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हर गांव में संत सक्रिय हो जाएं तो धर्मांतरण पर लगेगी रोक

गोरक्षा पीठाधीश्वर महंत व गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ ने संतों का आह्वान करते हुए कहा कि वे सभी को पहचानें और अपने धर्म को ताकतवर बनाएं। किसी समाज एवं धर्म को समाप्त करने का आसान तरीका उसके धर्म...

हर गांव में संत सक्रिय हो जाएं तो धर्मांतरण पर लगेगी रोक
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 14 Dec 2014 10:01 PM
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गोरक्षा पीठाधीश्वर महंत व गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ ने संतों का आह्वान करते हुए कहा कि वे सभी को पहचानें और अपने धर्म को ताकतवर बनाएं। किसी समाज एवं धर्म को समाप्त करने का आसान तरीका उसके धर्म पर प्रहार करना है और बिहार इसका ही शिकार हुआ है। सांसद ने कहा कि 1950 में बिहार में स्थापित धार्मिक न्यास बोर्ड का रवैया अच्छा नहीं है।

बोर्ड के अधिकारी एवं कर्मचारी मठ-मंदिरों के महंतों पर अन्याय कर रहे हैं। मठ-मंदिरों को उजाड़ने का कार्य कर रहे हैं। इसके अधिकारी साधु-संतों पर हुक्म जमाते हैं। पूजा-पाठ में जबर्दस्ती कर रहे हैं। पुरानी परंपराएं तोड़ी जा रही हैं। मंदिरों से जबरन टैक्स वसूले जा रहे हैं। योगी आदित्यनाथ ने ये बातें रविवार को यहां संत समागम के समापन के अवसर पर कहीं।

उन्होंने कहा कि बिहार ने पूरे देश का नेतृत्व किया है। विश्व के कल्याण के मार्ग का भी बिहार से ही प्रशस्त होगा लेकिन अफसोस है कि आज बिहार पिछड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। अगर हर गांव में संत सक्रिय हो जाएं तो धर्मातरण पर रोक लग सकती है।

उन्होंने बिहार सरकार से धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रशासक को हटाने की मांग की। यह भी  कहा कि धार्मिक न्यास बोर्ड में मठ-मंदिरों से जो पैसे आते हैं, उसका दुरुपयोग किया जा रहा है। इस पर रोक जरूरी है। यह भी आरोप लगाया कि मठ-मंदिरों के पैसे से मदरसे एवं चर्च को संरक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने संतों से कहा कि मठ-मंदिरों में पूजा-पाठ, हवन, गोरक्षा का कार्य एवं भगवान को नित्य भोग लगाया जाना शुरू हो जाए तो इसका बेहतर संवाद जाएगा। पूर्व में मठ एवं मंदिर शस्त्र एवं शास्त्र दोनों के अखाड़े हुआ करते थे, मगर आज यह खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि भारत की धर्म प्रथा एकतरफा और एक पक्षीय नहीं रही है।

उन्होंने कहा कि भारत के लोग भगवान कृष्ण की परंपरा को भुलाकर ईसा मसीह की परंपरा को अपना रहे हैं जो चिंताजनक है। यूरोपीय देश के लोग भगवान कृष्ण के आदर्श पर चलकर सरताज बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में 6 लाख 30 हजार गांव हैं और पूरे देश में 15 लाख साधु एवं संन्यासी हैं। एक-एक गांव में साधु-संत सक्रिय हो जाएं तो धर्मातरण पर लगाम लग जाएगी। उत्तर प्रदेश का आजमगढ़ एक समय दबंगई के लिए जाना जाता था मगर आज पूरी तरह  नियंत्रित है। मठों में गुरु-शिष्य परंपरा शुरू होनी चाहिए।

गाय और गंगा को बचाने की अपील करते हुए कहा कि गंगा नहीं रहेगी तो हिन्दू संस्कृति खत्म हो जाएगी। गौ माता एवं गंगा के साथ चीरहरण जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है। आरोप लगाया कि  बिहार में गौ तस्करी हो रही है। गायें बिहार होते हुए बांग्लादेश तक ले जायी जाती हैं। वैशाली के सांसद रामाकिशोर सिंह ने वैशाली की धरती पर आए संतों का स्वागत किया।

सभा का संचालन धर्म प्रचारक अमिय भूषण द्वारा किया गया। अध्यक्षता महंत रंगनाथाचार्य ने की। इस अवसर पर मिथिलेश कुमार सिंह लिखित पुस्तक सांप्रदायिक कौन का विमोचन किया गया। महंत योगी आदित्यनाथ का मंच पर माला पहना कर स्वागत किया गया।
 
संत को ही बनाया जाए धार्मिक न्यास बोर्ड का अध्यक्ष
वैशाली में आयोजित संत समागम के तीसरे दिन संतों ने धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष पद पर संत को बैठाने का प्रस्ताव किया गया। साथ ही गंगा में कचरा नहीं बहने देने, पौधे लगाने, बूढ़ी और निर्बल गायों को खरीदने एवं मठ-मंदिरों में गोशाला खोलने का संकल्प लिया। स्वामी परमात्मानन्द सरस्वती ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्व सरकार भारत में कत्लखाने खोलने की अनुमति एवं मांस निर्यात पर सब्सिडी दिया करती थी। कत्लखाने चलाने वाले को इनकम टैक्स में भी छूट दी जाती थी।

हिन्दू धर्म जागरण के सूबेदार सिंह ने कहा कि हिन्दू समाज को जागरूक होने की आवश्यकता है। भारत के बारह राज्यों में गो रक्षा आश्रम संचालित हो रहे हैं। संत समागम में प्रस्ताव पारित किए गए कि धार्मिक न्यास बोर्ड का अध्यक्ष किसी संत को ही होना चाहिए। मठ विशेष का उत्तराधिकारी उस मठ की परंपरा के अनुसार उस मठ के मठाधीश ही करेंगे। इसमें धार्मिक न्यास बोर्ड को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

धार्मिक न्यास बोर्ड की आय एवं व्यय के ब्योरे में पारदर्शिता होनी चाहिए। धार्मिक न्यास बोर्ड की आय का उपयोग केवल हिन्दू धर्म के संरक्षण एवं विकास में होना चाहिए। बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल तय हो। संत समागम में आयोजित आम सभा में भी प्रस्ताव पारित हुए। धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित हुआ।

पूरे देश के अन्दर पूर्वजों के भटकी हुई संतान जो ईसाई-मुसलमान हो गए हैं, उनका अपने धर्म में वापसी का स्वागत होना चाहिए। बिछड़े लोगों को हिन्दू समाज में ले आने का भी प्रस्ताव पारित हुआ। सभा को कोलकाता से आए संत शशि प्रकाश भारती, रमाशंकर शास्त्री, दुलारपुर मठ के महंत हरिहरचरण भारती, रामनगर मठ के महंत रामनरेश दास,अवध किशोर दास,रामानुज दास, कदम दास, गोपालगंज, मुरारी दास, पूर्णिया,मनमोहन दास, घोडमसहन, झारखंड के फलहारी बाबा,मटिहानी के महंत जगन्नाथ दास, अखिल भारतीय कबीर विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरु प्रसाद गोस्वामी, पहलेजाघाट आश्रम की सुन्दर देवी, कैलाश बाबा, हिमाचल प्रदेश से आए महंत मस्त गिरि आदि ने संबोधित किया।

स्वागत भाषण भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह ने किया। इसका संचालन सूबेदार सिंह ने किया और अध्यक्षता महंत रंगनाथाचार्य ने की।

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