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चीनी चार रुपये तक हो सकती है महंगी

रेल किराये और डीजल की कीमतों में वृद्धि के बाद कड़वी चीनी के लिए भी तैयार रहें। सरकार ने सोमवार को चीनी पर आयात शुल्क 25 फीसदी बढ़ा दिया। ऐसे में चीनी की कीमतें दो से चार रुपए प्रति किलो तक बढ़ सकती...

चीनी चार रुपये तक हो सकती है महंगी
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 23 Jun 2014 09:21 PM
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रेल किराये और डीजल की कीमतों में वृद्धि के बाद कड़वी चीनी के लिए भी तैयार रहें। सरकार ने सोमवार को चीनी पर आयात शुल्क 25 फीसदी बढ़ा दिया। ऐसे में चीनी की कीमतें दो से चार रुपए प्रति किलो तक बढ़ सकती हैं। हालांकि, सरकार की दलील है कि इस फैसले से चीनी की कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान की अगुआई में हुई उच्चस्तरीय बैठक में चीनी पर आयात शुल्क 15 से बढ़ाकर 40 फीसदी करने और निर्यात सब्सिडी को इस साल सितंबर तक लागू करने का फैसला किया गया। साथ ही सरकार गन्ना किसानों के बकाया के भुगतान के लिए मिलों को 4,400 करोड़ रुपए का अतिरिक्त ब्याजमुक्त कर्ज देगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर हुई इस बैठक में पासवान के अलावा परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान, महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी, लघु उद्योग मंत्री कलराज मिश्र, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र और कैबिनेट सचिव अजित सेठ शामिल हुए। बैठक में चीनी पर 3,300 रुपए प्रति टन निर्यात सब्सिडी लागू रखने का भी फैसला किया गया।

नेशनल शुगर फेडरेशन के पूर्व कार्यकारी प्रबंधक विनय कुमार का कहना है कि सरकार के इन फैसलों से चीनी की कीमतों में कुछ इजाफा हो सकता है। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है। इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा कि चीनी की कीमत बढ़ाने की जरूरत है, ताकि मिल चीनी उत्पादन की लागत वसूल कर सके। चीनी मिल के शेयरों में भी काफी बढोतरी दर्ज हुई है।

राज्यों के गन्ने के राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) घोषित करने पर भी केंद्र सरकार का रुख सख्त है। खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि यूपी ने 280 रुपए प्रति क्विंटल एसएपी घोषित किया है। बिहार में यह 265 रुपए है। जबकि केंद्र ने 210 रुपए प्रति क्विंटल तय किया था। राज्य सरकार के इस तरह दाम बढ़ाने से चीनी मिलें किसानों को भुगतान नहीं कर पाती हैं। राज्य सरकार को दाम बढ़ाना है, तो उन्हें अपनी जेब से देना चाहिए।

चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का करीब 11 हजार करोड़ रुपए बकाया है। इसमें 7,200 करोड़ अकेले यूपी के किसानों का है। सरकार की दलील है कि चीनी मिलों को इतनी रियायत इसलिए दी गई है ताकि वे गन्ना किसानों के बकाया का जल्द भुगतान कर सकें।

 

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