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विकास के बावजूद

आज हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के नागरिक हैं। गैर-बराबरी मिटाने के लिए तमाम सामाजिक सुधारों को कानूनी रूप दिया गया, पर इन सुधारों के बीच सामंतवाद जिंदा खड़ा है। आर्थिक विकास के नाम पर...

विकास के बावजूद
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 17 Aug 2014 08:55 PM
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आज हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के नागरिक हैं। गैर-बराबरी मिटाने के लिए तमाम सामाजिक सुधारों को कानूनी रूप दिया गया, पर इन सुधारों के बीच सामंतवाद जिंदा खड़ा है। आर्थिक विकास के नाम पर लोकतंत्र के समानांतर एक निरंकुश-तंत्र खड़ा हुआ है। जहां अच्छी व चौड़ी सड़कें विकास के लिए आवश्यक स्थिति का निर्माण करती हैं, वहीं देश में होने वाले सड़क हादसों का 40 प्रतिशत शिकार पैदल राही होते हैं। महानगरों में लाखों लोग फुटपाथ पर सोते हैं। इन सबके बावजूद अब तक कोई भी सरकार इस दिशा में गंभीर नहीं दिखाई दी। ऐसी बात भी नहीं कि सामंतवाद बाहर से आया या कोई नई चीज है, यह तो समाज में शुरू से था। अब बस इसका स्थानांतरण सामाजिक से राजनीतिक हो गया है। आज मीडिया भी शासक वर्ग के साथ ही खड़ा दिखाई देता है।
अंशु शरण

केजरीवाल करें विचार
अंतत: आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व पर उनके अपनों ने ही उंगली उठा दी। बिन्नी के बाद इल्मी ने पार्टी के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए। लेकिन इस पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक शांति भूषण ने उनकी कमजोरी ही पहचान ली। केजरीवाल की जिद और जल्दबाजी से किसी न किसी रूप में इस साफ-सुथरी पार्टी को नुकसान हुआ है। दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस की मदद से ही सही, पर पार्टी को सत्ता मिल गई थी। यह समय था कि आम आदमी पार्टी अपने प्रशासनिक कामकाज से जनता को खुश करती। लेकिन केजरीवाल ने इस्तीफा देने का मन बना लिया और वह मुख्यमंत्री की कुरसी छोड़कर लोकसभा चुनावों में कूद पड़े। कई जगहों पर पार्टी के पास तब सांगठनिक ढांचा भी नहीं था, लेकिन उम्मीदवार उतारे गए। हश्र यह हुआ कि पार्टी लोकसभा चुनावों में पिट गई। इसलिए केजरीवाल को यह आत्म-मंथन करना चाहिए कि उनकी महत्वाकांक्षा पार्टी को क्षति तो नहीं पहुंचा रही है। उन्हें सोचना होगा कि वह पार्टी को व्यक्ति केंद्रित तो नहीं बना रहे हैं। अगर अगले चुनावों में इस पार्टी को जीत का स्वाद चखना है, तो पार्टी को अपनी दिशा और दशा में बदलाव लाना होगा।
सचिन कुमार कश्यप, शामली

प्रधानमंत्री ने जो कहा
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता की नब्ज को छूने का काम किया। उनका भाषण अब तक के प्रधानमंत्रियों के भाषण से अलग था और इसमें सार्थक संदेशों का समावेश भी अधिक था। उन्होंने घोषणाओं की झड़ी नहीं लगाई, बल्कि घोषणाओं को कैसे साकार करेंगे, इसके बारे में बातें कीं। उन्होंने जनता को नैतिकता का पाठ नहीं पढ़ाया, बल्कि उन्हें नसीहत दी कि हमें एक विकसित भारत के लिए क्या करना होगा। सचमुच, यदि भारत को एक विकसित देश बनना है, तो हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बताए गए कामों को पूरा करना होगा। मोदीजी ने ठीक ही कहा कि सबसे पहले ग्रामीण भारत का विकास करना होगा। इसलिए हमारा उद्देश्य बड़ी बातें न करके कर्तव्यों के निर्वहन का होना चाहिए, जिससे देश का विकास हो।
पंकज कुमार त्रिपाठी

मानसून का असर
अब यह लगने लगा है कि देश भर में सामान्य के आसपास बारिश होने जा रही है, जबकि शुरू में ऐसी आशंका जताई गई थी कि इस बार कम बारिश होगी, जिससे देश के कई इलाके सुखाड़ का सामना कर सकते हैं। लेकिन मानसून ने अपनी गति तेज की और देश के कई इलाकों में हाल के दिनों में झमाझम बारिश हुई। खरीफ फसलों के लिए यह खुशखबरी से कम नहीं, हालांकि ये फसलें कुछ पीछे हो चुकी हैं। अगर मानसून ठीकठाक रहा, तो निस्संदेह खाद्य महंगाई में गिरावट आएगी या कम से कम वह स्थिर रहेगी।
सुलभ वर्मा, साहिबाबाद, उत्तर प्रदेश

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