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बाजार और चुनाव का गहरा संबंध

आम चुनाव से ऐन पहले सेंसेक्स रिकॉर्ड 12 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 22 हजार के आंकड़ें को छू गया है। चुनाव से पहले बाजार में अब तक हुई यह दूसरी सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। इससे पहले वर्ष 2009 के चुनाव से पहले...

बाजार और चुनाव का गहरा संबंध
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 12 Mar 2014 10:34 AM
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आम चुनाव से ऐन पहले सेंसेक्स रिकॉर्ड 12 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 22 हजार के आंकड़ें को छू गया है। चुनाव से पहले बाजार में अब तक हुई यह दूसरी सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। इससे पहले वर्ष 2009 के चुनाव से पहले शेयर बाजार में सबसे अधिक 28 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। जानकार इस बढ़ोतरी की वजह निवेशकों की स्थिर सरकार की उम्मीद है।

हालांकि, चुनाव से ऐन पहले बाजार में बढ़ोतरी कोई नई बात नहीं है। पिछले छह आम चुनाव से पहले के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पिछले पाएंगे की हमेशा से तेजी का रुख रहा है। वर्ष 1991 और 1999 के चुनाव से पहले शेयर बाजार में 1.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। वर्ष 1998 के चुनाव से पहले एक फीसदी बढ़ोतरी हुई थी। इस मामूली बढ़ोतरी की वजह उस समय के आर्थिक हालात थे। निवेशकों में भरोसे के साथ शंका भी थी। वहीं, वर्ष 2004 में निवेशकों को उम्मीद थी कि एनडीए सरकार सत्ता में दोबारा आएगी और इस उम्मीद में बाजार चुनाव से पहले करीब सात फीसदी उछला। पर चुनाव बाद वाम दलों के सहयोग से बनी यूपीए सरकार ने उनका भरोसा तोड़ दिया और बाजार 12 फीसदी तक गिर गया।

हालांकि, वामदलों के अलगाव होने और यूपीए सरकार के दोबारा सत्ता में आने की उम्मीद से उत्साहित निवेशकों ने 2009 में भारी लिवाली की और इसका नतीजा हुआ कि बाजार में 28 फीसदी तक उछाल आया। इडेलवियेस फिनांशियल सर्विसेज के प्रमुख विनय खट्टर बाजार में आई तेजी पर टिप्पणी करते हुए कहते हैं कि निवेशकों को उम्मीद है कि चुनाव के बाद मोदी के नेतृत्व में स्थिर सरकार बनेगी। इसलिए बाजार ऊपर चढ़ रहा है। आनंदी राठी सिक्युरिटीज के इक्विटी एडवाइजर सर्विसेज के अध्यक्ष देवांग मेहता कहते हैं कि बाजार सियासी स्थिरता चाहता है और जब आने वाली सरकार स्थिरता और विकास केंद्रित नीतियों का वादा करें तो शेयर मार्केट में बढ़ोतरी होती है।

एक अन्य बाजार विश्लेषक ने कहा कि राजनीति का बाजार पर असर 15 मई 2004 को वाम दलों की मदद से सरकार गठित के संदर्भ में देखा जा सकता है। उसके बाद बाजार में 12 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई क्योंकि वाम खुले तौर पर उदारीकरण को पलटने की बात करते हैं। यह गिरावट तभी रुका जब खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि आर्थिक सुधार जारी रहेंगे।

विकास और सत्ता का गहरा नाता
सीएसओ के आंकड़ों के मुताबिक जिन राज्यों में उच्च विकास दर होता है वहां की सरकारों की वापसी की उम्मीद करीब 85 फीसदी होती है। मसलन बिहार, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश। वहीं जिन राज्यों में विकास दर मध्यम दर्जे का होता है उनकी वापसी की संभावना भी 50-50 होता है।

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