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तैयारी सेहतमंद बच्चे की

अगर आप गर्भ धारण करने की योजना बना रही हैं, तो गर्भधारण से पहले अपने गाइनेकोलॉजिस्ट से परामर्श जरूर करें। गर्भधारण से पूर्व डॉक्टरी देखरेख में रहने से आप संभावित खतरों से बचकर अपनी और अपने बच्चे की...

तैयारी सेहतमंद बच्चे की
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 07 Nov 2013 02:27 PM
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अगर आप गर्भ धारण करने की योजना बना रही हैं, तो गर्भधारण से पहले अपने गाइनेकोलॉजिस्ट से परामर्श जरूर करें। गर्भधारण से पूर्व डॉक्टरी देखरेख में रहने से आप संभावित खतरों से बचकर अपनी और अपने बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती हैं। बता रही हैं पूनम सिंघल महाजन

नेहा शर्मा पिछले एक साल से बच्चे की योजना बना रही थीं, 2 महीने पहले उनका प्रेग्नेंसी जांच टेस्ट पॉजीटिव आया। किन्हीं कारणों से वह इसके बाद भी दो सप्ताह तक डॉक्टर के पास नहीं जा सकी। गर्भधारण के तीसरे हफ्ते में एक दिन अचानक नेहा को ब्लीडिंग होने लगी और कुछ ही देर में गर्भपात हो गया। नेहा को यह समझने का मौका ही नहीं मिला कि आखिर उसके साथ समस्या क्या हुई? गर्भपात होने पर वह डॉक्टर के पास गई। उनकी पूरी जांच की गई तो पता चला कि उनको थायरॉइड की समस्या है और खान-पान की गलत आदत की वजह से थायरॉयड का स्तर बढ़ गया था। तब नेहा को अपनी गलती का एहसास हुआ, यदि वह पहले ही डॉक्टरी देखरेख में रहती तो गर्भपात होने से बचा जा सकता था।

क्यों जरूरी है पूर्व गर्भधारण निरीक्षण
डॉं अनिता गुप्ता, वरिष्ठ सलाहकार, स्त्रीरोग विशेषज्ञ, अदीवा अस्पताल बताती हैं कि गर्भधारण करने से पूर्व देखरेख और पूरी जांच हर मां बनने की इच्छुक महिला के लिए बेहद जरूरी होती है। गर्भधारण पूर्व जांच का मकसद महिला की बायोमेडिकल व व्यावहारिक स्थिति का मूल्यांकन कर संभावित खतरों का जायजा लेना और उसकी रोकथाम करना होता है। गर्भधारण पूर्व सलाह एवं परीक्षण महिला की सुरक्षा और सुरक्षित प्रसव के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस प्रकार प्रजनन व गर्भावस्था संबंधी जटिलताओं को समझकर आवश्यक चिकित्सा दी जा सकती है। उदाहरण के तौर पर यदि प्रसव के दौरान मां या भ्रूण के लिए किसी प्रकार का कोई खतरा है तो महिला बच्चे को रखने या गिराने का निर्णय ले सकती है।

सामान्यत: दम्पति हमारे पास छह महीने या एक साल तक प्रेग्नेंसी के लिए असफल प्रयास करने के बाद आते हैं। प्रोफेशनल लाइफ को प्राथमिकता देने की वजह से ज्यादातर लड़कियों की शादी बड़ी उम्र में होने लगी है, इसलिए गर्भधारण करने की उम्र भी बढ़ती जा रही है। यही वजह है कि प्रजनन संबंधी जटिलताएं एक आम समस्या बन गई है। यदि आप समय रहते डॉक्टरी सलाह लेते हैं, तो सही दिशा-निर्देश और उपचार के द्वारा प्रेग्नेंसी से जुड़ी सभी जटिलताओं से बचा जा सकता है। उदाहरण के लिए थैलेसीमिया का टेस्ट बहुत जरूरी होता है। अगर होने वाले मां या पिता दोनों में से कोई भी थैलेसीमिया माइनर है तो हेल्दी प्रेग्नेंसी की संभावना बहुत कम हो जाती है। हर ऐसे चार में से एक बच्चे को शारीरिक या मानसिक परेशानी होने की आशंका होती है और साथ ही लगातार गर्भपात की आशंका भी बढ़ जाती है। इसी तरह ज्यादा वजन वाली महिलाओं को भी गर्भधारण में परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसी महिलाओं को पॉलिसिस्टिक ओवरी का टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है।

गर्भधारण पूर्व चिकित्सकीय सलाह का सही समय प्रेग्नेंसी की योजना बनाने के 3 से 6 महीने के बीच का होता है। जब कोई महिला डॉक्टर के पास परामर्श के लिए जाती है तो उसे फॉलिक एसिड सप्लीमेंट खाने की सलाह दी जाती है। फॉलिक एसिड लेने से बच्चे में न्यूरल टय़ूब दोष नहीं होता। गर्भधारण से पहले फॉलिक एसिड लेना प्रजनन शक्ति व भ्रूण के लिए अच्छा होता है। इसके बाद मधुमेह, हृदय रोग, थायरॉयड, रक्तचाप, हिमोग्लोबिन आदि की जांच के लिए टेस्ट किए जाते हैं और उसके मुताबिक ही महिला का उपचार किया जाता है।

गर्भधारण पूर्व जांच
1. पैप स्मीयर
2. टीएसएच (थायरॉयड जांच)
3. पीसीटी
4. ऑव्यूलेशन टेस्ट (मासिक चक्र के
 तीसरे दिन होने वाला टेस्ट)
5. हेपेटाइटिस ए
6. हेपेटाइटिस बी

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