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मुख्यमंत्री ने की शिंदे से शिकायत, पीड़िता के बयान दर्ज करने में पुलिस उच्चाधिकारी दे रहे हैं दखल

दिल्ली में हुए सामूहिक बलात्कार की पीड़िता का बयान दर्ज करने के मामले में एक विवाद पैदा हो गया है। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से शिकायत की है कि पुलिस के कुछ...

मुख्यमंत्री ने की शिंदे से शिकायत, पीड़िता के बयान दर्ज करने में पुलिस उच्चाधिकारी दे रहे हैं दखल
एजेंसीTue, 25 Dec 2012 03:35 PM
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दिल्ली में हुए सामूहिक बलात्कार की पीड़िता का बयान दर्ज करने के मामले में एक विवाद पैदा हो गया है। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से शिकायत की है कि पुलिस के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने इस पूरे कार्य में हस्तक्षेप किया है। शीला ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की भी मांग की।
  
शिंदे को लिखे एक पत्र में दीक्षित ने उपायुक्त (पूर्व) बी एम मिश्रा द्वारा किए गए पत्राचार का उल्लेख किया है। उस पत्राचार के अनुसार, उप मंडलीय मजिस्ट्रेट उषा चर्तुवेदी ने शिकायत की थी कि जब वह पीड़िता का बयान दर्ज कर रही थीं, तो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने हस्तक्षेप किया था।
  
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि वे मुख्यमंत्री की इस शिकायत की जांच के आदेश दे सकते हैं। यह जांच दल एक महिला अफसर की अध्यक्षता में काम करेगा। गृह मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि हम इस शिकायत को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं।
  
दिल्ली सरकार के सूत्रों ने कहा कि उपायुक्त की ओर से भेजे गए पत्र को लेकर मुख्यमंत्री बहुत दुखी थीं। उन्होंने इस पूरे मामले की जांच की मांग करते हुए शिंदे को पत्र लिखने का फैसला किया है।
  
उन्होंने कहा कि इस शिकायत में एसडीएम ने कहा था कि अधिकारियों ने उन्हें पीड़िता के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं करने दी। इसमें पुलिस के अधिकारियों पर यह आरोप भी लगाया गया कि वे चाहते थे एसडीएम उनकी बनाई प्रश्नावली का इस्तेमाल करें।
  
सूत्रों के मुताबिक, जब एसडीएम ने ऐसा करने से इंकार किया तो पुलिस के अधिकारियों ने उनके साथ बुरा बर्ताव किया। पुलिस ने एसडीएम की ओर से लगाए गए इन सारे आरोपों से इंकार करते हुए दावा किया कि पीड़िता से बयान लेने के दौरान उसकी मां ने इस बात पर जोर दिया था कि इसकी वीडियोग्राफी न की जाए।
  
पुलिस के सूत्रों ने कहा कि एसडीएम की ओर से जिन तीन पुलिस अधिकारियों का नाम लिया गया वे उस समय अस्पताल के कमरे में थे ही नहीं, जब पीड़िता का बयान दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट छात्रा से कोई भी सवाल पूछने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र थीं।
  
सूत्रों ने कहा कि बयान के नीचे पीड़िता के हस्ताक्षर हैं और यह दर्शाता है कि इसे किसी भी दबाव के बिना दर्ज किया गया था। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वे नया बयान दर्ज कराने में भी मदद करने के लिए तैयार हैं।

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