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कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक

दूरसंचार न्यायाधिकरण टीडीसैट ने दूरसंचार कंपनियों के बीच अंतर-सर्किल रोमिंग (आईसीआर) समझौते पर प्रतिबंध लगाने से सरकार को रोक दिया और इसके साथ ही कहा है कि तीन जनवरी को अगली सुनवाई तक विभाग कंपनियों...

कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक
एजेंसीSat, 24 Dec 2011 11:40 PM
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दूरसंचार न्यायाधिकरण टीडीसैट ने दूरसंचार कंपनियों के बीच अंतर-सर्किल रोमिंग (आईसीआर) समझौते पर प्रतिबंध लगाने से सरकार को रोक दिया और इसके साथ ही कहा है कि तीन जनवरी को अगली सुनवाई तक विभाग कंपनियों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं करेगा।

दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीसैट) ने दूरसंचार विभाग को नोटिस भी जारी किया और 31 दिसंबर तक जवाब देने को कहा। न्यायाधिकरण ने भारती एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया सेल्युलर, टाटा टेलीसर्विसेज तथा एयरसेल से दूरसंचार विभाग के जवाब पर तीन दिन के भीतर अपना पक्ष भी रखने को कहा। कंपनियों को 3जी आईसीआर समझौतों की प्रति भी टीडीसैट को जमा करनी होगी।

टीडीसैट ने अपने आदेश में कहा कि अगली सुनवाई (3 जनवरी) तक दूरसंचार विभाग याचिकाकर्ताओं के खिलाफ 23 दिसंबर, 2011 को जारी अपने आदेश को लागू करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं करेगा।
न्यायाधिकरण के चेयरमैन न्यायाधीश एसबी सिन्हा की अध्यक्षता वाली टीडीसैट पीठ ने कहा कि अगली सुनवाई तक दूरसंचार विभाग इन कंपनियों के खिलाफ मामले में कोई कार्रवाई नहीं करेगा।

साथ ही न्यायाधिकरण ने दूरसंचार विभाग की उस अर्जी को खारिज कर दिया जिसमें कंपनियों को 3जी सेवा के लिए नए ग्राहक जोड़ने पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था। टीडीसैट ने मामले के निर्धारण के लिए 2 फरवरी की तारीख तय की है।

न्यायाधिकरण ने भारती एयरेटल, वोडाफोन तथा आइडिया की याचिका पर विशेष सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। टीडीसैट ने एयरसेल तथा टाटा टेली को भी मामले में पक्ष बनने की अनुमति दे दी।

दूरसंचार मंत्रालय ने भारती एयरटेल, वोडाफोन तथा आइडिया को कल नोटिस जारी कर 3जी मोबाइल सेवाओं में एक दूसरे के सर्किल में रोमिंग समझौतों को समाप्त करने को कहा था। मंत्रालय का कहना था कि इस तरह की व्यवस्था लाइसेंस नियम का उल्लंघन है। विभाग ने कंपनियों से 24 घंटे के भीतर अपना जवाब देने को कहा था। इसके बाद, दूरसंचार कंपनियों ने टीडीसैट का दरवाजा खटखटाया।

वोडाफोन की तरफ से मामले में पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कंपनियों को कोई कारण बताओ नोटिस नहीं दिया गया और न ही उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया। दूरसंचार विभाग बेहतर कामकाज का जो न्यूनतम मानदंड है, उसका पालन करने में विफल रहा।

दूरसंचार विभाग की तरफ से मामले में पेश अतिरिक्त सोलीसिटर जनरल एएस चांडियोक ने कहा कि लाइसेंसों शर्तों में एक नया उपबंध जोड़े जाने की वजह से ही 3जी बैंविडथ पाने वाली दूरसंचार कंपनियों को 3जी स्पेक्ट्रम हासिल करने के लिए अलग लाइसेंस की जरूरत पड़ी।

भारती, वोडाफोन, तथा आइंडिया जैसी प्रमुख कंपनियों ने उन सर्किलों में 3जी सेवा देने के लिए आपस में समझौता किया जिसके लिए उन्हें स्पेक्ट्रम नहीं मिला। इसी तरह के छह सर्किलों में समझौते के लिए टाटा टेलीसर्विसेज तथा एयरसेल को नोटिस दिया गया। हालांकि दोनों कंपनियों ने समझौता समाप्त कर दिया है।

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