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जीवनशैली का हिस्सा पेट्स

पिछले कुछ वर्षों में बड़े प्यार से पेट्स हमारी जिंदगी में आए और हमें इस का एहसास तक न हो सका कि कब वे हमारी लाइफस्टाइल का हिस्सा बन बैठे। परिवार के अन्य सदस्यों की भांति उनके लिए भी जरूरी चीजें खरीदी...

जीवनशैली का हिस्सा पेट्स
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 19 May 2011 03:16 PM
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पिछले कुछ वर्षों में बड़े प्यार से पेट्स हमारी जिंदगी में आए और हमें इस का एहसास तक न हो सका कि कब वे हमारी लाइफस्टाइल का हिस्सा बन बैठे। परिवार के अन्य सदस्यों की भांति उनके लिए भी जरूरी चीजें खरीदी जाने लगीं। उन पर हम कितना खर्च करने लगे। बता रही हैं सुषमा कुमारी

नहीं रहती सुरक्षा की चिंता

साऊथ दिल्ली स्थित मालवीय नगर में आई चेकअप क्लीनिक चला रहे विक्रम व उनकी वर्किग वाइफ प्रियंका ने घर पर पपी रखा हुआ है। घर पर उसे रखने का कारण पूछने पर प्रियंका कहती हैं, हम दोनों वर्किंग हैं और शादी के बाद जब घर की जिम्मेदारी उठाना शुरू किया तो महसूस हुआ कि सबकुछ प्रॉपर ढंग से करने के बावजूद घर की चिंता कम नहीं होती थी। जब से बेटी हुई है, हमारी फिक्र और भी बढ़ गई थी। उसकी देखभाल के लिए घर में सर्वेट रखा हुआ है। बीच-बीच में मम्मी-पापा भी आना-जाना कर लेते हैं, इसके बावजूद जब वे घर पर नहीं होते तो फिक्र बढ़ जाती है। बेटी और घर की सुरक्षा की चिंता भी परेशान करती है। तब हमें इन सारी परेशानियों का एक ही हल समझ आया और हम घर पर एक पपी ले आए। अब बेटी भी खुश और हम भी खुश। अब हम दोनों बेफिक्र होकर ऑफिस में काम पर ध्यान लगा लेते हैं। अब वह भी हमारे लिए फैमिली मेंबर की तरह है, इसलिए उसकी जरूरतों का हम पूरा खयाल रखते हैं। इस पर हमारा मासिक खर्च 1500 से 2000 रुपये के बीच होता है।

पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव

पीतमपुरा मैट्रो स्टेशन के पास स्थित पेट स्टोर ‘पप्स इंडिया’ के सुनील कुमार के अनुसार ऐसे कई कारण हैं जिसकी वजह से पेट्स अब हमारी लाइफस्टाइल का हिस्सा बन गए हैं। हम सभी जानते हैं कि पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव हम पर कितनी तेजी से होता है। बाहर के कल्चर को हम बहुत ज्यादा फॉलो करते हैं। यही वजह है कि वहां के लोगों की तरह अब हम भी पेट्स को अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा बना रहे हैं। इसके अलावा अकेलापन दूर करने के लिए भी हमने पेट्स का सहारा लेना शुरू कर दिया है। पेट्स को लॉयल और ट्रथफुल पार्टनर माना जाता है, जो ट्र लव को वैल्यू देता है। पेट्स को लोग अपने फैशनेबल होने और सोशल सिंबल के रूप में दिखावे के लिए भी लाइफस्टाइल का हिस्सा बना रहे हैं। कुछ लोग सुरक्षा को ध्यान में रखकर इन्हें घर का सदस्य बना लेते हैं।

