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मुख्यमंत्री हैं पर्यावरण प्रेमी, फिर भी वन भूमि 0.25 प्रतिशत

हाथरस। प्रदेश के मुख्यमंत्री को पर्यावरण प्रेमी माना जाता है। बावजूद इसके प्रदेश में वन अनुपात बेहद कम है। पर्यावरण सुरक्षा को लेकर तमाम विभागों द्वारा मात्र कागजों पर ही काम हो रहा है। वन विभाग...

मुख्यमंत्री हैं पर्यावरण प्रेमी, फिर भी वन भूमि 0.25 प्रतिशत
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 04 Jun 2014 11:46 PM
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हाथरस। प्रदेश के मुख्यमंत्री को पर्यावरण प्रेमी माना जाता है। बावजूद इसके प्रदेश में वन अनुपात बेहद कम है। पर्यावरण सुरक्षा को लेकर तमाम विभागों द्वारा मात्र कागजों पर ही काम हो रहा है। वन विभाग को या जल निगम या फिर नगर पालिका किसी का भी ध्यान पर्यावरण सुरक्षा पर नहीं है। इतना ही नहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी कोई कारण उपाय प्रदूषण नियंत्रण के लिए नहीं कर पा रहा है। इनमें सबसे अह्म है हरे पेड़ो का कटान, जो कभी विकास के नाम पर किया जाता है तो हमेशा ही लकड़ी की आवश्यकता पूरी करने के लिए अवैध तरीके से किया जाता है।

जिला प्रशासन हो या पुलिस प्रशासन दोनों के ही द्वारा इसे रोकने के लिए कोई सख्त कदम नहीं उठाए जाते। हालात यह है कि हरे पेड़ो का अवैध कटान एक आम बात है। जनपद में पर्यावरण सुरक्षा को लेकर कई संस्था व लोग कार्य करते हैं सुझाव देते हैं। इनके भी कोई खास मायने नहीं दिखाई देते। ऐसे में वशि्व पर्यावरण दिवस के क्या मायने, यह अपने आप में एक सवाल है। हाथरस जनपद में पर्यावरण सुरक्षा के लिए कदम उठाना तो दूर की बात है।

यहां वन भूमि के अनुपात का सही आंकड़ा भी वन विभाग के किसी दस्तावेज में नहीं है। जो भूमि वन विभाग के पास है उसमें से तमाम जमीन पर विभाग का कब्जा नहीं है तो तमाम जमीन विवादित है। ऐसे में अनुमान है कि जनपद में मात्र 0.25 प्रतिशत ही वन भूमि है, जिस पर पौधारोपण आदि का कार्य किया जाता है। हैरत की बात यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 20 प्रतिशत से अधिक है। जो पिछले तीन सालों में दो प्रतिशत से अधिक बढ़ा है।

बात अगर राष्ट्रीय वन नीति की करें तो कम से कम एक तिहाई वन भूमि होनी चाहिए। यानि पर्यावरण को जीवन के अनुकूल बनाने के लिए कम से कम 33 प्रतिशत वन भूमि का होना अनिवार्य है। ऐसे में इस बात की अवश्यकता से इंकार नहीं किया जा सकता कि पर्यावरण सुरक्षा व संरक्षण के लिए लोगों को जागरुक करने या सक्रिय कदम उठाने को वशि्व पर्यावरण दिवस जैसे दिन का इंतजार करना बेईमानी है। इसके लिए नियमित तरीके से उपाय किए जाने बहुत ही अवश्यक हैं।

आज क्या करेगा वन विभाग? जानकर हैरानी होगी लेकिन सत्य है आज वशि्व पर्यावरण दिवस के मौके पर वन विभाग द्वारा कोई ऐसा सक्रिय कार्य नहीं किया जाएगा, जिससे पर्यावरण सुरक्षा या संरक्षा की पुख्ता कार्यवाही कहा जा सके। वन विभाग द्वारा आज एक पुराने प्रोजेक्ट के तहत जनपद के किसी एक स्कूल में पर्यावरण गोष्ठी का आयोजन होगा। जहां कुछ एक पौधे लगाए जाएंगे व बच्चों के बीच ड्राइंग प्रतियोगतिा का आयोजन किया जाएगा। आज जनपद में मौजूद नहीं होंगे डीएफओ पर्यावरण को लेकर अह्म भूमिका निभाग ने वाला वन विभाग है।

इस दिन वन विभाग द्वारा तो कोई खास कार्यक्रम नहीं ही आयोजित किए जा रहे। हैरत इस बात की है कि आज के दिन भी प्रभागीय वनाधिकारी जनपद में मौजूद नहीं होंगे। किसी सरकारी कार्य के चलते उन्हें आज कन्नौज में मौजूद रहना है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि शासन व प्रशासन पर्यावरण व वशि्व पर्यावरण दिवस को लेकर कितने संजीदा है। विकास के नाम पर चली 3600 पेड़ो पर आरी जनपद में विकास के नाम पर पिछले चार सालों में लगभग 3600 हरे पेड़ो पर आरी चला दी गई है।

इनमें अलीगढ़ से आगरा मार्ग पर एनएचआई द्वारा चौड़ीकरण किया गया। इसमें कुल 2400 पेड़ो का कटान किया गया। इसके अलवा हाल ही ईस्टन डेडीकेटेड कॉरीडोर का निर्माण कर किया जा रहा है। इसमें भी लगभग 1200 प्राइवेट पेड़ो पर अब तक आरी चलाई गई है। जबकि मात्र 13 सरकारी पेड़ो का कटान किया गया है। बात अगर यमुना एक्सप्रेस वे की करें तो इसका कोई भाग हाथरस जनपद में न आने के कारण वन विभाग के पास इसके लिए काटे गए पेड़ो का डाटा नहीं है।

अवैध कटान का नहीं कोई आंकड़ा जनपद में अवैध तरीके से पिछले सालों में कितने पेड़ काटे गए इसका आंकड़ा नहीं है। इसकी मुख्य वजह यह है कि जनपद कितने पेड़ हैं इसका वन विभाग के पास कोई आंकड़ा नहीं है। बावजूद इसके समझ पाना आसान है कि जनपद में खुलेआम सौ से अधिक अवैध आरा मशीनों का संचालन किए जाने का अनुमान है। हैरत की बात यह है कि लकड़ी का अवैध कारोबार करने वालों के हौंसले इतने बुलंद है कि हाल ही में डीएफओ द्वारा दो अवैध आरा मशीनो पर कार्यवाही करने पर बड़े बबाल को अंजाम दिया गया।

डीएफओ के काफिले पर पथराव के अलावा आगजनी को भी अंजाम दिया गया।

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