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उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी का इस्तीफा

नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा संप्रग सरकार के समय नियुक्त किए गए कुछ राज्यपालों को बाहर का रास्ता दिखाए जाने की प्रक्रिया शुरू करने के बीच उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी ने आज इस्तीफा दे दिया, लेकिन...

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी का इस्तीफा
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 18 Jun 2014 01:11 AM
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नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा संप्रग सरकार के समय नियुक्त किए गए कुछ राज्यपालों को बाहर का रास्ता दिखाए जाने की प्रक्रिया शुरू करने के बीच उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी ने आज इस्तीफा दे दिया, लेकिन लगता है कि जिन अन्य राज्यपालों से पद छोड़ने को कहा गया है वह इसका विरोध कर रहे हैं।

समझा जाता है कि अन्य जिन राज्यपालों पर पद छोड़ने का दबाव बन रहा है उनमें केरल की राज्यपाल शीला दीक्षित सहित चार अन्य राज्यपाल शामिल हैं। नईसरकार राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण जैसी इकाइयों में सदस्यों के रूप में राजनीतिक नियुक्तियों को भी हटाने की दिशा में सक्रिय है।

नेहरू-गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले 78 वर्षीय जोशी ने अपना इस्तीफा आज गृह मंत्रालय को भेज दिया है। एक दिन पहले ही केन्द्र की ओर से कुछ राज्यपालों को पद से हटने के लिए कह दिया गया था। समझा जाता है कि केन्द्रीय गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने ऐसे राज्यपालों को फोन करके नई सरकार का यह संदेश उन तक पंहुचा दिया था कि वे अपने पद से हट जाएं।

कांग्रेस और माकपा ने हालांकि, सरकार के इस कदम की असंवैधानिक और अनैतिक बताकर आलोचना की है। लेकिन भाजपा नेताओं का मानना है कि इसमें कुछ गलत नहीं है।

बताया जाता है कि जिन राज्यपालों को पद से हटने के लिए कहा गया है उनमें महाराष्ट्र के क़े शंकरनारायणन, केरल की शीला दीक्षित, पश्चिम बंगाल के एम़ क़े नारायणन और नगालैंड के अश्विनी कुमार शामिल हैं। गुजरात की राज्यपाल कमला बेनिवाल भी हटाई जा सकती हैं जिनके साथ गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहने के दौरान मोदी के अच्छे संबंध नहीं थे।

इस पूरे घटनाक्रम के बारे में हालांकि, आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं बताया गया है, गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि जोशी का इस्तीफा मिल गया है और उसे मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय भेज दिया गया है।
 जोशी का कार्यकाल कुछ महीने पहले ही समाप्त हुआ था, जिसके बाद उन्हें एक और कार्यकाल के लिए शपथ दिलाई गई थी।

कुछ राज्यपालों को पद से हटने के लिए कहे जाने के बारे में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कथित तौर पर टिप्पणी की है कि अगर इन राज्यपालों की जगह वह होते तो पद से हट जाते। यह अजीब संयोग है कि कई राज्यपाल आज राष्ट्रीय राजधानी में हैं और उनमें से कई ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी मुलाकात की। इससे उनके इस्तीफे की अटकलों को बल मिला।

कर्नाटक के राज्यपाल एच आर भारद्वाज, जिनका कार्यकाल इसी महीने समाप्त हो रहा है, ने हालांकि इस्तीफा देने की बात से इंकार किया। दिल्ली आए असम के राज्यपाल जेबी पटनायक ने भी यही रुख अपनाया और कहा कि उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है।

पटनायक ने कहा कि अगर अफवाह है (उनके इस्तीफा देने के बारे में) तो मैं कुछ नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति, जो कि उनके मित्र हैं, से मिलने का मतलब यह नहीं है कि वह इस्तीफा दे रहे हैं। उधर शीला दीक्षित ने कहा कि वह मीडिया की खबरों पर टिप्पणी नहीं करेंगी। 

इस बीच राजस्थान की राज्यपाल मार्गरेट अल्वा आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलीं, जिसे शिष्टाचार भेंट बताया गया। बाद में वह राष्ट्रपति से भी मिलीं। अल्वा का पांच साल का कार्यकाल अगस्त में पूरा हो रहा है। कुछ राज्यपालों को हटाए जाने की मुहिम की आलोचना करते हुए कांग्रेस ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताया और कहा कि तानाशाही भरे कदमों के गंभीर परिणाम होंगे।

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