वार्ता का दरवाजा, धैर्य की परीक्षा
एक होता है वार्ता का दरवाजा। हमारे पाक पड़ोसी की तरफ वाले इस दरवाजे को हम लोग पिछले कई साल से खुला ही रखते आए हैं। हम इस दरवाजे में से कभी झांककर, कभी बाहर निकलकर चहलकदमी करके देखते हैं कि...
एक होता है वार्ता का दरवाजा। हमारे पाक पड़ोसी की तरफ वाले इस दरवाजे को हम लोग पिछले कई साल से खुला ही रखते आए हैं। हम इस दरवाजे में से कभी झांककर, कभी बाहर निकलकर चहलकदमी करके देखते हैं कि पड़ोसी का दरवाजा, खिड़की या उजालदान ही खुला मिल जाए तो कुछ गुप्फतगू हो सके। पर वहां तो सब बंद ही नजर आते हैं। इसके बावजूद हमने हमेशा उम्मीद का दिया जलाए रखा। और उसकी रोशनी में इंतजार करते रहें कि इस रास्ते से वार्ता दाखिल हो, शांति के चरण कमल गुजरे। वाघा बार्डर जरूर शाम को बंद को जाती हैं पर यह चौबीसों घंटे खुला रहता हैं। पड़ोसी बारीक दरार में से वार्ता के दरवाजे को खुला देखता रहता था। फिर उसने हमारे सब्र की परीक्षा लेनी शुरू की। परीक्षा लेने आया आतंकवाद और उसका खूनी खेल। इस तरह के सरल प्रश्न पत्र के बाद वह कठिन प्रश्न पत्र तैयार करने लगे।
वह पहले से ज्यादा तैयारी से आते, एके सैतालीस, रॉकेट लांचर, जैसे अत्याधुनिक शस्त्र लाते, आत्मघाती दस्ते वगैरह। संसद पर हमला और छब्बीस ग्यारह जैसी कठिन परीक्षा। हर बार नतीज वही पुराना ही रहता- परीक्षा देने वाला पास हो जाता और परीक्षा लेने वाला फेल। हर बार ऐसे ही नतीजे आने के बाद पूरी दुनिया हमारी पीठ थपथपाती- वेल डन इंडिया। हम खुशी से फूलकर कुप्पा हो जाते और इससे आगे की परीक्षा की तैयारी में जुट जाते। यह हर साल हो रहा था लेकिन इस बार बाजी पलट गई। और भी जटिल प्रश्न पत्र बनाकर जब पाक प्रशिक्षित परीक्षक आने लगा तो दरवाजे को बंद देखकर उनके पैरो तले जमीन खिसक गई। वे सब हैरान-परेशान देश के सबसे शरीफ के बंगले की तरफ भागे। वहां खड़े सुरक्षा कर्मियो ने उन्हे बाहर ही रोक दिया और पूछा कि क्या बात है। परीक्षकों ने बतलाया कि भारत ने वार्ता का दरवाजा बंद कर दिया है। इसलिए हम मियां साहब की सेहत के बारे में जानकारी लेने आए थे। ठीक तो हैं न वे? सुरक्षा कर्मियो ने- अमां क्या बात कर रहे हो। मियां साहब तो भले-चंगे है। सुबह ही तंदूरी मुर्गा खा कर राग कश्मीर गा रहे हैं।