फोटो गैलरी

Hindi Newsबारिश में झम झमा झम

बारिश में झम झमा झम

तुम सभी को खूब भाती है ना बारिश। तुम तो मौका ढूंढ़ते हो कि कब बारिश हो और उसमें भीगने का मौका मिले। आजकल तो मानसून सीजन चल रहा है, ऐसे में स्कूल जाते या स्कूल से आते टाइम बारिश होती है तो तुम्हारी...

बारिश में झम झमा झम
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 19 Jul 2011 11:15 AM
ऐप पर पढ़ें

तुम सभी को खूब भाती है ना बारिश। तुम तो मौका ढूंढ़ते हो कि कब बारिश हो और उसमें भीगने का मौका मिले। आजकल तो मानसून सीजन चल रहा है, ऐसे में स्कूल जाते या स्कूल से आते टाइम बारिश होती है तो तुम्हारी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहता। लेकिन क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारी ही तरह कई जानवर भी बारिश का बेसब्री से वेट करते हैं और बारिश आते ही नाचने-झूमने लगते हैं। ऐसे कौन से जानवर हैं, बता रहे हैं धर्मेद्र सुशांत

बारिश का मौसम हमारी धरती के लिए हरियाली का संदेश लेकर आता है। कई जीव-जंतुओं के लिए यह मिलने-मिलाने और झूमने-गाने का मौसम होता है। हमारे देश में जुलाई से सितंबर तक को मानसून कहा जाता है। इस दौरान पक्षियों और जानवरों के व्यवहार में बदलाव देखने को मिलता है।

टर्र टर्र, कहां हो जी

बारिश के मौसम में मेढकों से ज्यादा खुश शायद ही कोई और होता हो! जिधर जाइए उधर उनकी टर्र टर्र की टेर सुनाई पड़ती है। कहते हैं मेढक का बोलना बारिश होने की पूर्व सूचना होती है। दरअसल मेढक जाड़े में शीतनिद्रा में चले जाते हैं। मतलब जमीन के अंदर घुसकर सो जाते हैं और बारिश का मौसम आने पर ही जगते हैं। यही वजह है कि वे वर्षा में अचानक बड़ी संख्या में दिखने लगते हैं। वे आमतौर पर रात में बोलते हैं। लेकिन यहां भी एक बात कॉमन ही है। सिर्फ नर मेढक ही टर्र टर्र की आवाज निकाल सकते हैं। इनकी कई जातियां होती है और हर जाति के नर की आवाज दूसरी जाति से अलग होती है। सभी आवाज से अपनी मेमसाहब को बुलाते हैं।

बादल बरसे, नाचे मोर

मोरों के बारे में तो यह किस्सा सबको पता है कि वह बादल देखते ही पंख पसार कर झूमने लगता है। यहां एक बात जानने लायक है। कुदरत ने सिर्फ नर मोरों को लंबे और अशर्फियों जैसे छाप वाले खूबसूरत पंख दिए हैं, इसलिए पंख फैलाकर नाचना सिर्फ उनकी किस्मत में ही है। लेकिन ऐसे मौके पर वह अपनी मोरनी को नहीं भूलता। सच तो यह है कि वह अपनी मोरनी के लिए नाचता है और तब तक नाचता रहता है, जब तक मोरनी उसका नाच न देख ले।

तितली रानी, बरसा पानी

बारिश के दौरान तितलियों की भी बहार आ जाती है। हरियाली की बढ़त उनके लिए अनुकूल होती है। मानसून के दौरान मैदानी इलाकों में पाई जाने वाली तितलियों के पंखों पर खास तरह के निशान उभर आते हैं। ये निशान इस बात के संकेत होते हैं कि वे खुश हैं और नाचना चाहती हैं।

केंचुए, छिपकली निकले बाहर

केंचुए बारिश के दौरान हमें खूब दिखाई देते हैं। इसी मौसम में कई सारे रेंगने वाले जंतु जैसे छिपकली, सांप भी दिखाई देते हैं। दरअसल यह मौसम इस तरह के जानवरों के लिए प्रजनन का समय होता है।

और हां, मानसून के इस मौसम में तुम इन जीव-जंतुओं को पकड़ने या फिर उन्हें परेशान करने की कोशिश बिल्कुल मत करना, क्योंकि ये जानवर ऐसा करने से गुस्सा हो जाते हैं और कई बार तो हिंसक भी हो जाते हैं। यही वजह है कि इस सीजन में उत्तराखंड के जिम कारबेट नेशनल पार्क को बंद कर दिया जाता है।

तो, इस सीजन को तुम खूब एंजॉय करो और जानवरों को भी करने दो। लेकिन हां, ज्यादा मत भीगना वरना बीमार हो जाओगे और मम्मी से डांट खानी पड़ेगी।

जिन्हें नहीं भाती बारिश

जिस तरह कई जीव-जंतुओं को बारिश बेहद पसंद होती है और वे उसका पूरा मजा उठाते हैं तो वहीं कई ऐसे भी हैं, जिन्हें बारिश से परेशानी होती है और वे जगह तलाशकर छिप जाते हैं।

पहला नाम है कोयल का। बारिश में कोयल की आवाज नहीं सुनाई पड़ती है। हालांकि इससे पहले गर्मी के मौसम में जब बागों में कच्चे आम लगे होते हैं, हमें नर कोयल की मीठी आवाज सुनाई देती है। इसके बाद नाम आता है बंदर का। बारिश शुरू होते ही बंदर छिपने की जगह तलाशकर वहां जाकर छिप जाते हैं। उन्हें बारिश बिल्कुल नहीं भाती। नन्ही गिलहरी भी भीगने से परेशान हो जाती है और बारिश का मौसम देखते ही छिप जाती है। कुछ इसी तरह कुत्ता भी बारिश से परेशान हो जाता है। अक्सर तुमने देखा होगा कि बारिश शुरू होते ही गली के कुत्ते किसी कार आदि के नीचे जाकर छिप जाते हैं।

ऐसा ही हाल रीछ का भी है। यूं तो रीछ देखने में काफी भारी-भरकम होता है, पर बारिश उसे सूट नहीं करती। बारिश के दिनों में वह बाहर ही नहीं निकलता।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें