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परमाणु आतंकवाद एवं गुप्त प्रसार बड़े खतरे: पीएम

दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को विश्व समुदाय को पूरी साफगोई से आगाह किया कि परमाणु आतंकवाद एवं गुप्त प्रसार तब तक बड़ा खतरा बना रहेगा जब तक आतंकवादी परमाणु...

परमाणु आतंकवाद एवं गुप्त प्रसार बड़े खतरे: पीएम
एजेंसीTue, 27 Mar 2012 11:57 PM
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दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को विश्व समुदाय को पूरी साफगोई से आगाह किया कि परमाणु आतंकवाद एवं गुप्त प्रसार तब तक बड़ा खतरा बना रहेगा जब तक आतंकवादी परमाणु सामग्री और प्रौद्योगिकी तक अपनी पहुंच बनाने की ताक में रहेंगे।

सोल परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में वैश्विक नेताओं को संबोधित करते हुए मनमोहन ने कहा कि परमाणु आतंकवाद और परमाणु तकनीक का गुप्त प्रसार अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं। भारत इस खतरे को लेकर बेहद सतर्क है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि परमाणु सुरक्षा की सबसे बेहतर गारंटी यही हो सकती है कि दुनिया ऐसे हथियारों से मुक्त हो।

मनमोहन ने कहा कि जनसंहारक हथियारों तक आतंकवादियों को पहुंच कायम करने से महरूम रखने के लिए भारत की ओर से लाया गया प्रस्ताव साल 2002 से ही एकमत से स्वीकार कर लिया गया था। सिंह ने कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रस्ताव संख्या 1540 और इसकी समिति के कार्यों को अपना समर्थन दिया था। इस प्रस्ताव में सरकार से इतर तत्वों तक रासायनिक, जैविक, रेडियोधर्मी एवं परमाणु हथियारों की पहुंच के खिलाफ कानूनी और विनियामक उपायों को अमली जामा पहनाने के प्रावधान हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि परमाणु आतंकवाद का खतरा तब तक कायम रहेगा जब तक दुर्भावनापूर्ण मकसद से परमाणु सामग्री और प्रौद्योगिकी तक पहुंच हासिल करने की ताक में बैठे दहशतगर्द मौजूद हैं। सिंह ने कहा कि परमाणु सुरक्षा के लिए सबसे बेहतर गारंटी तो यही है कि दुनिया परमाणु हथियारों से मुक्त हो। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की ओर से करीब 25 साल पहले लाए गए उस एक्शन-प्लान का जिक्र किया जिसमें एक तय समयसीमा के भीतर वैश्विक परमाणु निरस्त्रीकरण का प्रावधान था।

दिवंगत राजीव गांधी की ओर से पेश किए गए उस एक्शन प्लान के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा यह अब भी सबसे विस्तृत और व्यापक प्रस्ताव है जिससे इस मकसद को हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि परमाणु सुरक्षा पर प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कानूनी प्रावधानों में भारत एक पक्ष रहा है जिसमें भौतिक सुरक्षा पर आयोजित सम्मेलन और 2005 में हुआ इससे जुड़ा संशोधन शामिल है। इसके अलावा परमाणु आतंकवाद के कृत्यों को हतोत्साहित करने के लिए आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भी भारत भागीदार रहा है। हम इनके सार्वभौमीकरण का समर्थन करते हैं।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत ने परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन प्रक्रिया में सक्रियता से योगदान किया है जिसमें जनवरी महीने में नयी दिल्ली में शेरपा बैठक की मेजबानी भी शामिल है। मनमोहन ने कहा परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया का लक्ष्य हासिल करने के लिए विश्व को एक सहमतिपूर्ण बहुपक्षीय खाके में शामिल प्रतिबद्धताओं की जरूरत है जिसमें परमाणु हथियार संपन्न देश भी शामिल हों।

उन्होंने कहा इसके लिए सुरक्षा सिद्वांतों में परमाणु हथियारों के उभार को घटाकर परमाणु खतरे में कमी लाने और परमाणु हथियार पहले इस्तेमाल किए जाने पर अवरोधकों को बढ़ा देने के उपाय भी शामिल होने चाहिए। प्रधानमंत्री ने चार महत्वपूर्ण परमाणु क्लबों में भारत की सदस्यता के दावे की पुरजोर पैरवी करते हुए कहा कि इससे उसके परमाणु कार्यक्रम में उच्च अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन सुनिश्चित होगा तथा उसकी निर्यात नियंत्रण प्रणाली को और मजबूत करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि भारत कभी भी संवेदनशील प्रौद्योगिकी के प्रसार का स्रोत नहीं रहा है तथा हम उच्च अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अपनी निर्यात नियंत्रण प्रणाली को और मजबूत करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि भारत पहले ही परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) तथा मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) के दिशानिर्देशों का पालन कर रहा है।

मनमोहन ने कहा कि अपने जैसे अन्य देशों की तरह भारत भी वैश्विक अप्रसार लक्ष्यों को बढ़ावा देने की क्षमता तथा इच्छा रखता है और इसके लिये हमारा मानना है कि अगला तार्किक कदम चार निर्यात नियंत्रित व्यवस्थाओं में भारत की सदस्यता है। भारत एनएसजी, एमटीसीआर, वासेनार एरेंजमेंट तथा आस्ट्रेलियाई ग्रुप की सदस्यता हासिल करने को लेकर गंभीर है।

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