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मोदी को राहत, एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट को जायज ठहराया

एक स्थानीय अदालत ने गुरुवार को गुजरात दंगों के दौरान मारे गए कांग्रेस के एक नेता की विधवा की अर्जी खारिज कर दी। महिला ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी एवं 58 अन्य को 2002 के गुजरात दंगों में...

मोदी को राहत, एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट को जायज ठहराया
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 27 Dec 2013 01:17 AM
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एक स्थानीय अदालत ने गुरुवार को गुजरात दंगों के दौरान मारे गए कांग्रेस के एक नेता की विधवा की अर्जी खारिज कर दी। महिला ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी एवं 58 अन्य को 2002 के गुजरात दंगों में भूमिका के मामले में क्लीन चिट देने वाली विशेष जांच टीम (एसआईटी) की क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी थी।

याची जाकिया ई. जाफरी के पति और कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी गोधरा की घटना के बाद हुए दंगे के दौरान 28 फरवरी 2002 को गुलबर्गा सोसायटी में मारे गए 69 लोगों में शामिल थे। जाकिया ने उल्लेख किया कि मोदी एवं अन्य के खिलाफ भी राज्यव्यापी दंगों की साजिश में भूमिका के लिए मामला चलाया जाना चाहिए।

महानगर दंडाधिकारी बी. जे. गनतरा के फैसले से असंतुष्ट जाकिया जाफरी और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ सहित उनके समर्थकों ने कहा कि वे इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे।

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर गठित एसआईटी ने जाकिया के आरोपों की जांच की और 8 फरवरी 2012 को अपनी क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी। एसआईटी ने कहा था कि मोदी व अन्य के खिलाफ मामला चलाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।

जाकिया ने अपनी अर्जी में आरोप लगाया था कि एसआईटी ने पुलिस अधिकारियों के बयान एवं अन्य उपलब्ध सबूतों को नजरअंदाज कर मोदी एवं अन्य को बचाने का काम किया है।

उन्होंने एसआईटी पर अपूर्ण और हल्की जांच करने और उपलब्ध सबूतों को नजरअंदाज कर सत्य को अदालत से छिपाने का आरोप लगाया।

एसआईटी ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में कहा था कि मोदी व अन्य के खिलाफ मामला चलाने के लायक सबूत नहीं है और यह घटना (गुलबर्गा सोसायटी) उसके जांच के दायरे से बाहर है।

जांच एजेंसी ने भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों आर. बी. श्रीकुमार, संजीव भट्ट और राहुल शर्मा को गवाह के रूप में स्वीकार करने या उनके बयान को 'सुनीसुनाई' करार देते हुए सबूत मानने से इनकार कर दिया।

वर्ष 2006 में जाफरी ने 2002 के दंगों के दौरान मोदी एवं 62 अन्य के खिलाफ साजिश की शिकायत दर्ज किए जाने की मांग की।

गुजरात पुलिस के मना करने पर उन्होंने गुजरात उच्च न्यायालय में मामला दर्ज कराया जिसने दंडाधिकारी की अदालत जाने का निर्देश दिया। उन्होंने हालांकि सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का फैसला लिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने एसआईटी को इस मुद्दे पर विचार करने का निर्देश दिया और संबंधित दंडाधिकारी की अदालत में रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा।

 

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