साधारण फ्लू की तरह होगा स्वाइन फ्लू का इलाज
स्वाइन फ्लू के इलाज के संदर्भ में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने नई गाइड लाइन जारी की है। जिसमें स्वाइन फ्लू के इलाज को साधारण फ्लू की तरह इलाज करने की बात कही गई। मंत्रालय ने कहा...
स्वाइन फ्लू के इलाज के संदर्भ में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने नई गाइड लाइन जारी की है। जिसमें स्वाइन फ्लू के इलाज को साधारण फ्लू की तरह इलाज करने की बात कही गई। मंत्रालय ने कहा कि स्वाइन फ्लू से घबराने की जरूरत नहीं है। जिसे साधारण फ्लू की दवाओं से भी ठीक किया जा सकता है। मंत्रालय की इस गाइडलाइन को जारी करने के पीछे टैमी फ्लू के गलत इस्तेमाल को रोकना बताया गया है। हालांकि इस साल भी जून महीने तक देश में स्वाइन फ्लू के मरीजों का आंकड़ा एक हजार से अधिक पहुंच गया है।
मौसम बदलने के साथ बढ़ी आद्रता में एक बार फिर से राजधानी में फ्लू के वायरस पैर पसार सकते हैं। लेकिन फ्लू के इलाज में इस बार स्वास्थ्य मंत्रालय ने विशेष गाइडलाइन जारी की है। वर्ष 2008 में पैनडेमिक (देशव्यापी) घोषित इस बीमारी से अब घबराने की जरूरत नहीं हैं।
दिल्ली में स्वाइन फ्लू के जोनल अधिकारी डॉ. चरन सिंह ने बताया कि एचवनएनवन संक्रमण से बचने के लिए देश में वक्सीन और दवा भ्उपलब्ध है, बावजूद इसके दवा और वक्सीन का इस्तेमाल बेहद सीमित करने को कहा गया है, यही वजह है कि इस बार फ्लू को सही करने के लिए विशेष स्वाइन फ्लू की दवा (टैमी फ्लू) देने की जगह साधारण इंफ्लूएंजा में इस्तेमाल होने वाली दवाएं देने के लिए कहा गया है। दरअसल एचवनएनवन संक्रमण में दी जाने वाली दवा यदि किसी ऐसे मरीज को दे दी जाएं जिसमें पूरी तरह संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई तो दूसरी बार संक्रमण होने पर दवा का असर नहीं होगा।
इस लिहाज से फ्लू के प्रारंभिक चरण में साधारण फ्लू की दवाएं देकर ही संक्रमण को ठीक किया जा सकता है। मालूम हो कि वर्ष 2014 में देशभर में इस साल अब तक स्वाइन फ्लू के 1511 मामले देखे गए हैं।
कब कितने मरीज
वर्ष पुष्टि मौत
वर्ष 2009 7088 81
वर्ष 2010 1850 56
वर्ष 2011 22 2
वर्ष 2012 78 1
वर्ष 2014 1511 -
नोट- वर्ष 2014 के आंकड़े जून महीने तक के हैं।
क्या है स्वाइन फ्लू
एचवनएनवन वायरस मुख्य रूप से सुअरों से मानव शरीर में हवा के जरिए श्वांस के माध्यम से शरीर में पहुंचता है। उसके बाद एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में वायरस आसानी से फैल जाता है। संक्रमित व्यक्ति की छींक में एक लाख से अधिक ट्रॉपलेट होते हैं, जाे तीन से छह फीट की दूरी तक खड़े व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकता है। यही कारण है कि वायरस से संक्रमण से बचने के लिए सार्वजनिक जगहों पर मुंह पर कपड़ा रखकर छींकने की सलाह दी जाती है। वर्ष 2009 में संक्रमण विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पेंडेमिक बीमारी की श्रेणी में रखा था।
कितने तरह का संक्रमण
साधारण फ्लू- मौसम बदलने के साथ होने वाले इंफ्लूएंजा को साधारण फ्लू कहा जाता है। रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होने वाले लोगों में इसके वायरस आसानी से प्रभाव डालते हैं। हल्का बुखार, बदन टुटना, गले में खराश और मांसपेशियों में दर्द के साथ इसे लक्षण सामने आते हैं। हालांकि यह फ्लू तीन से चार दिन में बिना दवा के ठीक हो जाता है।
गंभीर फ्लू- इसकी शुरूआत भी साधारण फ्लू के साथ होती है, लेकिन एक समय बाद संक्रमण फेफड़े और किडनी को प्रभावित करना शुरू कर देता है। इसे गंभीर अवस्था का फ्लू कहे हैं। इसमें मरीज को छाती में दर्द, सांस लेने में दिक्कत और रक्तचाप कम होने लगता है। गर्भवती महिलाएं, बच्चे और बुजुर्गो पर इसका सबसे अधिक असर देखने को मिलता है।