बुरे काम का बुरा नतीजा
एक व्यापारी का बेटा था वीरंधन, जो बहुत कामयाब नहीं था। एक बार उसे व्यापार में काफी घाटा हुआ और उसने अपनी सारी पूंजी गंवा दी। इस मुश्किल समय में उसने सोचा कि क्यों न देश के अलग-अलग हिस्सों में भ्रमण...
एक व्यापारी का बेटा था वीरंधन, जो बहुत कामयाब नहीं था। एक बार उसे व्यापार में काफी घाटा हुआ और उसने अपनी सारी पूंजी गंवा दी। इस मुश्किल समय में उसने सोचा कि क्यों न देश के अलग-अलग हिस्सों में भ्रमण करके पता लगाया जाए कि सफलता कैसे हासिल की जा सकती है।
उसके पास पुरखों का एक कीमती तराजू था, जो लोहे का बना था। जब वह भ्रमण के लिए निकल रहा था, तब उसने अपना तराजू पास के ही एक व्यापारी के यहां गिरवी रख दिया। इससे मिला धन वह भ्रमण के लिए इस्तेमाल करना चाहता था। इसके बाद वीरंधन अपने सफर पर निकल पड़ा। अलग-अलग इलाकों में घूमते हुए वीरंधन प्रांत-विशेष की बहुत सी चीजों से वाकिफ हो गया। कुल मिलाकर उसका अनुभव अच्छा रहा। इसके बाद वीरंधन ने अपने घर वापस लौटने का मन बनाया। जल्द ही वह अपने कस्बे में पहुंच गया। घर पहुंचकर वह पड़ोस के उसी व्यापारी के यहां पहुंचा, जहां उसने अपना तराजू गिरवी रखा था। उसने व्यापारी से कहा, ‘मित्र, मैं आपके यहां तराजू गिरवी रख गया था। कृपा करके उसे लौटा दें। लेकिन उस व्यापारी की नीयत खराब हो गई थी। उसने बहाना बनाया, ‘अब वह तराजू मेरे पास नहीं है। दरअसल हमारे यहां चूहों की समस्या है, जो हर चीज नष्ट कर देते हैं। तुम्हारा तराजू भी वही चूहे खा गए।
व्यापारी के हाव-भाव से वीरंधन को हकीकत समझ में आ गई। उसने व्यापारी से कहा, ‘अगर तराजू चूहे खा गए, तो इस स्थिति में आप कुछ भी नहीं कर सकते। चलिए कोई बात नहीं। अब मैं सोच रहा हूं कि पास वाली नदी में स्नान कर लूं। कृपया अपने बेटे को मेरे साथ भेज दीजिए, ताकि जब मैं स्नान करूं तो वह मेरे सामान की निगरानी करता रहे।’ इस पर व्यापारी राजी हो गया और उसने अपने बेटे को वीरंधन के साथ भेज दिया। इसके बाद वीरंधन और व्यापारी का बेटा साथ में नदी की तरफ चल दिए। जब वीरंधन ने नदी में स्नान कर लिया, तब वह उस व्यापारी के लड़के को पास वाली गुफा में ले गया। इसके बाद वीरंधन व्यापारी के बेटे को गुफा में छोड़ बहाने से बाहर आ गया और गुफा का द्वार बंद कर दिया।
इसके बाद वह व्यापारी के पास पहुंचा। उसके अकेले देख व्यापारी हैरान हुआ। जब उसने अपने बेटे के बारे में पूछा, तो वीरंधन ने जवाब दिया, ‘मुझे आपके बेटे के लिए दुख है। जब मैं नहा रहा था, तब आपका बेटा नदी किनारे खड़ा हुआ था। तभी एक फ्लेमिंगो (एक तरह की लाल चिडिया) वहां उड़ती हुई आई और आपके बेटे को पंजे में दबाकर उड़ गई और मैं कुछ नहीं कर सका।
इस पर व्यापारी नाराज होते हुए वीरंधन से बोला, ‘तुम झूठ बोल रहे हो। एक छोटी सी फ्लेमिंगो मेरे बेटे जितने बड़े बच्चे को पंजे में दबाकर कैसे उड़ सकती है? मैं गांव के बुजुर्गों से तुम्हारी शिकायत करूंगा।’ इसके बाद वह वीरंधन को घसीटता हुआ पास के ही एक बुजुर्ग के पास पहुंच गया और बोला, ‘यह एक बुरा व्यक्ति है। इसने मेरे बेटे का अपहरण कर लिया है। इस पर गांव वाले भी व्यापारी के पक्ष में बोलने लगे, ‘तुम ऐसा कैसे कर सकते हो? इस व्यापारी के बेटे को तुरंत रिहा करो।’
लेकिन वीरंधन ने इसमें अपनी असमर्थता जताई। उसने व्यापारी को दिया जवाब दोहरा दिया। इस पर सभी गांव वाले उसे झूठा करार देने लगे। तब वीरंधन बोला, ‘जिस शहर में चूहे लोहे का तराजू खा सकते हैं, वहां एक बच्चे को फ्लेमिंगो अपने पंजे में लेकर क्यों नहीं उड़ सकती?
वीरंधन का विचित्र उत्तर सुनकर गांव वाले हैरान हो गए। एक बुजुर्ग ने वीरंधन से इस बात का आशय पूछा। तब वीरंधन ने वहां उपस्थित सभी लोगों के समक्ष अपनी आपबीती सुना दी। उसने यह भी बताया कि कैसे उसने अपना तराजू पाने के लिए व्यापारी के बेटे को गुफा में बंद कर दिया। यह सुनते ही बुजुर्गो ने व्यापारी पर हंसना शुरू कर दिया। इस पर व्यापारी को शर्मिदगी महसूस हुई।
बाद में गांव के बुजुर्गों ने व्यापारी को आदेश दिया कि वह वीरंधन का तराजू लौटा दे। दूसरी तरफ उन्होंने वीरंधन को भी व्यापारी के बेटे को तुरंत रिहा करने का हुक्म सुनाया। इस कहानी से हमें यही सबक मिलता है कि बुरे काम का नतीजा हमेशा बुरा ही होता है।