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अजब-अनूठा सौरमंडल

हम जिस पृथ्वी पर रहते हैं, वह सौरमंडल (सोलर सिस्टम) का एक छोटा हिस्सा है। सूर्य, इसके ग्रहों और उनके पास घूमने वाली चीजों को सामूहिक रूप से सौरमंडल या सोलर सिस्टम कहा जाता है। इस सोलर सिस्टम का...

अजब-अनूठा सौरमंडल
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 12 Feb 2014 12:25 PM
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हम जिस पृथ्वी पर रहते हैं, वह सौरमंडल (सोलर सिस्टम) का एक छोटा हिस्सा है। सूर्य, इसके ग्रहों और उनके पास घूमने वाली चीजों को सामूहिक रूप से सौरमंडल या सोलर सिस्टम कहा जाता है। इस सोलर सिस्टम का मुखिया सूर्य है, ठीक वैसे ही जैसे हमारे घर के मुखिया मम्मी-पापा होते हैं। सोलर सिस्टम में सब कुछ सूर्य के इर्द-गिर्द घूमता है। आज इसके बारे में और जानते हैं प्रीति शर्मा से

सूर्य एक तारा है और सौरमंडल में 8 ग्रह हैं। इनके नाम हैं- बुध (मर्करी), शुक्र (वीनस), पृथ्वी (अर्थ), मंगल (मार्स), वृहस्पति (जूपिटर), शनि (सैटर्न), अरुण (यूरेनस) और वरुण (नेप्च्यून)। हालांकि कुछ साल पहले तक सौरमंडल में 9 ग्रह होते थे और प्लूटो इसका नवां ग्रह था। लेकिन 2006 में वैज्ञानिकों ने प्लूटो को ग्रह की श्रेणी से हटा दिया, क्योंकि यह बहुत छोटा था। चलो आज जानते हैं अपने सोलर सिस्टम की कुछ मजेदार बातों को-

पृथ्वी पर जितने बालू के कण हैं, उससे ज्यादा तारे यूनिवर्स में हैं।
हमारे सोलर सिस्टम की उम्र करीब 4.6 खरब वर्ष है।
अंतरिक्ष में जाने वाले लोग रो नहीं सकते, क्योंकि वहां गुरुत्वाकर्षण नहीं है, इसलिए आंसू नहीं बह सकते।
अगर पृथ्वी पर तुम्हारा वजन 30 किलो है तो चंद्रमा पर जाते ही वह केवल 5 किलो रह जाएगा, लेकिन सूर्य पर 840 किलो हो जाएगा। यानी चंद्रमा पर किसी व्यक्ति का वजन पृथ्वी के वजन का छठा भाग हो जाता है, जबकि सूर्य पर वजन पृथ्वी से 24 गुणा हो जाता है। ऐसा अलग-अलग स्थानों के अलग गुरुत्वीय खिंचाव की वजह से होता है।
सिरीअस (इसे डॉग स्टार भी कहा जाता है) सूर्य से भी बहुत चमकीला तारा है। सिरीअस यूनिवर्स का सबसे चमकीला तारा है।
अगर तुम अंतरिक्ष में चिल्लाओगे तो तुम्हारे पास खड़ा व्यक्ति भी उसे सुन नहीं पाएगा, क्योंकि वहां कोई हवा नहीं है, जो तुम्हारी आवाज को आगे ले जा सके।
जिस तरह पृथ्वी सौरमंडल का हिस्सा है, उसी तरह सौरमंडल एक गैलेक्सी का हिस्सा है, जिसे ‘मिल्की वे’ कहा जाता है।
सूर्य का मजबूत गुरुत्वीय बल पृथ्वी और दूसरे ग्रहों को उनके स्थान पर रखता है।
बुध ग्रह सूर्य के सबसे नजदीक है, लेकिन यह सबसे गर्म ग्रह नहीं है। शुक्र सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है।
सूर्य का करीब 75 प्रतिशत हिस्सा हाइड्रोजन से बना है, जबकि बाकी का ज्यादातर हिस्सा हीलियम है।
सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी पर पहुंचने में करीब 8 मिनट लगते हैं।
चंद्रमा के प्रकाश को पृथ्वी पर पहुंचने में करीब 1.25 सेकंड लगते हैं।
सौरमंडल के 8 ग्रह दो ग्रुप में बांटे गए हैं- इनर प्लैनेट और आउटर प्लैनेट। बुध, शुक्र, मंगल और पृथ्वी इनर प्लैनेट हैं, जबकि वृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेप्च्यून आउटर प्लैनेट हैं।
इनर प्लैनेट और आउटर प्लैनेट के छोटे-छोटे निकाय (बॉडीज) यानी बेहद छोटे आकाशीय पिंडों के छल्ले हैं, जो रॉक और मेटल से बने होते हैं। इन्हें ‘एस्टरॉइड’ या क्षुद्र ग्रह कहते हैं। ये सूर्य के चारों तरफ भी घूमते रहते हैं। इन छल्लों को ‘एस्टरॉइड बेल्ट’ भी कहते हैं।

बुध: सूर्य के सबसे नजदीक
इसका नाम रोमन देवताओं के संदेशवाहक (मेसेंजर) के नाम पर रखा गया है। यह सूर्य का सबसे नजदीकी ग्रह है।
बुध पर दिन में तापमान 400 डिग्री होता है, जबकि यह रात में माइनस 180 डिग्री हो जाता है।
यह सबसे छोटा ग्रह है और इसका कोई उपग्रह नहीं है।
बुध पर पानी नहीं है, यहां कोई मौसम नहीं होता और इसे नंगी आंखों से देखा जा सकता है।
यह सूर्य का चक्कर 88 दिनों में लगाता है, इसलिए बुध ग्रह पर एक वर्ष 88 दिनों का होता है।

