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नए जमाने की धूनी, नए जमाने के संत

हमारे देश में अध्यात्म की ऐसी विकसित परंपरा है कि लुटेरा राम का नाम लेकर लूटता है और लुटने वाला राम-राम करके लुटता है। हर गली, मोड़, नुक्कड़, पान की दुकान पर कोई न कोई प्रवचन के पावन कर्म में सक्रिय...

नए जमाने की धूनी, नए जमाने के संत
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 26 Oct 2014 10:44 PM
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हमारे देश में अध्यात्म की ऐसी विकसित परंपरा है कि लुटेरा राम का नाम लेकर लूटता है और लुटने वाला राम-राम करके लुटता है। हर गली, मोड़, नुक्कड़, पान की दुकान पर कोई न कोई प्रवचन के पावन कर्म में सक्रिय है। जिस रफ्तार से शिक्षित बेरोजगारों की तादाद बढ़ रही है, उसी गति से उपदेशकों की जमात भी। घर में बैठकर बोर होने से बेहतर है कि बाहर भ्रष्टाचार, काले धन, अर्थव्यवस्था में सुधार आदि पर फ्री-फंडिया उपदेश बांटें। कंपनियों को प्रवचनकर्ताओं की तलाश है। प्रबंधकों के प्रशिक्षण में ऐसी प्रतिभाओं के प्रयोग से वह मुनाफा कमाते हैं। सूट-टाई वाले ये विशेषज्ञ, साधु-संन्यासियों के आधुनिक संस्करण हैं। धेले भर के काम बिना दोनों लफ्फाजी की कमाई के बेहद कामयाब कलाकार हैं।

विदेशी बाजार में ऐसी विभूतियों की काफी मांग है, विशेषकर विकसित देशों में। जब भौतिक और शारीरिक सुखों की बदहजमी हो जाती है, तो उसकी स्वाभाविक परिणति मानसिक अमन-चैन की तलाश है। शिकार कभी किसी योगाचार्य की शरण लेता है। मन को राहत मिले न मिले, जेब जरूर हल्की हो जाती है। यह वैसा ही है, जैसे कोई सिगरेट के छल्ले से खुशबू खोजे।

सियासत में भी नए संतों का प्रादुर्भाव है। ऐसे एक नायक के जीवनी-लेखक का बयान है कि बचपन से उसके मन में सेवा के कीटाणु कुलबुला रहे हैं। प्राइमरी स्कूल में टिफिन चुराकर इस होनहार ने सहपाठियों की सेवा की और कुरसी से मेंढक बांधकर टीचर की। यूनिवर्सिटी में यूनियन के अध्यक्ष बनकर स्ट्राइक और कुलपति की पिटाई का रिकॉर्ड रचा, बाद में विधायक और मिनिस्टर रहकर भ्रष्टाचार का। आय से अधिक संपत्ति के केस में सजा के बाद उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया है। सब सशंकित हैं। इस रावण का क्या भरोसा? जल-जलकर जीता है। उन्होंने घोषणा की है कि वह जेल जाकर बेल नहीं लेंगे, बल्कि अपराधियों का हृदय-परिवर्तन करके अपराध मुक्त भारत का निर्माण करेंगे। उनकी तिहाड़ यात्रा से शहर में हत्या, बलात्कार, अपहरण, पुलिस की पिटाई जैसे हादसों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है।

 

 

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