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पूर्वोत्तर में विकास चुनाव का मुख्य मुद्दा

पूर्वोत्तर में क्षेत्रीय पार्टियां जहां खुद को साबित नहीं कर पा रही, वहीं कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सभी आठ राज्यों की 25 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। विशेषज्ञ...

पूर्वोत्तर में विकास चुनाव का मुख्य मुद्दा
एजेंसीThu, 20 Mar 2014 12:23 PM
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पूर्वोत्तर में क्षेत्रीय पार्टियां जहां खुद को साबित नहीं कर पा रही, वहीं कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सभी आठ राज्यों की 25 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। विशेषज्ञ हालांकि मानते हैं कि इस बार पूर्वोत्तर का मुख्य मुद्दा उग्रवाद की जगह विकास है।

गुवाहाटी विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक नानी गोपाल महंत कहते हैं, ''पूर्वोत्तर के लोग उग्रवाद को भूल जाना चाहते हैं। इस क्षेत्र में अलग-अलग जाति, भाषा और धर्म के लोग रहते हैं। राजनीतिक पार्टियों को इन मुद्दों को उठाना होगा।''

महंत ने कहा, ''असम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस 14 में छह से सात सीट जीत सकती है। लेकिन अन्य राज्यों में कांग्रेस, भाजपा पर बढ़त बनाएगी। क्षेत्रीय पार्टियां इस वक्त महत्वपूर्ण हो गई हैं।''

भाजपा ने असम की चार, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने त्रिपुरा की दो, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (रांकापा) ने मेघालय की दो, जबकि एजीपी, आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंड (बीपीएफ) और नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) को एक-एक सीट हासिल है।

मणिपुर, मिजोरम, असम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में कांग्रेस सत्ता में है। माकपा नीत वाम मोर्चा त्रिपुरा, एनपीएफ नीत डेमोक्रेटिक एलायंस नागालैंड और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) की सिक्किम में सरकार है।

पूर्वोत्तर के 566 विधायकों में भाजपा के असम में आठ, अरुणाचल प्रदेश में तीन और नागालैंड में एक सदस्य हैं। राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ तापस डे कहते हैं, ''उग्रवाद पर बड़े स्तर पर काबू पाए जाने के बाद आर्थिक विकास और पिछड़ेपन ने उग्रवाद के मसले का स्थान ले लिया है।''

उन्होंने कहा, ''पांच दशक लंबा उग्रवाद अब चुनाव का मुद्दा नहीं है। लोग विकास और कल्याण, शिक्षा, उच्च गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं एवं साफ सफाई चाहते हैं।''

कांग्रेस और भाजपा नेताओं का कहना है कि पार्टी इस क्षेत्र की अधिकतर सीटों पर कब्जा करेगी। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्वोत्तर के प्रभारी एस.एस.आहलुवालिया ने कहा, ''अटल बिहारी वाजपेयी नीत राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार के दौरान एक विशेष केंद्रीय मंत्रालय डेवलपमेंट आफ नार्थ इस्टर्न रीजन का गठन किया गया और 'पूर्व की ओर देखो नीति' की शुरुआत की गई। लेकिन कांग्रेस नीत सरकार ने इस मंत्रालय का इस्तेमाल क्षेत्र के विकास के लिए नहीं किया।''

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग से चुनाव लड़ रहे आहलुवालिया ने कहा कि राजग सरकार द्वारा शुरू की गई रेलवे, सड़क और पुल निर्माण से जुड़ी कई परियोजनाएं लंबित पड़ी हुई हैं। वहीं, भाजपा के आरोप को खारिज करते हुए कांग्रेस नेता रतन लाल नाथ ने कहा कि पार्टी चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेगी।

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