शुक्र: सबसे चमकीला और गर्म ग्रह
यह सौरमंडल का सबसे चमकीला और गर्म ग्रह है।
इसका नाम प्रेम और सुंदरता के रोमन देवता के नाम पर है। यह सूर्य का चक्कर 225 दिनों में लगाता है।
शुक्र को पृथ्वी का जुड़वां या सिस्टर ग्रह भी कहा जाता है, क्योंकि इसका साइज और भार करीब-करीब पृथ्वी के बराबर ही है।
अगर आकाश में इसकी स्थिति का पता हो तो इसे कभी-कभी नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है।

पृथ्वी: नीला ग्रह
इसे पानी वाला ग्रह भी कहा जाता है, क्योंकि पृथ्वी के 70 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से पर पानी है।
सूर्य का जितना प्रकाश पृथ्वी पर पहुंचता है, उसका एक-तिहाई हिस्सा ही वह रिफ्लेक्ट करती है। पृथ्वी का वायुमंडल सूर्य के प्रकाश को बिखेर देता है और एक ब्लू इफेक्ट पैदा करता है। इसलिए पृथ्वी को ‘ब्लू प्लैनेट’ भी कहते हैं।
पृथ्वी इकलौता ग्रह है, जहां जीवन है यानी लोग रहते हैं।
यह अपने अक्ष पर घूमती है, जिससे दिन और रात होते हैं। ऐसा करने में इसे 24 घंटे का समय लगता है।
यह सूर्य का एक चक्कर लगाने में करीब 365 दिन लगाती है, इसलिए पृथ्वी पर एक साल 365 दिनों का होता है।
पृथ्वी के सूर्य का चक्कर लगाने के दौरान इसमें जो झुकाव होता है, उसकी वजह से मौसम बदलते हैं।
पृथ्वी का सिर्फ एक उपग्रह है, उसका नाम है चंद्रमा।
चंद्रमा भले ही चमकता हुआ दिखाई दे, लेकिन यह सूर्य के प्रकाश से चमकता है।
पूर्णिमा के दिन का चांद यानी फुल मून अर्ध चंद्र (हाफ मून) से 9 गुणा चमकीला होता है।

मंगल: लाल ग्रह
मंगल के दो उपग्रह हैं।
इसका नाम युद्ध के रोमन देवता के नाम पर रखा गया है।
आयरन ऑक्साइड की वजह से इसकी सतह लाल दिखती है, जिसकी वजह से इसे ‘रेड प्लैनेट’ भी कहा जाता है।
मंगल के वायुमंडल में 95 प्रतिशत कार्बन डाईऑक्साइड, 3 प्रतिशत नाइट्रोजन, 1.6 प्रतिशम ऑर्गन है और कुछ ऑक्सीजन तथा पानी भी है।

वृहस्पति: सबसे बड़ा ग्रह
यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है।
इसका नाम रोमन देवता जूपिटर के नाम पर रखा गया है।
जूपिटर किसी भी ग्रह के मुकाबले सबसे ज्यादा तेजी से घूमता है। इसके 67 चंद्रमा यानी सेटेलाइट हैं।
इसे ‘तूफानी ग्रह’ भी कहते हैं, क्योंकि इसके वायुमंडल में बहुत सारे तूफान आते हैं। अलग-अलग तरह के तूफानों और बादलों के बनने की वजह से यह बहुत कलरफुल प्लैनेट लगता है। इसे सोलर सिस्टम का ‘वैक्यूम क्लीनर’ भी कहा जाता है।

शनि: छल्लों (रिंग) वाला ग्रह
शनि सूर्य से छठा ग्रह है और यह सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है और सबसे हल्का ग्रह भी।
इसका नाम रोमन देवता सैटर्न के नाम पर रखा गया है।
इसके 22 चंद्रमा हैं। इसे नंगी आंख से देख सकते हैं।
यह पृथ्वी से 95 गुणा भारी है।
यह सूर्य का चक्कर लगाने में पृथ्वी के 29.5 साल के बराबर समय लेता है।
इसका घनत्व (डेंसिटी) इतना कम है कि इसे पानी में रखने पर यह तैरने लगेगा।
शनि ग्रह के चारों ओर दिखने वाले रिंग पत्थर और बर्फ के टुकड़ों से बने हैं।

अरुण: पूर्व से पश्चिम घूमने वाला ग्रह
इसका नाम आकाश के रोमन देवता के नाम पर रखा गया है।
यह इकलौता प्लैनेट है, जो अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है।
इसके 27 चंद्रमा यानी सेटेलाइट हैं।
यह बहुत ठंडा ग्रह है। यह सूर्य से बहुत दूर है, जिसके कारण सूर्य का जितना प्रकाश पृथ्वी पर पहुंचता है, उससे 370 गुणा कम प्रकाश यूरेनस पर पहुंचता है।

वरुण: सबसे ठंडा ग्रह
इसे नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता। इसके 8 चंद्रमा  हैं।
यह सौरमंडल का सबसे ठंडा ग्रह है। सूर्य से इसकी औसत दूरी 4.50 खरब किलोमीटर है और यह सूर्य का एक चक्कर लगाने में औसतन 164.79 साल का समय लेता है।

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