पहले विकास, गोरखालैण्ड बाद में: एआईजीएल
दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी अखिल भारतीय गोरखा लीग क्षेत्र में पहले विकास चाहती है। पार्टी ने कहा कि हालांकि अलग गोरखालैण्ड के गठन की मांग पर वह कायम हैं लेकिन यह विकास...
दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी अखिल भारतीय गोरखा लीग क्षेत्र में पहले विकास चाहती है। पार्टी ने कहा कि हालांकि अलग गोरखालैण्ड के गठन की मांग पर वह कायम हैं लेकिन यह विकास के बाद आती है।
एआईजीएल के सहायक महासचिव और वरिष्ठ नेता लक्ष्मण प्रधान ने कहा कि विकास, शिक्षा, कानून एवं व्यवस्था, स्वच्छ प्रशासन और रोजगार के अवसर ऐसे मुद्दे हैं जो पहाड़ के लोगों को प्रभावित करते हैं। अभी हम इन्हीं विषयों पर ध्यान देना चाहते हैं, जिनका समाधान विधानसभा चुनाव के बाद गठित नई सरकार को करना है।
प्रधान ने दावा किया कि उनकी पार्टी अखिल भारतीय गोरखा लीग ने 1949 में सबसे पहले अलग गोरखालैण्ड राज्य का गठन किए जाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि लोगों को समझना चाहिए कि राज्य का गठन एक दिन में नहीं हो सकता है, लेकिन इसके कारण विकास का मार्ग अवरूद्ध नहीं किया जा सकता है।
दार्जिलिंग में वर्तमान स्थिति के लिए राज्य की वाममोर्चा सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए प्रधान ने कहा, मैं समझता हूं कि पिछले 35 वर्षों के शासन में वाम मोर्चा सरकार ने पर्वतीय क्षेत्र के लिए कुछ भी नहीं किया। कानून एवं व्यवस्था और लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं है।
गौरतलब है कि एआईजीएल नेता मदन तमांग की दिनदहाड़े कथित तौर पर निकोल तमांग के नेतृत्व में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा समर्थकों ने दार्जिलिंग शहर में हत्या कर दी थी। मदन तमांग की विधवा और पार्टी महासचिव भारती तमांग ने कहा कि 1986-87 के आंदोलन के समय हमारे नेता मदन तमांग ने जीएनएलएफ और उसके नेता सुभाष घीषिंग के खिलाफ विरोध का स्वर उठाया था, लेकिन किसी ने उन्हें निशाना नहीं बनाया।
उन्होंने कहा कि लेकिन जीजेएम के नेतृत्व में विरोध के लिए अपनाए गए मार्ग के बारे में प्रश्न उठाने पर उन्हें जान से हाथ धोना पड़ा।