RTI कानून का अब सरकार कराएगी अध्धयन
सरकार ने क्रियान्वयन के आठ साल बाद सूचना के अधिकार कानून के प्रभावों का एक व्यापक अध्ययन करने का फैसला किया है। यह अध्ययन उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और पूर्वोत्तर के एक-एक राज्यों के कुल 19 जिलों...
सरकार ने क्रियान्वयन के आठ साल बाद सूचना के अधिकार कानून के प्रभावों का एक व्यापक अध्ययन करने का फैसला किया है। यह अध्ययन उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और पूर्वोत्तर के एक-एक राज्यों के कुल 19 जिलों तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में कराया जाएगा।
केन्द्रीय एवं प्रादेशिक मुख्यालयों में आरटीआई के एक-एक हजार तथा जिलों में पांच-पांच सौ आवेदनों का अध्ययन करके यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि आवेदक किस श्रेणी के हैं। उनके द्वारा किस प्रकार की सूचनाएं किन उद्देश्यों के लिए मांगी गई हैं या जा रही हैं। ऐसी सूचनाओं का वर्गीकरण करने और सूचनाऐं मुहैया कराने में सरकार को आने वाली लागत का आकलन का काम भी अध्ययन किया जाएगा।
केन्द्रीय कार्मिक, जनशिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने आरटीआई कानून 2005 के क्रियान्वयन पर 360 डिग्री अध्ययन के लिए विभिन्न सर्वेक्षण संस्थाओं से निविदाएं आमंत्रित की है। निविदाओं के बारे में अगले माह फैसला कर लिए जाने तथा जून में इस पर काम शुरु कर दिए जाने की योजना है। यह अध्ययन मुख्यत, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कलयाण विभाग,भूमि राजस्व विभाग और एक-एक विश्वविद्यालय के लिए किया जाएगा। तहसील स्तर पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं राजस्व विभाग तथा गांव के स्तर पर पंचायत, स्कूल, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं राजस्व विभाग से जुडे आवेदनों का अध्ययन किया जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि आवेदनों के साथ-साथ मुहैया कराई गई सूचना तथा सूचना प्राप्त होने के बाद आवेदक के जीवन में उससे आए असर को देखा जाएगा। सूत्रों के अनुसार यह अध्ययन इस कानून के सभी तरह के प्रभाव और परिणामों को जानने का प्रयास है। हो सकता है कि इस कानून में अगर कोई विसंगति या कमी नजर आई तो उसे दूर किया जाएगा।
सूत्रों ने यह भी बताया कि सरकारी कर्मचारियों का कार्मिक सूचनाओं के लिए इस कानून का इस्तेमाल, सरकारी खरीददारी को लेकर की गई पूछताछ और अन्य तरह सूचनाओं को मांगने के पीछे मकसद भी जानने के प्रयास किए जाएंगे।