दिल्लीवालों को लगा झटका, एक अप्रैल से बिजली महंगी
आगामी 1 अप्रैल से दिल्ली के लोगों को न तो मुफ्त पानी मिलेगा और न ही सब्सिडी वाली सस्ती बिजली मिलेगी। दिल्ली के नए बजट में बिजली-पानी की सब्सिडी समाप्त कर दी गई है। हालांकि सूबे के विकास के मद्देनजर...
आगामी 1 अप्रैल से दिल्ली के लोगों को न तो मुफ्त पानी मिलेगा और न ही सब्सिडी वाली सस्ती बिजली मिलेगी। दिल्ली के नए बजट में बिजली-पानी की सब्सिडी समाप्त कर दी गई है।
हालांकि सूबे के विकास के मद्देनजर विधायक व पार्षद फंड को मंजूरी दे दी गई है। इससे साफ है कि केंद्र सरकार ने केजरीवाल सरकार के तमाम बड़े फैसलों को पलट दिया है। दिल्ली का लेखानुदान बजट शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया गया, जिसे चर्चा के बाद मंजूरी दे दी गई।
वित्त वर्ष 2014-15 की पहली छमाही के लिए पारित किए गए लेखानुदान प्रस्ताव में आगामी पहली अप्रैल से बिजली की सब्सिडी देने के लिए किसी रकम का प्रावधान नहीं किया गया है। इसी प्रकार मुफ्त पानी की आपूर्ति के लिए भी कोई प्रावधान इस लेखानुदान में नहीं किया गया है।
इसका मतलब यह है कि सस्ती बिजली और प्रति परिवार प्रतिदिन 666 लीटर पेयजल की व्यवस्था 31 मार्च को समाप्त हो जाएगी। गनीमत यही है कि लोकसभा ने 31 मार्च तक बिजली सब्सिडी की रकम को मंजूरी दे दी है।
उच्चपदस्थ सूत्रों ने बिजली-पानी सब्सिडी समाप्त किए जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू है। यहां पर कोई चुनी हुई सरकार नहीं है। लिहाजा, लेखानुदान पारित कराने का मतलब महज सरकारी मशीनरी को चलाए रखने के लिए सरकारी खजाने से जरूरत के मुताबिक धन की निकासी करना है।
बिजली, पानी या किसी अन्य मद में कोई छूट देने का अधिकार केवल चुनी हुई सरकारों को होता है। ऐसे में जब नई सरकार का गठन होगा, तो वह तय करेगी कि ऐसी सुविधा बहाल रखनी है अथवा समाप्त कर देनी है। बीते 28 दिसंबर को सूबे में सरकार के गठन के पहले ही दिन पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपना चुनावी वायदा पूरा करते हुए 400 यूनिट तक बिजली जलाने वाले उपभोक्ताओं को आधी कीमतों पर बिजली उपलब्ध कराने का फैसला किया था।
इसी प्रकार उन्होंने चालू मीटर वाले उपभोक्ताओं को प्रति परिवार, प्रतिदिन 666 लीटर मुफ्त पेयजल उपलब्ध कराने का फैसला भी किया था। महत्वपूर्ण यह है कि केजरीवाल के इस्तीफे और दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद उपराज्यपाल नजीब जंग ने घोषणा की थी कि केजरीवाल सरकार के फैसलों को नहीं बदला जाएगा।
लेकिन यह बजट इस बात का प्रमाण है कि केंद्र सरकार ने केजरीवाल के कई बड़े फैसलों को पलट दिया है। बिजली-पानी की सब्सिडी समाप्त किया जाना तथा विधायकों व पार्षदों के फंड को जारी रखना इसका सबसे बड़ा सबूत है। अगले छह महीनों में बिजली सब्सिडी पर सरकार को 600 करोड़ रुपये अधिक रकम खर्च करनी पड़ती, जबकि मुफ्त पानी के मद में छह महीने के लिए करीब 85 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजट की व्यवस्था करनी पड़ती।
सूत्रों ने बताया कि दिल्ली सरकार ने सस्ती-बिजली और मुफ्त पानी की व्यवस्था को जारी रखने का प्रयास किया था, लेकिन केंद्र सरकार ने लेखानुदान बजट में किसी प्रकार की सब्सिडी के प्रावधान को मानने से इनकार कर दिया।