यहां 85 देशों की गुड़ियां हैं
तुम्हें छोटी-छोटी गुड़िया बहुत भाती होंगी। बार्बी डॉल से लेकर सोने-जगाने वाली गुड़िया तक। लेकिन इस बार हम तुम्हें ले चलते हैं वर्ल्ड के सबसे बड़े डॉल म्यूजियम में, जहां तुम न केवल छोटी-छोटी, बल्कि...
तुम्हें छोटी-छोटी गुड़िया बहुत भाती होंगी। बार्बी डॉल से लेकर सोने-जगाने वाली गुड़िया तक। लेकिन इस बार हम तुम्हें ले चलते हैं वर्ल्ड के सबसे बड़े डॉल म्यूजियम में, जहां तुम न केवल छोटी-छोटी, बल्कि बड़ी से बड़ी गुड़िया देख सकते हो। यहां पर लगभग 85 देशों की गुड़िया हैं, जिनकी संख्या 6000 तक है।
इस म्यूजियम में जापान, जर्मनी, फ्रांस, इटली और भारत के सभी राज्यों से जुड़ी गुड़िया तुम देख सकते हो। इतना ही नहीं, इनको देखकर जान सकते हो कि वर्ल्ड में अलग-अलग देशों में कैसी ड्रेसेज पहनी जाती हैं। अलग-अलग तरह के काम करने वाले लोगों की ड्रेसेज कैसी होती हैं? इसके अलावा अपने देश में भी अलग-अलग राज्यों में कैसी ड्रेसेज पहनी जाती हैं, उन्हें कैसे बनाया जाता है, वहां किस त्योहार पर कौन-सी ड्रेस पहनी जाती है। ये सब गुड़ियों के माध्यम से दर्शाया गया है। यहां पर दूल्हा-दुल्हन के ड्रेसेज वाली डॉल्स भी हैं, जिन्हें देखकर तुम अपने घर वाली डॉल्स को भी सजा सकते हो।
इस म्यूजियम के फाउंडर शंकर खुद एक बड़े कार्टूनिस्ट थे और उन्हें एक डॉल हंगरी से गिफ्ट मिली थी, जिससे उन्होंने म्यूजियम शुरू किया। इसी म्यूजियम के साथ चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट की एक लाइब्रेरी और बुक शॉप है, जहां बच्चों के लिए स्पेशल बुक्स, मैगजीन उपलब्ध हैं। इसके अलावा एक आर्ट इंस्टीट्यूट भी है और एक मंथली मैगजीन चिल्ड्रंस वर्ल्ड स्पेशली बच्चों के लिए प्रिंट होती है। तुम यहां कल्चरल नॉलेज बढ़ा सकते हो।
कैसे पहुंचें: बहादुरशाह जफर मार्ग (आईटीओ) पर स्थित इस म्यूजियम के सामने ही बस स्टैंड है, जहां बस रूट नंबर: 423, 502, 503, 419, 405, 740, 770 आदि की बसें रुकती हैं। नजदीकी मेट्रो स्टेशन प्रगति मैदान है।