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नोएडा से दो आतंकवादी गिरफ्तार

दिल्ली को दहलाने की साजिश रच रहे दो आतंकवादियों को नोएडा में गिरफ्तार किया गया है। एक आतंकी बांग्लादेश का रहने वाला है। वह नोएडा में रह रहे दूसरे आतंकी को लैपटॉप देने आया था। खुफिया एजेंसियों को जांच...

नोएडा से दो आतंकवादी गिरफ्तार
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 02 Jan 2015 12:13 AM
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दिल्ली को दहलाने की साजिश रच रहे दो आतंकवादियों को नोएडा में गिरफ्तार किया गया है। एक आतंकी बांग्लादेश का रहने वाला है। वह नोएडा में रह रहे दूसरे आतंकी को लैपटॉप देने आया था। खुफिया एजेंसियों को जांच में इस लैपटॉप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सक्रिय स्लीपर सेल व रैकी किए गए कुछ स्थानों की जानकारी मिली है। खुफिया एजेंसियों ने इन जानकारियों के आधार पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश व एनसीआर में रह रहे स्लीपर सेल की तलाश शुरू कर दी है।

नोएडा में गिरफ्तार आतंकियों की पहचान राहुतपाड़ा थाना सालभा फरीदपुर बांग्लादेश निवासी मोहम्मद रकतुल्ला और देवबंद थाना मस्जिद सहरानपुर निवासी अब्दुल अजीज के रूप में हुई है। सूत्रों के अनुसार अक्टूबर माह में पश्चिम बंगाल के बर्धमान में हुए आतंकी धमाकों में भी बांग्लादेश के आतंकी मोहम्मद रकतुल्ला का हाथ होने की आशंका है। इन दोनों को उत्तर प्रदेश एंटी टेरेरिस्ट स्क्वॉयड (एटीएस) व पश्चिम बंगाल पुलिस ने 19 दिसंबर को नोएडा के सेक्टर-14 स्थित पेट्रोल पंप के पास से गिरफ्तार किया था। इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) द्वारा एटीएस व पश्चिम बंगाल पुलिस को यह सूचना दी गई थी। 20 दिसंबर को पश्चिम बंगाल पुलिस दोनों आतंकियों को ट्रांजिट रिमांड पर अपने साथ ले गई। इससे पहले आईबी व एटीएस समेत खुफिया एजेंसियों ने इनसे घंटों पूछताछ की है।

एनसीआर में आतंकी साया
- नोएडा व गाजियाबाद की सीमाएं दिल्ली से जुड़ी हुई हैं। दोनों शहरों से राजधानी में घुसने के लिए कई ऐसे रास्ते हैं, जहां अमूमन चौकसी नहीं रहती है। इसके अलावा काफी बड़ा क्षेत्र यमुना से भी जुड़ता है।
- एनसीआर में आतंकी खतरे को देखते हुए एटीएस के 50 कमांडो नोएडा स्थित पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुख्यालय में डेरा डाले हुए हैं।
- खुफिया एजेंसियों ने गाजियाबाद में आतंकियों द्वारा विस्फोटक छिपाने की भी सूचना दी है।
- नोएडा-गाजियाबाद में पहले भी कई कुख्यात आतंकवादी और माओवादी पकड़े जा चुके हैं।

क्या है स्लीपर सेल
- ये आतंकी आम लोगों के बीच रहकर सामान्य जिंदगी जीते हैं
- जरूरत पड़ने पर ये सक्रिय होकर साजिश के लिए संसाधन मुहैया कराते हैं
- ये गुपचुप तरीके से संगठन को मजबूत करने का काम भी करते हैं
- अमूमन ये बम बिस्फोट या किसी तरह के हमले में सीधे तौर पर शामिल नहीं होते

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