदें
- तत्काल कन्फर्म टिकट पर मिले कुछ रिफंड। फिलहाल तत्काल कनफर्म टिकट कैंसिल कराने पर कुछ नहीं मिलता। लोग यह भी चाहते हैं कि तत्काल टिकट 48 घंटे पहले बुक हो।
- कुछ लोग चाहते हैं कि लोअर बर्थ के लिए एक्स्ट्रा चार्ज वसूला जाए। वहीं साइड अपर बर्थ के लिए राशि कम की जाए।
- बड़े रेलवे स्टेशनों पर सामान ढोने के लिए एयरपोर्ट की तरह ट्राली और यात्री सेवक की घोषणा की गई थी। लेकिन चुनिंदा स्टेशनों को छोड़कर इस योजना पर अमल नहीं किया जा सका है।
- मेट्रो शहरों में प्लेटफार्म टिकट की कीमत बढ़ाई जाए ताकि स्टेशनों पर भीड़ कम की जा सके।
- सफर के दौरान ट्रेनों में बेहतर गुणवत्ता वाला भोजन मुहैया कराने पर जोर होना चाहिए। हालांकि रेलवे ने ‘रेडी टू इट’ के तहत ब्रांडेड पैकैट आपूर्ति करने की योजना शुरू की है। इसे सभी ट्रेनों में लागू किया जाना बाकी है।
 
समय पर चलें ट्रेनें

ज्यादातर बड़े स्टेशनों पर रेलगाड़ियों का दबाव है। प्लेटफार्म का विस्तार नहीं होने के कारण रेलगाड़ियां आउटर सिग्नल पर रुक जाती हैं, जिससे वे लेट हो जाती हैं। लखनऊ, इलाहाबाद, मुगलसराय और पटना जैसे स्टेशन काफी व्यस्त हैं।

हर साल लगभग 100 नई ट्रेनों का निश्चित ही एलान होता है। पर देश के व्यस्त मार्ग पर पटरियों की संख्या नहीं बढ़ाए जाने से पटरियों पर ट्रेनों का बोझ बढ़ता जा रहा है। इससे रेलगाड़ियां लेट होती हैं।
 
स्टेशनों पर हो सफाई

तमाम बड़े स्टेशनों पर स्वच्छता के इंतजाम नाकाफी हैं।
- 40 फीसदी इजाफा हुआ था सफाई के बजट में पिछले रेल बजट के तहत
- 50 स्टेशनों पर आउटसोर्सिंग से सफाई का प्रावधान किया गया है
- 400 रेलगाड़ियों में ऑनबोर्ड हाउसकिपिंग शुरू की गई है
 
कैसे रुकेंगे हादसे

रेलवे में संरक्षा के मोर्चे पर काफी कमियां हैं। पिछले एक साल में समपार फाटकों पर वाहनों के रेलगाड़ी से टकराने की कई घटनाओं में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है।

-11,563 हजार मानव रहित रेल फाटकों को खत्म करना है बड़ा लक्ष्य
-40 फीसदी हादसे मानव रहित रेल फाटकों पर ही होते हैं
 
हाल के रेल हादसे

13 फरवरी 2015  : बेंगलुरू - 12 लोगों की मौत
16 दिसंबर 2014  : नवादा - 5 की लोगों मौत
1 अक्तूबर 2014  : गोरखपुर - 6 यात्रियों की मौत
24 जुलाई 2014 : हैदराबाद - 16 बच्चों की मौत
 
पटरियों का रखरखाव
25 साल पर मुख्य लाइन और 35 साल पर ब्रांच लाइनें बदली जानी चाहिए, पर तमाम जगह ऐसा नहीं हो पाता। रेल पटरी कमजोर हो जाने से हर साल बड़ी संख्या में रेल फैक्चर होते हैं जिससे बड़े हादसे होते हैं।
 
सुरक्षा
रेलगाड़ियों में लूटपाट और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं। बड़े स्टेशनों पर सुरक्षा व्यस्था दुरुस्त नहीं है। कई बार बैगेज स्कैनर काम नहीं करते।
-32 फीसदी ट्रेनों में ही सुरक्षा के लिए पहरेदार होते हैं, बाकी ट्रेनें भगवान भरोसे चलती हैं
-17 हजार पद रिक्त हैं रेलवे सुरक्षा बल में,  इसलिए सभी चलती ट्रेनों में जवानों की तैनाती नहीं हो पाती

सुरक्षित हो यात्रा
रेलवे ने राष्ट्रीय स्तर पर आरपीएफ हेल्पलाइन नंबर स्थापित करने की घोषणा कई साल पहले की थी ताकि यात्री चलती ट्रेन में किसी भी तरह की वारदात की शिकायत दर्ज करा सकें। इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है।
 
सच हो बुलेट ट्रेन का सपना
पिछले रेल बजट में मुंबई अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलाए जाने के लिए अध्ययन कराने का एलान किया गया था। पर इसमें अभी कोई खास प्रगति नहीं हुई है। दिल्ली और आगरा के बीच सेमी हाई स्पीड ट्रेन का ट्रायल हो चुका है। पर इस ट्रैक पर ट्रेन ने दौड़ा शुरू नहीं किया है।
 
