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भारत करे कठिन आर्थिक सुधारों को लागू : ओबामा

बराक ओबामा ने भारत में आर्थिक सुधार कार्यक्रमों के संदर्भ में कहा कि यहां पर खुदरा सहित अनेक क्षेत्रों में विदेशी कंपनियों के प्रवेश पर पाबंदियां हैं तथा वहां निवेश का वातावरण खराब होने से अमेरिकी...

भारत करे कठिन आर्थिक सुधारों को लागू : ओबामा
एजेंसीSun, 15 Jul 2012 05:38 PM
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बराक ओबामा ने भारत में आर्थिक सुधार कार्यक्रमों के संदर्भ में कहा कि यहां पर खुदरा सहित अनेक क्षेत्रों में विदेशी कंपनियों के प्रवेश पर पाबंदियां हैं तथा वहां निवेश का वातावरण खराब होने से अमेरिकी कंपनियां चिंतित हो रही हैं। ऐसी बाते कहने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति अमेरिकी राष्ट्रपति का विश्वास बना हुआ है। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था की मौजूदा वृद्धि दर को भी प्रभावकारी  बताया है। उन्होंने कहा कि भारत की वृद्धि दर में हाल में दिखी नरमी विश्व अर्थव्यवस्था में व्यापक नरमी का प्रतिबिम्ब है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत तथा दुनिया की अर्थव्यवस्था के बारे में कई तरह के सवालों के जवाब दिए। साथ ही उन्होंने भारत-पाकिस्तान संबंधों, एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी रणनीति के बारे में भी बोला। ओबामा ने भारत में निवेश के माहौल की सीधे आलोचना नहीं करने की सावधानी बरती। उन्होंने इस विषय में कहा कि अमेरिकी के कंपनी जगत का कहना है कि उसे भारत में निवेश के वातावरण में गिरावट को लेकर चिंता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि उन लोगों का (अमेरिकी कंपनियों के लोगों का) कहना है कि भारत में निवेश करना अब भी बड़ा कठिन काम है। भारत ने खुदरा कारोबार जैसे अनेक क्षेत्रों में विदेशी निवेश पर सीमाएं लगा रखी है या उनमें विदेशी निवेश वर्जित है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों देशों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए इस तरह का निवेश जरूरी है और यह भारत को आर्थिक वृद्धि की राह पर बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है। ओबामा ने भारत की आर्थिक कठिनाइयों को दूर करने के लिए किसी तरह के हल का सुझाव देने से बचते हुए कहा कि यह अमेरिका का काम नहीं है कि वह भारत सहित अन्य देशों को उनके आर्थिक भविष्य के बारे में सुझाव दे।

ओबामा ने कहा कि भारत में लगातार इस बात पर सहमति बनती दिख रही है कि शायद यह देश में आर्थिक सुधारों का एक और दौर शुरू करने के लिए उचित समय आ गया है। इससे भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकेगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने आगे कहा कि भारत जहां कठिन लेकिन आवश्यक सुधारों पर आगे बढ़ेगा, तो उसके साथ हमेशा एक सहयोगी अमेरिका का साथ होगा। उन्होंने बातचीत के दौरान इस बात का उल्लेख किया कि भारत ने करोड़ों लोगों को गरीबी से उबारा है और अब वहां के मध्य वर्ग की आबादी दुनिया में अपने वर्ग की सबसे बड़ी आबादी है। ओबामा ने कहा कि भारतीय नवप्रवर्तन वैश्विक अर्थव्यवस्था का इंजन है। हाल की चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था प्रभावशाली रफ्तार से आगे बढ़ रही है।

भारतीय लोगों ने चुनौतियों से मुकाबला करने की शानदार क्षमता दिखाई है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के लिए कठिन समझे जाने वाले आर्थिक सुधार कार्यक्रम लागू करना जरूरी है। इस तरह के कार्यक्रमों को लागू करने में भारत को अमेरिका का सहयोग मिलता रहेगा। उन्होंने कहा कि वह उपरोक्त बात करते हुए इस बात की सराहना भी करते हैं कि भारत ने हाल के दशकों में आर्थिक वद्धि और विकास का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपना दोस्त और सहयोगी बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने उनके साथ नजदीक से काम किया है। ओबामा ने कहा कि वह  हाल में मेक्सिको में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन समेत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर वह सिंह के विचारों की गहराई का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि जी-20 में इस बात पर सहमति बनी कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के लिए सभी अपने देश में वद्धि और रोजगार सजन पर ध्यान केंद्रित करेंगे। अमेरिका में मेरी यही प्राथमिकता है। रोजगार सृजन का सबसे बेहतर तरीका अमेरिका और भारत के बीच तथा कुल मिलाकर व्यापार और निवेश को बढ़ाना है। राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों देशों को दीर्घावधि के आर्थिक उत्साह तथा प्रतिस्पर्धात्मकता की बुनियाद को मजबूत करना जरूरी है। इनमें दोनों देशों के लोगों की शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और आधुनिक ढांचा शामिल है जिससे वस्तुओं और सेवाओं का प्रवाह तेज गति से हो सकेगा। ओबामा ने कहा कि उनके द्वारा जी-20 को अत्यधिक महत्व देने की एक वजह यह है कि यह ऐसी जगह है जहां दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं (विकसित और विकासशील) के नेता एक मंच पर आते हैं और उन आर्थिक चुनौतियों का हल ढूंढते हैं जो सभी को प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इस समय वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष कई तरह की चुनौतियां हैं। भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं सहित वैश्विक वद्धि की रफ्तार कम हुई है। ओबामा ने कहा कि यूरोप की स्थिति भी चिंता का कारण है। मेक्सिको में जी-20 शिखर सम्मेलन यूरोपीय नेताओं द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में सीधे जानकारी देने का मौका था। साथ ही वहां उन्होंने यह भी बताया कि आगे वे क्या कदम उठाने जा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी वैश्विक अर्थव्यवस्था में ऐसा नहीं हो सकता कि दुनिया भर में अरबों लोगों को प्रभावित कर रहे ऐसे मुद्दों पर कुछ विकसित देशों के नेता ही फैसला लें। ओबामा ने कहा यही वजह है कि हमने जी-20 को वैश्विक आर्थिक निर्णयों का प्रमुख मंच बनाया है। इस मंच पर भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं को अपनी बात रखने का अधिक अधिकार दिया गया है। यही वजह है कि हमने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में भारत और अन्य उदीयमान अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका बढ़ाई है। ये संस्थान भारत की सक्रिय भूमिका की वजह से मजबूत हुए हैं। ओबामा ने कहा कि उनका मानना है कि यूरोपीय नेताओं ने स्थिति की गंभीरता को समझा है और वे यूरो क्षेत्र को एक साथ रखने को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने हाल के सप्ताहों में इस दिशा में कई कदम उठाए हैं।

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