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रिलायंस-बीपी सौदे को गृह मंत्रालय की मंजूरी

गृह मंत्रालय ने रिलायंस इंडस्ट्रीज [आआईएल] द्वारा अपनी 23 तेल एवं गैस परिसंपत्तियों में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी बीपी को बेचने के सौदे को बिना शर्त मंजूरी दे दी है। इसमें मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली...

रिलायंस-बीपी सौदे को गृह मंत्रालय की मंजूरी
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 15 Jun 2011 04:13 PM
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गृह मंत्रालय ने रिलायंस इंडस्ट्रीज [आआईएल] द्वारा अपनी 23 तेल एवं गैस परिसंपत्तियों में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी बीपी को बेचने के सौदे को बिना शर्त मंजूरी दे दी है।

इसमें मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली आरआईएल का प्रमुख केजी-डी6 ब्लाक भी शामिल है। यह सौदा 7.2 अरब डालर में होगा। पेट्रोलियम मंत्रालय ने देश में सबसे बड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर गृह मंत्रालय से सुरक्षा संबंधी मंजूरी मांगी थी। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि गृह मंत्रालय ने एक जून को अनापत्ति प्रमाणपत्र [एनओसी] दे दिया है।

एनओसी देते हुए गृह मंत्रालय ने यह भी पूछा है कि क्या रिलायंस इस हिस्सेदारी की बिक्री की पेशकश सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी गेल या किसी अन्य सरकारी कंपनी को नहीं कर सकती थी। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बीपी को इसलिए भागीदार बनाया है क्योंकि वह यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी की गहरे समुद्र क्षेत्र में तेल एवं गैस उत्पादन में विशेषज्ञता का लाभ लेना चाहती है।

रिलायंस को अपने केजी-डी6 क्षेत्र में कुछ तकनीकी समस्या पेश आ रही है और यहां उत्पादन 6.15 करोड़ घन मीटर प्रतिदिन से घटकर 4.8 करोड़ घन मीटर प्रतिदिन रह गया है। हालांकि उत्पादन स्तर को 6.9 करोड़ घन मीटर प्रतिदिन पर ले जाने की योजना थी। रिलायंस को उम्मीद है कि बीपी भंडारण की इन समस्याओं को हल कर पाएगी और उत्पादन को 8 करोड़ घन मीटर प्रतिदिन के स्तर पर ले जाने में मददगार साबित होगी।
अधिकारी ने कहा कि कोई भी भारतीय कंपनी चाहे निजी क्षेत्र की हो या सरकारी, के पास गहरे समुद्र की विशेषज्ञता नहीं है और गैस विपणन कंपनी गेल को जोड़ने से रिलायंस के केजी-डी6 या अन्य किसी ब्लाक को कोई फायदा नहीं पहुंचता।

देश की सबसे बड़ी उत्खनन कंपनी तेल एवं प्राकतिक गैस निगम [ओएनजीसी] को कृष्णा गोदावरी बेसिन में केजी-डी6 ब्लाक के पास अपनी खोजों के लिए एक व्यावहारिक विकास योजना बनाने में दिक्कत पेश आ रही है। ओएनजीसी खुद उस ब्लाक के लिए भागीदारों की तलाश कर रही है और उसने जिन कंपनियों के नाम छांटें हैं उनमें बीपी भी एक है।

अधिकारी ने कहा कि गृह मंत्रालय ने पूछा है कि क्या तेल एवं गैस का निर्यात हो सकता है, यह पूरी तरह बेकार सवाल है। उत्पादन भागीदारी करार [पीएससी] देश के बाहर तेल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाता है और उच्चतम न्यायालय ने भी व्यवस्था दी है कि सरकार के पास प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल करने वालों का चयन करने का पूर्ण अधिकार है। जहां भारत में पहले से ईंधन का संकट है, ऐसे में कोई भी सरकार इसके निर्यात के बारे में कैसे सोच सकती है। अधिकारी ने कहा कि इस बात का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता कि बीपी रिलायंस के ब्लाक से उत्पादित तेल और गैस को ब्रिटेन ले जाए।

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