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2013 में हुआ मंगलयान का सफल प्रक्षेपण

मंगल अभियान की सफल शुरुआत और कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र में बिजली उत्पादन की शुरुआत वर्ष 2013 में अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र की कुछ बड़ी उपलब्धियों में शामिल रहीं। अंतरिक्ष विभाग के...

2013 में हुआ मंगलयान का सफल प्रक्षेपण
एजेंसीTue, 31 Dec 2013 01:07 PM
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मंगल अभियान की सफल शुरुआत और कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र में बिजली उत्पादन की शुरुआत वर्ष 2013 में अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र की कुछ बड़ी उपलब्धियों में शामिल रहीं।

अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत आने वाले इसरो ने नवंबर में मंगल अभियान शुरू करके एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। यह कार्य कुछ चुनिंदा देशों द्वारा ही किया गया है। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया मंगलयान 4 दिसंबर को पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र से बाहर चला गया था।

अपनी 300 दिन की यात्रा के बाद यह मंगल पर पहुंचेगा। इसके अलावा इसरो ने भारत और फ्रांस के संयुक्त उपग्रह कार्यक्रम के तहत समुद्री विज्ञान से जुड़े उपग्रह सरल का भी प्रक्षेपण किया। इसरो ने मौसमी उपग्रह इनसेट-3डी और बहु-बैंड संचार उपग्रह जीसेट-7 का भी प्रक्षेपण किया।

हालांकि इसरो के लिए एक बड़ी विफलता यह रही कि उसे जीएसएलवी-डी5 के ईंधन तंत्र में से रिसाव का पता लगने पर उसे रोकना पड़ा। यह इसके प्रक्षेपण से ठीक दो घंटे पहले हुआ। मंगल अभियान को जीएसएलवी-डी5 की तुलना में ज्यादा प्राथमिकता दिए जाने पर इसरो की आलोचना भारत और विदेश के वैज्ञानिक समुदाय ने की।

परमाणु ऊर्जा विभाग के परमाणु बिजली पैदा करने के कार्य को उस समय प्रोत्साहन मिला जब कुडनकुलम संयंत्र की पहली इकाई ने अक्टूबर में बिजली उत्पादन शुरू कर दिया। 1000 मेगावाट क्षमता वाली कुडनकुलम संयंत्र की पहली इकाई इस समय देश में परमाणु बिजली पैदा करने वाला सबसे बड़ा परमाणु बिजली संयंत्र है।

वहीं दूसरी ओर कुडनकुलम संयंत्र की तीसरी और चौथी इकाई बनाने के लिए रूस और भारत के बीच समझौता नहीं हो सका। इसकी मुख्य वजह रूस द्वारा जिम्मेदारी के मुद्दे पर उठाई गई आपत्तियां रहीं। सितंबर में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिकी कंपनी वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक और परमाणु ऊर्जा विभाग के बीच समझौता किया गया।

इसका उद्देश्य गुजरात में मिठी विरदी परमाणु बिजली संयंत्र को आगे बढ़ाना है। यह कंपनी एपी-1000 संयंत्र उपलब्ध करवाएगी। भारत और कनाडा के बीच हुआ असैन्य परमाणु सहयोग का समझौता सितंबर से प्रभाव में आ गया। हालांकि असैन्य परमाणु तकनीक के क्षेत्र में जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ कई दौर की वार्ताओं के बावजूद समझौता नहीं हो सका।

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