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प्रणव ने अन्ना के राइट टू रिकॉल की मांग खारिज की

केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने रविवार को कहा कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने और उम्मीदवारों को खारिज करने का अधिकार भारत जैसे बड़े देश में व्यवहार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर इसे...

प्रणव ने अन्ना के राइट टू रिकॉल की मांग खारिज की
एजेंसीMon, 21 Nov 2011 10:57 AM
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केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने रविवार को कहा कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने और उम्मीदवारों को खारिज करने का अधिकार भारत जैसे बड़े देश में व्यवहार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर इसे लागू किया गया तो राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो सकती है।

हजारे का नाम लिए बगैर मुखर्जी ने कहा कि भारत 122 करोड़ से अधिक की आबादी के साथ दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र है और प्रत्येक लोकसभा सदस्य पर औसतन 15 लाख मतदाता हैं। ऐसी परिस्थितियों में मैं नहीं जानता कि क्या इस तरह की मांग व्यावहारिक है।

उन्होंने कहा कि अगर इसका कार्यान्वयन किया गया तो इससे देश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो सकती है। मुखर्जी पश्चिम बंगाल कांग्रेस की ओर से आयोजित पंचायती राज सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

लोकपाल मुद्दे पर 12 दिन तक चले अनशन को समाप्त करने के तुरंत बाद हजारे ने कहा था कि वह अब चुनाव सुधार के हिस्से के तौर पर जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने के अधिकार और उम्मीदवारों को खारिज करने के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ेंगे, ताकि भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सके।

पश्चिम बंगाल के लिए प्रभारी महासचिव शकील अहमद ने अपने भाषण में आरोप लगाया कि अन्ना हजारे और बाबा रामदेव देश को बांटने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि 1977 में इंदिरा गांधी के खिलाफ गलत आरोप लगाकर ऐसा ही प्रयास किया गया था और फिर 1989 में भाजपा ने रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद मुददे पर देश को बांटने का प्रयास किया।

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