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मानसून सत्र से पहले पुख्ता विधेयक तैयार करने पर सहमति

लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिये केंद्र के मंत्रियों और गांधीवादी अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच शनिवार को हुई संयुक्त समिति की पहली बैठक में दोनों पक्षों के बीच यह...

मानसून सत्र से पहले पुख्ता विधेयक तैयार करने पर सहमति
एजेंसीSat, 16 Apr 2011 05:24 PM
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लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिये केंद्र के मंत्रियों और गांधीवादी अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच शनिवार को हुई संयुक्त समिति की पहली बैठक में दोनों पक्षों के बीच यह सहमति बनी कि संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले एक पुख्ता विधेयक तैयार कर लिया जायेगा।

सरकार की ओर से वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता और समाज की ओर से पूर्व विधि मंत्री तथा वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण की सह-अध्यक्षता में यह बैठक 90 मिनट चली।

दस सदस्यीय संयुक्त समिति में शामिल सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बैठक की वीडियोग्राफी कराने की मांग रखी, लेकिन बाद में दोनों पक्ष हर बैठक की ऑडियोग्राफी कराने पर राजी हो गये।

बैठक में महत्वपूर्ण रूप से सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा तैयार जन लोकपाल विधेयक को पेश किया गया। समिति में शामिल मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने बैठक को ऐतिहासिक कदम करार दिया। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि दोनों पक्षों ने लोकपाल विधेयक के बारे में अपने विचार और अपना दृष्टिकोण रखा। मसौदा विधेयक का ताजा संस्करण जन लोकपाल विधेयक अध्यक्ष को दिया गया और उन्होंने उस पर गौर भी किया।

उन्होंने कहा कि लेकिन दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी है कि स्थायी समिति की ओर से तैयार मसौदा विधेयक पर भी आगे होने वाली बैठकों में चर्चा की जायेगी। समिति के सभी सदस्य चाहते हैं कि एक पुख्ता विधेयक तैयार हो जिसे संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाये।

समिति की अगली बैठक दो मई को होगी। सिब्बल ने कहा कि संयुक्त समिति के काम करने के तौर-तरीके अगली बैठक में तय कर लिये जायेंगे। पहली बैठक की ऑडियो रिकॉर्डिंग हुई है और समिति जो भी फैसले करेगी उन्हें सार्वजनिक किया जायेगा।

समिति में शामिल अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि बैठक सकारात्मक और रचनात्मक रही। समाज की ओर से समिति में शामिल वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि जनभागीदारी में मसौदा विधेयक तैयार करने पर सहमति बनी है। इस मुद्दे से जुड़े संगठनों और आम जनता से वेबसाइट के जरिये तथा विभिन्न क्षेत्रों में जाकर सलाह-मशविरा किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष इस पर रजामंद हैं कि एक मजबूत, कारगर और स्वतंत्र लोकपाल व्यवस्था की देश को जरूरत है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र की भ्रष्टाचार निरोधक संधि पर हस्ताक्षर किये हैं और उसका अनुमोदन करना भी हमारे लिये जरूरी है।

भूषण ने कहा कि अगली बैठक में प्रस्तावित मसौदा विधेयक के मूल सिद्धांत भी तय कर लिये जायेंगे। हम इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ना चाहते हैं। लिहाजा, दो मई को दूसरी बैठक होने के बाद हर सप्ताह में कम से कम एक बैठक की जायेगी। अगर जरूरी हुआ तो सप्ताह में दो बैठकें भी हो सकती हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार ने जन लोकपाल विधेयक को काफी महत्वपूर्ण करार दिया और कहा कि वह इस मसौदे पर निश्चित तौर पर गंभीरता से गौर करेगी।

बैठक के बाद अन्ना हजारे ने चर्चा के विवरण बताने से इनकार कर दिया, लेकिन मीडिया से कहा कि आप लोगों की बदौलत ही हम सफलता हासिल कर पाये हैं।

एक अन्य मंत्री ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जो नया मसौदा विधेयक पेश किया है, वह पहले पेश हुए मसौदे से बेहतर है। उन्होंने कहा कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा को तैयार है, लेकिन जनता से सलाह-मशविरा करने के लिये वक्त काफी कम है।

समिति में समाज की ओर से शामिल एक सदस्य ने कहा कि सरकार बैठक की कार्रवाई के ऑडियो टेप सार्वजनिक करने को राजी नहीं हुई है, लेकिन वह बैठकों के मिनट सार्वजनिक करने पर रजामंद हो गयी है।

हजारे के पांच दिन के अनशन के बाद नौ अप्रैल को सरकार द्वारा जारी अधिसूचना पर गठित हुई इस संयुक्त समिति में सरकार की ओर से मुखर्जी, सिब्बल और खुर्शीद के साथ ही विधि मंत्री वीरप्पा मोइली और गृह मंत्री पी़ चिदंबरम शामिल हैं।

समाज की ओर से पांच सदस्यों में हजारे, कर्नाटक के लोकायुक्त संतोष हेगड़े, आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल, पूर्व विधि मंत्री शांति भूषण और प्रशांत भूषण शामिल हैं।

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