बजट में छोटे करदाताओं को मिल सकती है कुछ राहत
नरेन्द्र मोदी सरकार का पहला बजट सख्त होने के संकेतों के बीच करदाताओं को इस बार कोई बड़ी राहत मिलने की संभावना कम है, बावजूद इसके वित्त और आर्थिक क्षेत्र के कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार छोटे...
नरेन्द्र मोदी सरकार का पहला बजट सख्त होने के संकेतों के बीच करदाताओं को इस बार कोई बड़ी राहत मिलने की संभावना कम है, बावजूद इसके वित्त और आर्थिक क्षेत्र के कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार छोटे करदाताओं को पिछले साल के बजट में दी गई 2,000 रुपये की कर राहत जारी रख सकती है।
विशेषज्ञों के अनुसार इस बजट से मुख्यतौर पर आर्थिक सुधारों पर मोदी सरकार की नीतियों और सोच का पता चलेगा। बहरहाल, महंगाई की स्थिति को देखते हुये पिछले साल के बजट में 2 से 5 लाख रुपये के आयवर्ग में छोटे करदाताओं को दी गई 2,000 रुपये की कर राहत को इस साल भी जारी रखा जा सकता है। मई में थोक मुद्रास्फीति पांच माह के उच्चस्तर 6.01 प्रतिशत पर पहुंच गई।
वित्त मंत्री अरुण जेटली 10 जुलाई को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार का पहला आम बजट पेश करेंगे। जेटली पहले ही बजट सख्त होने का संकेत दे चुके हैं। पिछले दिनों एक कार्यक्रम में उन्होंने साफ कहा कि सरकार राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर आगे बढ़ते हुये कड़े फैसले लेगी। आप यदि लोकलुभावन घोषणायें करेंगे, तो राजकोष पर बोझ बढ़ेगा, कर की दरें बढ़ जायेंगी, इससे काम नहीं चलेगा। आपको वित्तीय सूझबूझ से काम लेना होगा।
उन्होंने ऊंची मुद्रास्फीति और राजकोषीय घाटे पर भी चिंता जताई। अंतरिम बजट में 2014-15 में राजकोषीय घाटा 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वर्ष के शुरुआती दो माह में ही यह 44 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। इससे घाटा ऊंचा रहने की आशंका बढ़ गई है।
दिल्ली शेयर बाजार के पूर्व अध्यक्ष एवं ग्लोब कैपिटल मार्केट लिमिटेड के चेयरमैन अशोक अग्रवाल ने भाषा से कहा, आगामी बजट में करमुक्त आय की सीमा दो लाख से बढ़कर 2.50 लाख तक हो सकती है। यदि यह कदम उठाना संभव नहीं हुआ तो पिछले साल दी गई 2,000 रुपये की कर राहत इस साल भी जारी रह सकती है। हालांकि, कंपनियों पर लगाया गया अधिभार समाप्त हो सकता है। यह अधिभार केवल एक साल के लिये लगाया गया था।
उद्योग मंडल एसोचैम की अप्रत्यक्ष कर समिति के अध्यक्ष निहाल कोठारी ने कहा, उम्मीदें अलग अलग हैं, समय बहुत कम है, कितने कदम उठा सकते हैं यह कहना मुश्किल है लेकिन कर प्रक्रिया के सरलीकरण, रिफंड और दूसरे कर मामलों में होने वाली प्रताड़ना से राहत के उपाय किये जा सकते हैं।
पिछले बजट में 2 से 5 लाख की वार्षिक आय पर 10 प्रतिशत, 5 से 10 लाख रपये पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर लगाया गया। 60 से अधिक लेकिन 80 वर्ष से कम आयुवर्ग के लिये 2.50 लाख तक की सालाना आय कर मुक्त रखी गई जबकि 80 वर्ष तथा इससे अधिक के बुजुगों के लिये पांच लाख तक की आय को कर मुक्त रखा गया।
पूर्व वित्त मंत्री ने अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिये सालाना एक करोड़ रुपये से अधिक कमाई करने वाले व्यक्तियों पर 10 प्रतिशत की दर से कर अधिभार लगाया था। इसके अलावा घरेलू और विदेशी कंपनियों पर कर अधिभार बढ़ाया गया। हालांकि, उन्होंने कहा था कि अतिरिक्त अधिभार केवल एक वर्ष के लिये लागू रहेगा। मोदी सरकार इस मुद्दे पर नजरिया स्पष्ट कर सकती है।
भारतीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग चैंबर के महासचिव ज्योतिर्मय जैन ने कहा कि आगामी बजट में सरकार की वित्तीय क्षेत्र के सुधारों के बारे में सोच स्पष्ट होगी। पेट्रोलियम, ईंधन और खाद्य सब्सिडी पर सरकार क्या रख अख्तियार करती है इसके बारे में भी बजट में क्षलक दिखेगी।
निहाल कोठारी ने कहा कि जीएसटी पर राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति के साथ बैठक के बाद ही आगे कुछ हो सकेगा। इसमें अभी समय लगेगा। हालांकि, डीटीसी पर उन्होंने कहा कि यह ठंडेबस्ते में जा सकता है।
चार्टर्ड एकाउंटेंट एवं शेयर कारोबारी क़ेक़े मित्तल ने कहा, कर मुक्त आय की सीमा ढाई लाख रपये तक बढ़ सकती है। ढांचागत क्षेत्र के बॉंड पत्रों में निवेश पर कर छूट बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा परिवहन भत्ते के रूप में मिलने वाली 800 रुपये की छूट को भी बढ़ाकर 2,500 रुपये किया जा सकता है। मेडिकल प्रीमियम छूट भी बढ़ सकती है।
अशोक अग्रवाल का कहना है कि यदि बजट में सब्सिडी और राजकोषीय घाटे को कम करने के उपाय किये जाते हैं तो आर्थिक क्षेत्र में बेहतर संकेत जायेगा। ढांचागत क्षेत्र ज्यादा ध्यान दिया जाता है तो उससे भी निवेश धारणा बेहतर होगी और शेयर बाजार में भी इसका अच्छा संकेत जायेगा।
वरिष्ठ बैंक अधिकारी गगन कुमार की राय में निम्न आयवर्ग में 3,50,000 रुपये तक की आयकर मुक्त कर दी जानी चाहिये, जबकि दस लाख रुपये से अधिक की आय पर कर की दर 30 से बढ़ाकर 35 प्रतिशत कर दी जानी चाहिये। इससे लोगों के पास खर्च करने के लिये अधिक धन बचेगा और कर रिटर्न दाखिल करने के काम में भी तेजी आयेगी।