अयोध्या ने की कल्याण की अनदेखी, ज्ञानदास भी नहीं मिले
कभी अयोध्या आन्दोलन के नायक रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की गुरुवार को यहां इस कदर अनदेखी की गई कि उनसे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और हनुमान गढ़ी के महन्त ज्ञानदास तक नहीं...
कभी अयोध्या आन्दोलन के नायक रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की गुरुवार को यहां इस कदर अनदेखी की गई कि उनसे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और हनुमान गढ़ी के महन्त ज्ञानदास तक नहीं मिले।
कल्याण सिंह 'रामलला' के दर्शन के लिए अपने पुत्र राजवीर सिंह के साथ यहां आए थे। रामजन्म भूमि एवं बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक को लेकर 24 सितम्बर को आने वाले फैसले के मद्देनजर उन्होंने अयोध्या जाने की घोषणा कर दी थी।
कल्याण सिंह को पहले अयोध्या सिर आंखों पर बिठाती थी। उनके यहां आने पर शासन प्रशासन सक्रिय हो उठता था। स्थानीय लोग सड़क पर कतारबद्ध होकर उनका स्वागत करते थे, लेकिन गुरुवार को आलम यह था कि वह आए और गए कोई बड़ा साधु सन्त उनसे मिला तक नहीं।
कल्याण सिंह को पहला झटका मायावती सरकार ने ही दे दिया। वह चाहते थे कि सरकार उन्हें अयोध्या जाने से रोक दे और वह 'हीरो' हो जाएं लेकिन बेरोकटोक अयोध्या जाने देने से उनके मंसूबों पर पानी फिर गया।
अदालती फैसले से पहले वह हर हाल में चर्चा में आकर अपनी पुरानी छवि को एक बार फिर से निखारना चाहते थे। उनकी मंशा थी कि अयोध्या के माध्यम से वह एक बार फिर सुर्खियों में आऐं लेकिन अयोध्या की शांतिप्रिय जनता ने उनकी अनदेखी की। उनके साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ लोग आए थे। उन्हीं की वजह से थोड़ी बहुत भीड़ दिखी।
साधु सन्तों में हनुमान बाग मन्दिर के महन्त जगदीश दास ने स्थानीय स्तर पर उनकी मदद की। जगदीश दास के भारतीय जनता पार्टी के एक बडे़ नेता से अच्छे सम्बन्ध हैं। उन्होंने ही दास से कल्याण सिंह के आवभगत करने को कहा था।