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समलैंगिक बाजार पर मल्टीनेशनल्स की नजरें

भले ही देश के विभिन्न हिस्सों में समलैंगिकों को सामाजिक मान्यता नहीं मिली हो लेकिन बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नजर देश के समलैंगिक बाजार पर है। कई नामी बहुराष्ट्रीय कंपनियां समलैंगिकों को ध्यान में रखकर...

समलैंगिक बाजार पर मल्टीनेशनल्स की नजरें
एजेंसीSun, 03 Jul 2011 04:25 PM
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भले ही देश के विभिन्न हिस्सों में समलैंगिकों को सामाजिक मान्यता नहीं मिली हो लेकिन बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नजर देश के समलैंगिक बाजार पर है। कई नामी बहुराष्ट्रीय कंपनियां समलैंगिकों को ध्यान में रखकर तैयार किए गए उत्पाद बाजार में उतारने की योजना बना रही हैं।

दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट के दो साल पहले समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से अलग करने वाले फैसले के बाद समलैंगिकों के अधिकार की लड़ाई लड़ने वालों का मनोबल काफी बढ़ गया है। ऐसे में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को भी भारत के एक बड़े समलैंगिक समुदाय में बाजार की पूरी सम्भावना दिखने लगी है।

वैश्विक सलाहकार कंपनी आउटनाउ कंसल्टेंसी डॉट कॉक के मुख्य कार्यकारी इयान जॉनसन ने कहा, ‘‘आकार और विकास की तेज गति ने भारत को विभिन्न ब्रांडों के लिए उनके उत्पाद और उनकी सेवा के लिए एक पसंदीदा बाजार बना दिया है।’’

लंदन में स्थित यह कंपनी वैश्विक स्तर पर समलैंगिक समुदाय द्वारा पंसद की जाने वाली चीजों को लेकर सर्वेक्षण कर लुफ्थांसा, आईबीएम, टोयोटा, सिटीबैंक और बार्कलेज जैसी कंपनियों को इस वर्ग के उपभोक्ताओं की जरूरतों पर सुझाव दे रही हैं।

जॉनसन के मुताबिक भारतीय बाजार में इन कंपनियों के इच्छुक होने का मुख्य कारण देश में समलैंगिक समुदाय की उच्च क्रय शक्ति है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे शोध से पता चला है कि दुनिया की आबादी के करीब छह प्रतिशत पुरुष-महिला समलैंगिक हैं और इस निष्कर्ष को यदि भारत पर लागू किया जाता है कि देश में समलैंगिक बाजार करीब 200 अरब डॉलर का है, जिस पर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की नजर है। भारत में करीब 4.5 करोड़ महिला-पुरुष समलैंगिक हैं।’’

पिछले कुछ वर्षों में समलैंगिकों को लक्षित करते हुए कई उत्पाद बाजार में आए हैं जिसमें विशेषतौर पर इस समुदाय के लिए एक ट्रेवल एजेंसी, एक ई-बुक स्टोर और सेवेन मैगजीन्स शामिल है।

इस बारे में डाक्यूमेंटी फिल्म निर्माता रंजीत मोंगा का कहना है कि जैसे-जैसे समाज में खुलापन आ रहा है वैसे-वैसे कंपनियां अपने उत्पादों के विज्ञापन के लिए इस समुदाय को लक्षित करेंगी। मोंगा ने कहा, ‘‘विशेष तौर पर मेट्रो शहरों में हम देख सकते हैं कि काम-काजी दंपत्ति के लिए तैयार भोजन के विज्ञापनों और संगीत या नाटकों में समलैंगिक किरदारों को दिखाया जा रहा है।’’

समाज में समलैंगिकों की स्वीकार्यता बढ़ने के साथ ही लेवाइस, हाजमोला और अमूल जैसे ब्रांड अपने विज्ञापनों में इस वर्ग को लक्षित कर रहे हैं। लेवाइस के विज्ञापन में दो महिला मॉडलों को एक-दूसरे को प्रभावित करते हुए दिखाया गया है जबकि अमूल बटर के विज्ञापन में भी अमूल शुभंकर को दो युवतियों को बटर स्लाइस देते हुए कुछ ऐसा ही हाव-भाव दिखाया गया है।

यहां तक कि साल्वेशन और व्हाइटनाइट्स फिएस्ता जैसी इवेंट मैंनेजमेंट कम्पनियों समलैंगिकों के लिए विशेष पार्टी का आयोजन करती हैं। यात्रा क्षेत्र में समलैंगिकों के लिए देश की पहली ऑनलाइन ट्रेवल एजेंसी इंडजापिंक की स्थापना करीब तीन साल पहले हुई और आज की तारीख में उससे करीब 600 भारतीय और विदेशी पर्यटक जुड़े हुए हैं।

समलैंगिकों के नारे लिखे टी-शर्ट, टोपी आदि उत्पाद उपलब्ध कराने की ‘आजाद बाजार’ कम्पनी की संस्थापक सबिना का कहना है कि इस तरह के उत्पादों की मांग बढ़ रही है और गैर समलैंगिक समुदाय के लोग भी इस तरह के उत्पादों में रुचि दिखाते हैं।

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