स्टेशनों पर सस्ता आहार

पिछले रेल बजट में पूड़ी-सब्जी के लिए 51 जन-आहार आउटलेट खोलने का एलान किया गया था। पर देश के ज्यादातर स्टेशनों पर अच्छी गुणवत्ता का भोजन नहीं मिलता। चलती ट्रेन में पेंट्री कार में मिलने वाले भोजन को लेकर लोगों को काफी शिकायतें हैं। कई ट्रेनों में ऑनलाइन खाना बुक कराने की सुविधा शुरू की गई है। पर इस सेवा में खाने की थाली काफी महंगी है।
 
भारतीय रेल

-14300 रेलगाड़ियां चलती हैं हर रोज देश में
-2.5 करोड़ से ज्यादा लोग सफर करते हैं हर रोज रेल से
 
रेलवे की कमाई
-12 फीसदी हुई रेलवे की कमाई में वृद्धि माल ढुलाई से
-86 हजार करोड़ हुई रेलवे की कमाई माल ढुलाई से ( अप्रैल 14 से जनवरी 15 के बीच)
 
नई रेल लाइनें बिछाने में फिसड्डी हैं हम
हम भले ही दुनिया का चौथा बड़ा रेल नेटवर्क होने का दावा करें लेकिन नई रेल लाइनें बिछाने के मामले में आजादी के बाद की ज्यादातर सरकारें फिसड्डी रही हैं। भारतीय रेल की देश में यात्री परिवहन और माल ढुलाई में बड़ी भूमिका है। पर देश का बहुत बड़ा हिस्सा अभी रेल की सीटी सुनने का इंतजार कर रहा है। कई राज्यों की राजधानियां और देश के कई जिला मुख्यालय अभी रेल नेटवर्क पर नहीं हैं।
 
-64,460 किलोमीटर है भारतीय रेल कुल लंबाई
-23,541 किलोमीटर ( 36 फीसदी) लाइन है विद्युतीकृत
-61,240 किलोमीटर लंबा नेटवर्क था 1980 में
-53,596 किलोमीटर लंबा नेटवर्क ( दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क) था 1951 में
-42 निजी रेल कंपनियों को मिलाकर 1951 में राष्ट्रीयकरण कर भारतीय रेल की स्थापना हुई
-11,000 किलोमीटर मात्र नई लाइनें बिछाई गईं बीते 63 साल में
-3000 किलोमीटर मात्र नई लाइनें बिछाई गई हैं 1980 के बाद से

निजी क्षेत्र की भागीदारी
पीपावाव रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीआरसीएल) रेल परिवहन में पहला सरकारी निजी भागीदारी का मूल संरचना मॉडल है। यह भारतीय रेल और गुजरात पीपावाव पोर्ट लिमिटेड की संयुक्त उद्यम कंपनी है।
 
राज्यों को है उम्मीद

उत्तर प्रदेश
इलाहाबाद में नया रेल पुल बनाने की मांग, जिसे इलाहाबाद जंक्शन पर बोझ कम होगा और रेलगाड़ियों की लेटलतीफी भी कम हो सकेगी।

बिहार
मधेपुरा विद्युत इंजन कारखाना का काम शुरू नहीं हुआ है। छपरा पहिया कारखाने में अभी उत्पादन शुरू नहीं हो सका है। पटना और मुंगेर में रेल पुल प्रोजेक्ट में देरी हो रही है। पटना से नई दिल्ली और मुंबई के लिए नई ट्रेनों की मांग की गई है। हाजीपुर-बछवाड़ा रेल मार्ग के दोहरीकरण और मुजफ्फरपुर-मोतिहारी-नरकटियागंज रेल खंड के विद्युतीकरण की मांग भी की गई है।

मध्य प्रदेश
भोपाल से पुणे और बेंगलुरू के लिए सीधी रेल सेवा चाहिए। रामगंज (राजस्थान)-भोपाल और रतलाम-डूंगरपुर नई ब्राडगेज लाइनों पर काम में प्रगति नहीं हुई है। ललितपुर-सिंगरौली लाइन, जबलपुर-बालाघाट अमान परिवर्तन का काम फंड की कमी के कारण धीमी गति से चल रहा है।

हिमाचल प्रदेश
हिमाचल को बिलासपुर और नालागढ़ जैसे शहरों के लिए रेल संपर्क चाहिए। राज्य में सिर्फ 44 किलोमीटर ब्राडगेज नेटवर्क है।
 
2014 के रेल बजट में

58 नई रेलगाड़ियां चलाने की घोषणा की थी डीवी सदानंद गौड़ा ने जुलाई में पेश किए गए रेल बजट में

यह ट्रेन नहीं चलीं
नई दिल्ली से वाराणसी एक्सप्रेस (प्रतिदिन): प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र से दिल्ली को जोड़ने वाली यह ट्रेन अभी तक नहीं चलाई जा सकी है।

 

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