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फिर से सक्रिय तो नहीं हुआ बिहार मॉडय़ूल

आतंकियों की खुफिया पनाहगार के रूप में कुख्यात बिहार से एक के बाद एक यासीन भटकल, जियाउर्रहमान उर्फ वकास और तहसीन उर्फ मोनू की गिरफ्तारी के बाद आईएम (इंडियन मुजाहिद्दीन) का खात्मा मान लिया गया था। मगर...

फिर से सक्रिय तो नहीं हुआ बिहार मॉडय़ूल
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 14 Jun 2014 11:01 PM
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आतंकियों की खुफिया पनाहगार के रूप में कुख्यात बिहार से एक के बाद एक यासीन भटकल, जियाउर्रहमान उर्फ वकास और तहसीन उर्फ मोनू की गिरफ्तारी के बाद आईएम (इंडियन मुजाहिद्दीन) का खात्मा मान लिया गया था। मगर इसी रूट पर 145 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट की बरामदगी से खुफिया एजेंसियों के कान फिर खड़े हो गए हैं। आशंका है कि बिहार मॉडय़ूल एक बार फिर सक्रिय हो चुका है।


पिछले वर्ष अक्टूबर महीने में रक्सौल से आईएम का संस्थापक यासीन भटकल पकड़ा गया। यासीन पर बोधगया में धमाकों का आरोप था। इसके बाद 23 मार्च-2014 को जियाउर्रहमान उर्फ वकास और 26 मार्च को तहसीन अख्तर उर्फ मोनू दिल्ली पुलिस के स्पेशल ब्रांच के हत्थे चढ़ गए। दस लाख के इनामी दो आतंकियों की तीन दिन के भीतर गिरफ्तारी के बाद मान लिया गया था कि आईएम की गतिविधियां संचालित करने के लिए अब कोई बड़ा नाम नहीं बचा है। ऐसे में शनिवार की बरामदगी के बाद एक बार फिर खुफिया एजेंसियों में सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
बिहार से दबोचे गए मोनू और वकास ने इस तथ्य का भी खुलासा किया था कि उन्होंने वाराणसी में कचहरी समेत कई मंदिरों और घाटों की रेकी की थी। खुफिया एजेंसियों के हवाले से ‘हिन्दुस्तान’ ने पांच अक्टूबर के अंक में इस खतरे की तरफ आगाह भी किया था। विस्फोटकों की बड़ी बरामदगी ने एक बार फिर काशी पर मंडराते आतंकी खतरे की आशंकाओं को पुख्ता कर दिया है।

फर्जी नाम-पते पर लाइसेंस और नंबर

पकड़ी गई कार और इससे बरामद ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी नाम-पते पर लिए गए हैं। देररात पुलिस की प्रारंभिक छानबीन में यह तथ्य सामने आया। इसके बाद विस्फोटकों के तार देश विरोधी तत्वों से जुड़े होने की आशंका बलवती हो गई है।


हमारे डाफी प्रतिनिधि के अनुसार, नीले रंग की मारुति कार (यूपी 65 क्यू 5544) का रजिस्ट्रेशन नदेसर में किराए पर रहने वाले विकास सिंह के नाम पर है। पते की तस्दीक करने पहुंची पुलिस को मकान मालिक ने बताया कि इस नाम का कोई भी व्यक्ति इस पते पर कभी नहीं रहा। विकास सिंह का मूल पता ग्राम तिवारीपुर, कैमूर भभुआ (बिहार) के रूप में दर्ज है। दूसरी तरफ, कार से मिले ड्राइविंग लाइसेंस पर मिला विमलेश कुमार का नाम पता भी फर्जी निकला। रोहतास से मिली जानकारी के मुताबिक, ताराचंडी में रघुराय राम नामक कोई व्यक्ति नहीं रहता। यहां विमलेश नामक एक युवक की जानकारी मिली जो अवैध खनन के धंधे से जुड़ा हुआ है।

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