कितना होता है खर्च

जहां तक इन पर होने वाले खर्च की बात है तो सुनील इसे तीन हिस्सों में बांटकर समझाने की कोशिश करते हैं। पहला मिडिल क्लास, फिर अपर मिडिल क्लास और अंत में इलीट क्लास। वह कहते हैं मिडिल क्लास के लोग अपने पेट्स पर जरूरी फूड्स, कुछ सप्लीमेंट्स व दवाओं सहित कपड़ों व खिलौनों पर महीने में लगभग 1000 से 2000 रुपये तक खर्च करते हैं, जबकि अपर मिडिल क्लास के लोग इसके अलावा कुछ हेल्थ सप्लीमेंट्स, कैल्शियम टैबलेट्स, लेसेज सहित उनके मनोरंजन के लिए बॉल्स वगैरह भी खरीद लेते हैं जिससे महीने में उनका कुल 1500 से 2500 रुपये तक खर्च हो जाता है। वहीं इलीट क्लास के लोग बड़ी ही आसानी से महीने में 4-5 हजार रुपये इन पर खर्च देते हैं। अक्सर यह अमाउंट बढ़ ही जाता है, पर कम नहीं होता। इलीट क्लास के लोग पेट्स को फैशनेबल दिखाने के लिए कपड़ों, चेन, लेसेस, फ्रॉक्स, ट्वायज, शर्ट्स, कोट वगैरह पर काफी खर्च करते हैं। उनके खेलने, व्यायाम कराने और उन्हें फुर्तीला बनाने के लिए बॉल, हैवी बॉल, पिन बॉल भी लेते हैं। इसके अलावा इलीट क्लास के लोग डॉगीज के लिए परफ्यूम, बॉडी डियोड्रेंट्स, सीजनल नैचुरल कीड़ों से बचाव के लिए स्प्रे, बॉडी पाउडर, टूथ पेस्ट, ब्रश वगैरह भी खरीदते हैं। रवि के अनुसार महीने में 3,000 से लेकर 25,000 रुपये तक भी लोग इन पर खर्च कर देते हैं। डिप्लोमेट्स अपने पेट्स को लेकर कई कॉम्पिटीशंस, डॉग शोज वगैरह में भी जाते हैं, जिसमें जीतने पर विजेता पेट को अवार्ड दिया जाता है। लक्ष्मी नगर में ‘पेटहाऊस’ चला रहे रितेश गंधर्व के अनुसार लोगों की बड़ी संख्या ऐसी है, जो महज इसलिए पेट्स रखते हैं ताकि नियमित रूप से सुबह-शाम उनकी सैर हो सके। खान मार्केट स्थित ‘विंडसर- द पेट शॉप’ के मोहन कदम का कहना है कि लोगों का झुकाव पेट्स के प्रति बढ़ने का बड़ा कारण उनके मन-मस्तिष्क में होने वाले बदलाव हैं। लोग पेट्स को पालतू जानवरों की तरह नहीं बल्कि धीरे-धीरे अपने फैमिली मेंबर की तरह लेने लगते हैं। उन्हें अपने बच्चों की तरह ही प्यार और स्नेह करने लग जाते हैं। पेट्स के स्नैक्स, नए डिजाइन व रंग के लैसेस, डियो, परफ्यूम वगैरह उसकी ग्रूमिंग पर भी काफी खर्च करते हैं। राजौरी गार्डन स्थित ‘द पेट प्वाइंट’ के अक्षय महेन्द्रू की मानें तो कुछ लोगों को परिवार के साथ बातचीत करने या वक्त गुजारने का मौका भी बामुश्किल मिल पाता है, तब पेट्स के साथ वक्त गुजारकर उन्हें अपनों के दूर होने का एहसास कम हो जाता है क्योंकि उनका साथ पूरी तरह से आपके दिल को अपनों जितना ही प्यार और सुकून दे जाता है। यही वजह है कि पेट्स आज हमारी जीवनशैली का हिस्सा बनते जा रहे हैं।

शाहरुख ने भी खरीदे नए पपी

अपने बच्चों से बेहद प्यार करते हैं शाहरुख। और हाल ही में उन्होंने उनके लिए दिल्ली से 50 हजार रुपए की महंगी कीमत वाला पपी खरीदा है। हाई ब्रीड वाले नए पपी की खूबी यह है कि इसकी मां ऑस्ट्रेलियन (ब्लेयर) है, जो कई डॉग शोज में सरताज बनी है तो उसके पिता लैबराडोर (जैक) हैं जिसने यूके में अपनी ब्रीड की प्रतियोगिता में अव्वल स्थान हासिल किया।

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