'कम उम्र के लोगों की इबोला से कम मौतें'
इबोला प्रभावित पश्चिम अफ्रीकी देश सियेरा लियोन में इस वायरस के संक्रमण के पहले मामले का अध्ययन करने से इस बात का पता चल सका है कि वायरस से होने वाली मौतें उम्र और शारीरिक क्षमता पर निर्भर करती...
इबोला प्रभावित पश्चिम अफ्रीकी देश सियेरा लियोन में इस वायरस के संक्रमण के पहले मामले का अध्ययन करने से इस बात का पता चल सका है कि वायरस से होने वाली मौतें उम्र और शारीरिक क्षमता पर निर्भर करती हैं।
सियेरा लियोन के केनेमा सरकारी अस्पताल में वायरस से संक्रमित 106 लोगों पर किये गये अध्ययन से इस बात का पता लगा है कि वायरस संक्रमित 21 साल से कम उम्र के 57 प्रतिशत लोगों की मौत हो गई जो कि संक्रमण से मारे गये 45 साल से अधिक उम्र के 94 प्रतिशत लोगों की तुलना में बहुत कम है।
अस्पताल में गत 25 मई से 18 जुलाई तक किये गये अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि मरीजों में संक्रमण के लक्षण छह से बारह दिन बाद नजर आते हैं, जिनमें से 74 प्रतिशत मरीजों की अध्ययन के दौरान ही मौत हो गई।
अमेरिका के न्यू आर्लियंस राज्य के ट्यूलाने विश्वविद्यालय के डॉकटर जॉन शिफेलिन ने बताया कि पहली बार इतनी बड़ी संख्या में इबोला संक्रमितों पर अध्ययन किया गया है। उन्होंने कहा कि अध्ययन करने वाली टीम 44 इबोला प्रभावितों के किलीनिकल रिकॉर्ड इकट्ठा करने में भी सफल हुई है। डॉक्टर शिफलिन ने कहा कि इस वायरस के खिलाफ अलग-अलग लोगों की शारीरिक प्रतिक्रिया भी एक जैसी नहीं है।
अध्ययन में वायरस के लक्षणों के बारे में भी रिपोर्ट मिली। इनमें से 80 प्रतिशत मामलों में सिरदर्द, 66 प्रतिशत मामलों में कमजोरी, 60 प्रतिशत मामलों में चक्कर आना, 51 प्रतिशत मामलों में हैजा की शिकायत, 40 प्रतिशत मामलों में पेट में दर्द तथा 34 प्रतिशत मामलों में उल्टी आने जैसे लक्षण सामान्य रहे।
इसके अलावा मात्र एक मामले में ही खून आने की शिकायत मिली। इस बारे में डॉक्टर शिफालिन ने बताया कि हैजा इस वायरस का मुख्य लक्षण माना जाता है और नसों में तरल पदार्थों को देखने के बाद चिकित्सकों को बहुत ही सावधानी बरतनी चाहिये। इबोला से सर्वाधिक प्रभावित पश्चिम अफ्रीकी देशों सियेरा लियोन, लाइबेरिया और गुएना में पांच हजार से अधिक लोगों की इससे संक्रमित होने के कारण जान जा चुकी है।